आज सुबह एक्टीविस्ट ज्ञानेंद्र कुमार की फेसबुक पोस्ट पढ़ी तो पता चला कि अभिकरण ने उसी ठेकेदार के पक्ष में फाइनेंशियल बिड खोलकर निविदा कर दी है । जबकि खुद पर्वतजन ने स्थानीय बेरोजगारों को यह ठेका दिये जाने की पैरवी करते हुये , एच के पुरोहित, पूर्व निदेशक और वर्तमान सलाहकार को यह बताया भी था कि इस प्रकरण में सरकार और शासन प्रशासन मे बैठे जिम्मेदारों और उनके रिश्तेदारों पर इन जलाशयों के ठेकों को लेकर रिश्वतखोरी के आरोप लग रहे हैं । उधमसिंह नगर , मुरादाबाद के ठेकेदार यह बता रहे हैं कि आप यह ठेके किसके नाम खोलने जा रहे हैं । कितने रुपये का आरोप लग रहा है जबकि आपने अभी तक टेक्निकल बिड भी ओपन नहीं की है ।
इतना ही नहीं, टेंडर जारी किये जाने के तुरंत बाद से उस ठेकेदार के आदमी जलाशयों में पालने के लिये , मछली के बच्चों की खरीदारी के लिये मुरादाबाद, रामपुर और अन्य जगहों के सप्लायर्स के पास घूम रहे हैं और सबसे कह रहे हैं कि ठेका हमारे पक्ष में खुलने वाला है , सब सैटिंग हो चुकी है और पटेलपुत्र फर्म को बाहर कर देंगे ।
ऐन यही हुआ भी । तुमरिया जलाशय पर सिर्फ एक टेंडर आने की बात खुद एचके पुरोहित ने पर्वतजन को बतायी थी । बाकी पर 2-2 टेंडर आये थे । उधर उधमसिंह नगर में यह चर्चा आम थी कि उनमें से एक टेंडर केवल डिस्क्वालिफिकेशन के लिये डाला गया था । मत्स्य पालन मंत्री खुद उधमसिंह नगर से चुनकर आते हैं।
सारी बातों का सार यह कि वही सब हुआ , जिसकी आशंका पर्वतजन जता रहा था। चूंकि ज्ञानेंद्र कुमार , अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक्टीविस्ट हैं, वो भी कोई बात केवल हवा में तो लिखेंगे नहीं । यही सोचकर पर्वतजन ने उनसे भी सम्पर्क किया । पता चला कि वह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते एक बार फिर से अस्पताल में हैं। लेकिन उनके पास तो इस अभिकरण में हो रहे भयंकर भ्रष्टाचार का भरपूर मसाला है । पर्वतजन उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करता है । वो ठीक हों और भ्रष्टाचार के विरुद्ध , प्रदेश के स्थानीय बेरोजगारों , महिला स्वयं समूहों को यह ठेके दिये जाने की उनकी मुहिम में तो पर्वतजन पहले से लगा हुआ है ।
दस साल के लिए जलाशय देने का क्या आशय !
मत्स्य अभिकरण , निविदा अवधि 10 वर्ष किये जाने की कैबिनेट मंजूरी लेने और जारी जीओ को अब तक सार्वजनिक नहीं कर पाया है । इसका मतलब दाल तो काली ही है । खबर मिली है कि भ्रष्टाचार के इस सफल अभियान के लिये , एच के पुरोहित को 3 माह का सलाहकार अवधि विस्तार , पारितोषिक स्वरूप दे दिया है । मुरादाबाद, रामपुर , उधमसिंह नगर के तमाम वो खुंदक खाये ठेकेदार सामने आने को तैयार हैं , जो खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं । ठेका मिलना तो दूर , उन्हीं लोगों से टेंडर प्रक्रिया शुरू होते ही , तकनीकी खुले बिना लाभार्थी ठेकेदार के कर्मचारी और मालिक यह घोषणा कर रहे थे कि सारे जलाशय उनके हो गये हैं और पालन के लिये मछली का बच्चा मांग रहे थे । क्या होगा इस प्रदेश का ?
भाजपा अपने किसी मंत्री या अधिकारी पर तो कार्यवाही करती नहीं , छोटे कर्मचारियों को लपेटने में माहिर ज़रूर है।