देहरादून । उत्तराखण्ड राज्य में अब भ्र्ष्टाचार और सैटिंग गेटिंग की खबरें किसी को चौकाती नहीं हैं । ऐसे ही एक घोटाले की सुगबुगाहट मत्स्य अभिकरण द्वारा मत्स्य पालन के जलाशयों के ठेकों में उठती दिख रही है ।
खबर है कि 3-4 बार जलाशयों के टेंडर कैंसिल होने के बाद सैटिंग गैटिंग का खेल खेलने वालों ने अन्तोगत्वा अपने चहेते ठेकेदार को यह प्रदेश के 4 जलाशय देने की तैयारी कर ली है । यह चहेता ठेकेदार भी मोटी रकम लेकर इन जलाशयों के ठेके स्थानीय व्यक्तियों को सबलेट कर देगा , ऐसी भी खबरें फैल रही हैं ।
उत्तरप्रदेश की एक दबंग भाजपा नेता जिनका पुत्र अब काँग्रेस में शामिल हो चुका है,उसका नाम इस ठेकेदार को ठेके दिलाने के खेल में चर्चाओं में आ रहा है । जिनकी रिश्तेदारी की चर्चा प्रदेश के एक मंत्री से भी है ।
सुगबुगाहट है कि इस चहेते ठेकेदार को अहर्ता दिलाने के लिये टेंडरों के नियम एवं शर्तों में कई बार परिवर्तन किये गये। केज कल्टीवेशन, अनुभव , टर्नओवर इत्यादि में परिवर्तन किये गये ताकि उसको ठेके दिलाये जा सकें ।
पिछले वर्षों तक यह ठेके 5 वर्षों के लिये दिये जाते थे । किंतु इस बार यह ठेके 10 वर्ष के लिये दिये जा रहे हैं ताकि चहेते ठेकेदार , लंबी अवधि तक उत्तराखण्ड के स्थानीय लोगों को दूर कर दे ।
किंतु खबरे यह भी हैं कि अवधि में परिवर्तन का यह शासनादेश कब कैबिनेट की मंजूरी को लाया गया अथवा मुख्यमंत्री से सीधे अनुमोदन ले लिया गया । कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया ।
खबर है कि एक जलाशय पर मात्र 1 टेंडर आया था , बाकी पर दो – दो । टिहरी जलाशय पर कोई टेंडर ही नहीं आया क्योंकि उस चहेते के लिये यह घाटे का सौदा था । इस सबके बावजूद , चहेते ठेकेदार के कुछ पेपर्स अपूर्ण थे , वो कौन से कम थे यह सार्वजनिक नहीं किया गया ।।
अब खबर है कि 1-2 टेंडरों के बावजूद यह ठेके उसी बाहरी ठेकेदार को बाँटने की तैयारी है , जिसके लिये अब काँग्रेस में जा चुके भाजपा नेता के पुत्र ने यह सेटिंग की थी ।
उत्तराखण्ड के स्थानीय युवाओं को भी बैंक गारंटी लेकर और कुछ शर्तों में ढील देकर भी यह ठेके दिये जा सकते थे । लेकिन अब उनको यह ठेके हासिल करने के लिये अवैध रूप से सबलेटिंग का सहारा लेना पड़ेगा ।
विभागीय सचिव ऐसी अनिमियता पर चुप क्यों हैं , यह भी संदेह के घेरे में है । लेकिन इतने ठेके एक ही व्यक्ति को दिये जाने की तैयारी , बहुत ज्यादा नकारात्मक चर्चाओं में है । विभाग के एक पूर्व निदेशक , एक निरीक्षक , एक लिपिक द्वारा गोपनीयता ऐसे रखे जाने की खबरे हैं कि जैसे यह कोई सार्वजनिक टेंडर हो ही ना ।
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी कराने वाली केंद्रीय सरकार , इस प्रदेश के इस घोटाले की खबर कब तक लगेगी ,कहना ही बेकार है ।