ब्लाक प्रमुख को भी नहीं रहा सदन पर भरोसा ?सदन में नही सड़क पर आंदोलन से निकलेगी विकास की राह?फिर हंगामे की भेंट चढ़ी BDC चिन्यालीसौड़ की बैठक।ब्लॉक किए 81 ग्राम पंचायतों को मनरेगा में बजट नहीं मिलने का आरोप।
गिरीश गैरोला।
सत्ता के विकेंद्रीकरण को ध्यान में रखते हुए ग्राम स्तर पर पंचायतों को मजबूत करने के इरादे से बनाई गई त्रिस्तरीय पंचायत हिचकोले खाते हुए जन समस्याओं के समाधान में नाकाम साबित हो रही है। तमाम नियम और कानून के बावजूद ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की बैठके हो हल्ला और हंगामे की भेंट चढ़ रही है।
ऐसे में सभापति ब्लॉक प्रमुख चिन्यालीसौड़ विजेंद्र रावत का हतासा से भरा बयान पंचायत एक्ट में फिर से झांकने को विवश करता है। प्रमुख ने मीडिया से कहा कि अधिकारी BDC में समस्याओं का समाधान करने में कोई रुचि नही दिखाते है , लिहाजा सड़क पर उतरकर आंदोलन से ही विकास की राह निकल सकती है ।
हर बार की तरह बीडीसी चिन्यालीसौड़ की बैठक का नजारा इस बार भी देखने लायक था पंचायत प्रतिनिधि अपने आसन से उठकर मंच के सामने विरोध प्रकट कर रहे थे जबकि अधिकारियों के पास कोई ठोस जवाब नहीं था। बैठक में सड़क, बिजली पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा के मुद्दे हावी रहे। प्रतिनिधियों का आरोप था कि कई गांव में सड़क निर्माण अटका हुआ है और जिन गांव में सड़क निर्माण हो रहा है वहां घटिया निर्माण कर सरकारी धन की बर्बादी की जा रही है । इसी के चलते सदन में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
पीएमजीएसवाई की तरफ से पहुंचे सहायक अभियन्ता शिशिर श्रीवास्तव ने आरोपों का खंडन करते हुए जांच कराने की बात कही है ।उन्होंने कहा की तीन तरह की दीवारें सड़क के किनारे लगाई जाती हैं जिसमें पहली कच्ची दूसरी बैंडेड और तीसरी पक्की दीवार होती है।
वही झूलती बिजली की तारों और टेढ़े हो चुके बिजली के पोल और पोल में करंट लीकेज से मर रहे जानवरों को लेकर विद्युत विभाग के अधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। ग्राम प्रधान नत्थी सिंह रावत ने आरोप लगाया कि मनरेगा जैसी राष्ट्रीय योजना में ब्लॉक की 81 ग्राम पंचायतों को कोई भी धन आवंटित नहीं किया जा रहा है । बार-बार शिकायत के बावजूद भेजे गए 600 प्रस्तावों में एक भी स्वीकृत नहीं किए गए हैं । उन्होंने आरोप लगाया कि ब्लॉक में केवल एक जिला पंचायत सदस्य को ही मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है।
मुख्य विकास अधिकारी विनीत कुमार ने ग्राम प्रधान के आरोप को तथ्यहीन बताते हुए कहा कि मनरेगा की गाइडलाइंस में 50 फिसदी काम ग्राम पंचायतों में करने की बात कही गई है। जबकि इस ब्लॉक के गांव में अब तक 80 फ़ीसदी कार्य ग्राम पंचायत के माध्यम से किये जा चुके हैं । जबकि जिला पंचायत के माध्यम से महज 5 फ़ीसदी काम ही किये गए हैं
क्षेत्र पंचायत की बैठक में चुने हुए प्रतिनिधि ब्लाक प्रमुख की अध्यक्षता में सदन चलता है जिसमें सचिव वीडियो होते हैं प्रति 3 महीने में आयोजित होने वाली बीडीसी की बैठक में पारित होने वाले प्रस्ताव की बुरी गत को देखते हुए ब्लाक प्रमुख का बयान सोचने को विवश करता है कि क्या सचमुच पंचायत एक्ट का सूबे में पालन हो रहा है? क्या सचमुच लोकतंत्र में जनता की चुनी हुई सरकार अपने फैसले ले रही है? या तर्कों के सहारे कुर्शी बचाने का प्रयास भर चल रहा है।