पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

उत्तराखंड में राजे महाराजे और कुंवर…

June 1, 2017
in पर्वतजन
ShareShareShare
uttarakhand-me-maharaje-aur-knwar

कभी राजशाही से त्रस्त होकर जिस जनता ने राजशाही के खिलाफ बिगुल फूंककर उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया था, आज वही जनता राजपरिवार के लोगों को वोट देकर सर-माथे पर बिठा रही है

गजेंद्र रावत

भारतवर्ष के आजाद होने के बाद हालांकि देश के विभिन्न कोनों से राजशाही वाली व्यवस्था कुछ समय बाद समाप्त कर सभी को भारत गणराज्य में मिला लिया गया, किंतु राजशाही के दौर से जनता के राजा रहे लोग आज भी राज कर रहे हैं।
उत्तराखंड की राजनीति में राजा, महाराजा, महारानी, युवराज और कुंवर सभी विभिन्न बड़े पदों पर विराजमान हैं। उत्तराखंड की चुनावी राजनीति से लेकर परदे के पीछे से काम करने वाले महाराज और महाराजा आज भी अपनी उपस्थिति बनाए हुए हैं। देश की आजादी के बाद १९५२ में सबसे पहले टिहरी से राजा रहे नरेंद्र शाह की पत्नी कमलेंदुमती शाह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी और उन्हें सांसद के रूप में निर्वाचित होने का अवसर मिला।

uttarakhand-me-maharaje-aur-knwar

मजबूरी का नाम मानवेंद्र

महारानी रही कमलेंदुमती शाह के बाद आखिरी बार राजा बने मानवेंद्र शाह रिकार्ड सात बार लोकसभा के लिए चुने गए। १९५७ से लेकर १९६२ तक कांग्रेस और १९९१ से लेकर २००७ तक मानवेंद्र शाह सांसद रहे। शुरुआती तीन चुनाव कांग्रेस से और शेष पांच चुनाव भाजपा के चुनाव पर जीतने वाले स्व. मानवेंद्र शाह ने इतने लंबे समय सांसद के रूप में चुने जाने के बावजूद कभी कोई ऐसा काम नहीं किया, जो कि आज याद करने लायक हो। आठ बार सांसद बनने के बावजूद मानवेंद्र शाह ने न तो कभी कोई मेडिकल कालेज अपने संसदीय क्षेत्र में बनवाया, न कोई इंजीनियरिंग कालेज। वह प्रजा तो हमेशा यह आभास कराते रहे कि प्रजा को उनकी सेवा करती रहती है और प्रजा भी राजा का साथ देती रही।
मानवेंद्र शाह जो कि स्वयं बोलांदा बद्रीनाथ कहलाए जाते थे, का चुनाव लडऩे का तरीका ही अलग था। वे न तो कभी किसी से वोट मांगने की अपील करते थे, न किसी को हाथ जोड़ते थे। उनके चुनाव की कई ऐसी घटनाएं भी हुई, जब कुछ लोगों द्वारा मानवेंद्र शाह की गाड़ी को छू लेने भर से मानवेंद्र शाह ने न सिर्फ गाड़ी धुलवाई, बल्कि उसे गंगाजल से भी शुद्ध करवाया।
मानवेंद्र शाह से भाजपा के लोगों को हाथ मिलाने का अवसर भी नहीं मिलता था। वे कभी भी किसी की ओर हाथ नहीं बढ़ाते थे। यहां तक कि मीडिया के लोगों से भी निश्चित दूरी पर खड़े रहते थे। उत्तराखंड आंदोलन के दौरान जब प्रदेश में कुछ लोगों द्वारा चुनाव बहिष्कार की बात कही गई तो इस बीच मानवेंद्र शाह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। मानवेंद्र शाह चुनाव प्रचार के संदर्भ में तब टिहरी के सुदूर घनसाली क्षेत्र में गए तो लोगों ने उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन को प्राथमिकता देते हुए मानवेंद्र शाह मुर्दाबाद और मानवेंद्र शाह वापस जाओ जैसे नारे भी लगाए। तीन लोग ऐसे थे, जिन्होंने मानवेंद्र शाह की गाड़ी पर लात मारकर विरोध जताया। प्रजा द्वारा इस प्रकार के प्रतिरोध से कुपित होकर मानवेंद्र शाह वहां से वापस आ गए और फिर चुनाव प्रचार की बजाय घर बैठ गए। वे घर बैठे ही चुनाव जीत गए। बाद में ज्ञात हुआ कि उनके वाहन पर लात मारने वाले लोग विभिन्न कारणों से काल कलवित हो गए।
मानवेंद्र शाह आखिर तक इस बात पर कायम रहे कि उन्होंने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाने हैं। लंबे समय तक चुनाव जीतने के बाद जब कई बार उनसे भारत सरकार में मंत्री बनने का ऑफर आया तो उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि वे तो राजा रहे हैं और मंत्री उनके अधीनस्थ रहे हैं। ऐसे में वे छोटे पद पर कैसे बैठ सकते हैं।
२००७ में महाराजा मानवेंद्र शाह के निधन के बाद विधानसभा चुनाव २००७ के साथ हुए टिहरी लोकसभा उपचुनाव में मानवेंद्र शाह के पुत्र मनुजेंद्र शाह, जिन्हें मानवेंद्र शाह के स्थान पर पारंपरिक तौर से राजगद्दी सौंपी गई, भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े। मनुजेंद्र शाह का मुकाबला तब कांग्रेस से लंबे समय से चुनाव हारते जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा के पुत्र से हुआ। इस चुनाव में विजय बहुगुणा की हार का सिलसिला टूटा और मनुजेंद्र

uttarakhand-me-maharaje-aur-knwar

शाह की हार के रूप में पहले ही चुनाव में विदाई हो गई।

मनुजेंद्र की मार्मिक दास्तां

मनुजेंद्र शाह जिस गति से चुनावी राजनीति में आए थे, उसी गति को प्राप्त भी हो गए। चुनाव हारने के बाद मनुजेंद्र शाह पुन: अपने दिल्ली के उस बंगले की ओर चल दिए, जो कि आज भी किसी राजमहल से कम नहीं है। उम्मीद थी कि मनुजेंद्र शाह पुन: चुनाव की तैयारियां करेंगे, किंतु उन्होंने एक तरह से टिहरी लोकसभा की जनता पर नाराज होते हुए उनसे किनारा कर दिया। २००९ के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मनुजेंद्र शाह की बेरुखी के कारण निशानेबाज जसपाल राणा को प्रत्याशी बना दिया, किंतु जसपाल राणा भी राज परिवार के खालीपन को भर नहीं पाए। इस बीच २०१२ में विजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री बनने के बाद सांसद पद से दिए गए इस्तीफे से होने वाले उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पुन: राज परिवार पर भरोसा जताया और उपचुनाव में मानवेंद्र शाह की बहू और मनुजेंद्र शाह की पत्नी महारानी राज्य लक्ष्मी शाह को मैदान में उतारा। राज्य लक्ष्मी शाह ने पहले ही चुनाव में भाजपा के निर्णय को सही साबित करते हुए विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा को चुनाव हरा दिया। इस प्रकार एक बार फिर राज परिवार ने सत्ता में पुनर्वापसी की। २०१४ के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर महारानी राज्य लक्ष्मी शाह ने जीत हासिल कर संसद पहुंचने की परंपरा जारी रखी।

राज्य लक्ष्मी शाह ने संभाली विरासत

uttarakhand-me-maharaje-aur-knwar

२०१२ से लेकर लगातार पांच वर्षों से टिहरी लोकसभा की सांसद राज्य लक्ष्मी शाह हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश की तो बहुत दूर अपनी लोकसभा की प्रत्येक विधानसभा में भी वोट मांगने नहीं गई। संसद के भीतर कभी भी उन्होंने गंभीरता से अपनी लोकसभा के न तो सवाल उठाए और न ही किसी ऐसी चर्चा में भाग लिया, जो उत्तराखंड के लिहाज से महत्वपूर्ण हो सकती है।
राज्य लक्ष्मी शाह से मिलने के लिए भी टिहरी लोकसभा की जनता को उन्हीं परंपराओं से होकर गुजरना पड़ता है, जिस प्रकार राजशाही के दौर में प्रजा कभी महारानी से मिलती रही होंगी।
राज परिवार के और भी लोगों में चुनावी राजनीति का समय-समय पर खुमार चढ़ता रहा। राज परिवार के जय विक्रम शाह एक बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय टिहरी विधानसभा से चुनाव लडऩे के बावजूद विधायक नहीं बन पाए। बाद में भवानी प्रताप सिंह टिहरी विधानसभा और टिहरी लोकसभा दोनों में आजमाईश कर चुके हैं, किंतु उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई।

लंढौरा रियासत के वारिस चैंपियन

उत्तराखंड विधानसभा में लगातार चौथी बार विधायक बनने वाले खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन २००२ में निर्दलीय, २००७ और २०१२ में कांग्रेस से और २०१७ से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे हैं। कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन राजशाही के दौरान की लंढौरा रियासत के राजा के पुत्र हैं।
पहला चुनाव अपनी ताकत से जीतने वाले कुंवर प्रणव सिंह का आचार, व्यवहार, काम, क्रोध, शक्ति प्रदर्शन सभी कुछ राजपरिवार से होना का एहसास दिलाता रहता है। कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की वेशभूषा, उनका बलिष्ठ शरीर और उनके स्वयं के लिए लिखे स्लोगन ‘बलवान-बुद्धिमान-पहलवान’ आज भी देखे जा सकते हैं। लंढौरा रियासत के राजमहल में रहने वाले चैंपियन के पास अब तोपें तो नहीं हैं, किंतु उन्होंने गोलियों से कई बार लोगों को एहसास करवाया है कि वे राजपरिवार का अंग रहे हैं।

चंद वंश वारिस बाबा

राजपरिवार के एक और सदस्य केसी सिंह बाबा उत्तर प्रदेश की विधानसभा से लेकर संसद तक निर्वाचित होकर जा चुके हैं। केसी सिंह बाबा कुमाऊं में कभी चंद वंश के राजा रहे परिवार के वंशज हैं। केसी सिंह बाबा के दादा और पिता भी चंद सल्तनत को संभाल चुके हैं। २०१४ के चुनाव में हारने के बाद भले ही आजकल केसी सिंह बाबा राजनीतिक रूप से पैदल हों, किंतु तिवारी कांग्रेस से लेकर कांग्रेस के सिंबल पर विधायक और सांसद बनकर बाबा ने अपनी ताकत दिखाई है। चुनाव प्रचार के दौरान

uttarakhand-me-maharaje-aur-knwar

भी केसी सिंह बाबा नियमित रूप से सुबह जिम जाने और शाम को अंडे की भुर्जी के साथ सूर्य अस्त की कार्यवाही शुरू करने वाले लोगों में शुमार रहे हैं।
केसी सिंह बाबा की भांति कुमाऊं मंडल से ही पिथौरागढ़ के अस्कोट के पाल राज परिवार से महेंद्र पाल १९८९ में जनता पार्टी और वर्ष २००२ में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे। महेंद्र पाल वर्तमान में भी कांग्रेस पार्टी में हैं और नैनीताल हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील के रूप में कार्यरत हैं।
इस प्रकार चंद वंश, पाल वंश के साथ-साथ लंढौरा राजघराना और टिहरी राजपरिवार आज भी उत्तराखंड की राजनीति में मजबूती से खड़ा है। स्वामी-महाराज-महंत भी उत्तराखंड की राजनीति में
२००९ के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पहले हरिद्वार से मदन कौशिक को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया, किंतु बाद मदन कौशिक का टिकट काटकर स्वामी यतींद्रानंद को टिकट दिया गया। स्वामी यतींद्रानंद भाजपा के ऐसे प्रत्याशी साबित हुए, जो मंच से जनता और अपने कार्यकर्ताओं को सरेआम दुत्कारते रहे। आखिर में चुनाव में जनता ने यतींद्रानंद को भी दुत्कार दिया।
२०१२ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हरिद्वार ग्रामीण से स्वामी यतीश्वरानंद को मैदान में उतारा और वे पहली बार में ही विधायक बनने में सफल रहे। २०१७ के विधानसभा चुनाव में सभी राजनैतिक विश्लेषकों और आंकड़ेबाजों को धता बाते हुए स्वामी यतीश्वरानंद ने मुख्यमंत्री के रूप में चुनाव लड़ रहे हरीश रावत को १२ हजार से अधिक मतों से हराकर सबको चौंका दिया।
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का किसी राजघराने से कोई संबंध नहीं है। इससे पहले सतपाल महाराज दो बार केंद्र में सांसद और मंत्री रह चुके हैं। सतपाल महाराज की पत्नी भी प्रदेश सरकार में दो बार काबीना मंत्री रह चुकी हैं। महाराज दंपत्ति का बात-व्यवहार भी किसी महाराजा से कम नहीं है। महाराज परिवार में भी उसी तरह का द्वंद है, जैसे सत्ता पाने के लिए राजपरिवारों में रहा है। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में सतपाल महाराज को हराने के लिए विरोधियों के साथ-साथ महाराज के परिजन भी पुरजोर कोशिश में लगे रहे।
लगातार दूसरी बार लैंसडौन से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित होने वाले दिलीप सिंह रावत महंत हैं। महंत दिलीप सिंह रावत के स्व. पिता भारत सिंह रावत भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं।


Previous Post

वर्दी में भेदभाव

Next Post

'वीआईपी घाट' नाम पर विवाद!

Next Post

'वीआईपी घाट' नाम पर विवाद!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय ने खिलाड़ियों को दिलाई चॉपर राइड, बोले- I Love SGRRU
  • बड़ी खबर: देवभूमि गोल्ड कप में भिड़ेंगी देश की टॉप टीमें। चमकेंगे IPL स्टार्स..
  • वायरल वीडियो : मेरे होते हुए किसी की औकात नहीं, जो गरीबों की जमीन पर कब्जा करे।
  • RTI खुलासा: प्रदेश में 3 साल में 3044 महिला अपराध। 2583 बलात्कार के मामले दर्ज
  • दून में 6100 करोड़ का एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट शुरू।बिंदाल-रिस्पना किनारे हटेंगे कई मकान
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!