संत के वेश में छुपे एक और आशाराम को जेल
2013 की भीषण आपदा ने उत्तराखंड को इतने गहरे जख्म दिए हैं, जिनका लंबे समय तक भर पाना मुमकिन नहीं है। उस भीषण आपदा में देशभर के हजारों हजार लोग काल के गाल में समा गए थे। यह एक ऐसी प्राकृतिक आपदा थी, जिसके लिए तब यह भी कहा गया कि भगवान केदारनाथ ने गुस्से में आकर तीसरी आंख खोल दी है और इसी कारण यह आपदा आई। इस आपदा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की कुर्सी भी निगल दी थी। जो तब देहरादून में बैठकर बयानबाजी से बाहर नहीं निकल पाए।
इन सबसे इतर सबसे दर्दनाक पहलू इस आपदा का उन लाखों लोगों का अपनों से बिछुडऩा था, जो आज तक भी मिल नहीं सके। इस आपदा में हजारों मांगें सूनी हुई तो कई मांओं ने अपने लाल खोए। कई बहिनों की भाईयों की राखियां समाप्त हो गई।
इस पूरे घटना के बीच उत्तराखंड में जो शर्मसार करने वाला वाकया रहा, वो ये था कि तब आपदा में अनाथ हो चुकी महिलाओं और बच्चियों को हरियाणा के तथाकथित बहुरुपिया २०१४ में अबकी बार मोदी सरकार के लिए वोट मांगने वाला, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का राइटहैंड व भाजपा-कांग्रेस नेताओं का अति प्रिय बाबा गुरमीत राम रहीम की वो घोषणा थी, जब उन्होंने ऐसी महिलाओं और बच्चियों को अपने आश्रम में भेजने की बात कही। राम रहीम को आज बलात्कार की पुष्टि होने के बाद दोषी करार दिया गया है। राम रहीम ने एक साध्वी के साथ २००२ में टीवी पर ब्ल्यू फिल्म चलाकर बिस्तर पर रिवाल्वर रख उसकी अस्मत लूटी, किंतु साध्वी द्वारा लिखे गए पत्र का बाद में सीबीआई ने संज्ञान लिया और गुरमीम राम रहीम की हकीकत सामने आई। दोषी करार दिए जाने के बाद राम रहीम को हिरासत में ले लिया गया है। सोमवार २८ अगस्त को राम रहीम को सजा तय होगी।
जाहिर है ऐसा धूर्त संत किस भूख के लिए तब उत्तराखंड की महिलाओं और बच्चियों के बारे में कह रहा होगा। इन सबके अलावा दुखदायी पहलू यह भी रहा कि बात-बात पर बयान देने वाले, पुतला फूंकने वाले और कैंडल मार्च के शौकीन आंदोलनकारियों ने भी धूर्त राम रहीम के विरुद्ध एक लाइन नहीं कही।
आखिरकार ईश्वर ने न्याय किया और आज बलात्कारी संत को सजा मिल ही गई।