कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड में नैनीताल का उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान(जू/चिड़ियाघर)देश दुनिया के पर्यटकों की एक पहली पसंद के रूप में देखा जा सकता है। प्रतिवर्ष दो लाख से कुछ कम पर्यटकों ने इसके दीदार किये जिससे विभाग को लगभग सत्तर लाख रुपये प्रतिवर्ष का मुनाफा हुआ है।
नैनीताल शहर की पूर्वी पहाड़ी पर बने इस गूविन्द बल्लभ उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान(जू) में ठंडे क्षेत्रों में रहने वाले वन्यजीवों को रखना मुफीद माना जाता है । यहां साइबीरियन टाइगर, स्नो लैपर्ड, रेड पांडा, मारखोर(पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु), ब्लू शीप, थार, फीजेंट, बाघ, गुलदार, लंगूर, काला हिमालयन भालू आदि ऐसे वन्यजीव रह चुके हैं जो केवल ठण्डे क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
हल्द्वानी नीवासी हेमंत गौनिया द्वारा मांगी गई सूचना के जवाब में उप प्रभागीय वनाधिकारी दिनकर तिवाड़ी ने बताया है कि उत्तराखण्ड राज्य निर्माण से अबतक कुल बत्तीस लाख, बावन हजार, आठ सौ तेंतीस(32,52,833)देसी विदेशी पर्यटकों ने उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान का भ्रमण किया।
विभाग को इससे कुल पांच करोड़ तेरासी लाख चौंसठ हजार और दो सौ(₹5,83,64,200/=) रुपया प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया है कि जू प्रबंधन ने इस पूरी धनराशि को इस्तेमाल कर दिया है । वर्ष 2000 में राज्य निर्माण के बाद से अबतक कुल 232 महत्वपूर्ण वन्यजीवों की मृत्यु(मौत)हो चुकी है। उन्होंने अंत मे बताया है कि इस बीच पर्यटकों से वसूले टिकट के आधार पर विभाग को कुल बारह करोड़, तेरह लाख, चौदह हजार और तीन सौ(₹12,13,14,300/=) रुपया प्राप्त हुआ है। इस आधार पर सड़सठ लाख, उनचालीस हजार, छह सौ तेरासी(₹67,39,683/=)रुपया प्रतिवर्ष नैनीताल के इस सुंदर जू की मानी जा रही है।