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दायरे में रहते तो नहीं होती मौत!

शिक्षा   के अधिकार अधिनियम में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि प्रत्येक शिक्षक विद्यालय के आठ किमी. के अंतर्गत निवास करेगा, किंतु उत्तराखंड में अधिनियम का सरेआम उल्लंघन हो रहा है। सरकार द्वारा की जा रही ढिलाई के कारण शिक्षक संगठन सरकार पर हावी हैं।
आज 15 जुलाई 2017 को टिहरी जनपद के सुनहरीगाड में सहायक अध्यापक प्यारेलाल आर्य की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। प्यारेलाल आर्य पुजारगांव से घनसाली वापस जा रहे थे। शिक्षकों के जनपद मुख्यालय से 50-50 किमी. दूर तक इसी तरह यात्रा कर जाने से कई बार ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं और अब तक दर्जनों शिक्षकों को मौत के मुंह में जाना पड़ा। प्यारेलाल आर्य की मौत के बाद सरकार सबक लेती है या नहीं, यह देखना महत्वपूर्ण है। यदि शिक्षा के अधिकार अधिनियम का उत्तराखंड में इस प्रकार पालन नहीं हो रहा है तो जाहिर है कि आने वाले वक्त में कोई जनहित याचिका उत्तराखंड सरकार पर भारी पड़ सकती है।
ज्ञात रहे कि विगत दिनों हाईकोर्ट नैनीताल ने उत्तराखंड के विद्यालयों के भवनों की दुर्दशा को देखते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी।

उल्लेखनीय है कि शिक्षक 8 किमी. के दायरे का उल्लंघन करते हुए दूर-दूर अपने क्षेत्रों से स्कूल आते हैं। वे गाड़ी भगाकर ले जाने के बाद भी सुबह देरी से ही स्कूल पहुंच पाते हैं। इसके अलावा स्कूल की छुट्टी होने से पहले ही वे रवाना हो जाते हैं तथा घर पहुंचने की जल्दी में भी उन्हें गाड़ी तेज चलानी पड़ती है।
60 से 100 किमी. या इससे अधिक दूरी से शिक्षकों का स्कूल जाने का एक उदाहरण दिया जा सकता है। देहरादून से यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सिलोगी रूट पर तमाम ऐसे प्राथमिक व जूनियर हाईस्कूल हैं, जहां के शिक्षक व शिक्षिकाएं रोजाना देहरादून से 5 बजे सुबह चलकर अपने स्कूल पहुंचती हैं। शायद ही कभी ऐसा दिन होगा, जब वह समय पर
स्कूल पहुंच पाते होंगे। यही कारण है कि 8 किमी. के दायरे में न रहने पर कई बार वे दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।

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