तो क्या प्रधानमंत्री आवास योजना को धरातल पर उतारकर सबको घर देने की घोषणा के लिए हो रहा नगर निकायों का विस्तार ?
गिरीश गैरोला
पूरे प्रदेश मे नगर पंचायत नगर पालिका और नगर निगम का विस्तार कर आसपास के गांवों को उसमे शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विपक्षी कांग्रेस सड़क पर है। पूर्व से ही अव्यवस्था झेल रहे नगर निकाय की सेहत को लेकर कांग्रेस के तर्क अपनी जगह जायज है। वहीं केंद्र सरकार अपनी दूरगामी योजना को समय पर धरातल पर उतारने के लिए इतनी उत्सुक है कि इसमे शामिल होने वाले गांवों के ग्रामीणों की सहमति तक नहीं ली गयी।
दरअसल हर परिवार को घर देने के सरकार के वादे के लिए प्रथम चरण मे ही सरकार को 37 हजार घर शहरी इलाकों मे जरूरतमंदों को देने हैं।
वर्तमान नगर पालिका क्षेत्र मे इतनी जगह है ही नहीं कि यहां जरूरतमंदों के लिए घर बनाए जा सकें।लिहाजा इसका विस्तार कर बिल्डर के जरिये बाकायदा नक्सा पास कर घर बनाए जाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए एक नामित परिवार के घर के लिए बिल्डर को महज 6 लाख रु ही प्रधान मंत्री आवास योजना मे दिये जाने है। लिहाजा योजना ऐसी होनी चाहिए कि बिल्डर का भी लाभ हो और केंद्र सरकार की घोषणा भी पूरी हो सके।
वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव के लिए समय कम है और उससे पूर्व जमीन पर खाका नहीं बना तो चुनाओं मे सरकार की किरकिरी हो सकती है।
नगर पालिका विस्तार को लेकर कांग्रेस का विरोध जारी है। जिसके लिए उनके अपने तर्क हैं ।
पूर्व मे कार्यरत नगर पंचायत, नगर पालिका अथवा नगर निगम जो अव्यवस्था से अभी तक जूझ रहे हैं, वे कैसे और बड़े क्षेत्र मे स्वच्छता ,पेय जल, नाली निर्माण , सीवर आदि की ज़िम्मेदारी संभाल सकते हैं। ग्रामीणों की चिंता भी अपनी जगह है कि उन्हे मकान बनाने के लिए नक्सा पास करने के लिए चक्कर काटने होंगे। हाउस टैक्स और सीवर टैक्स का झंझट अलग से। कांग्रेस इस मुद्धे को लेकर पूरे प्रदेश मे आंदोलन कर रही है, वहीं नगर निकाय की तैयारी कर रहे दावेदार विस्तार को लेकर उत्साहित हैं।
उन्हे लगता है कि इन गांवों के जुडने से उनका वोट बैक बढ जाएगा। वहीं नगर निकाय मे ग्रामीणों के फर्जी वोट भी अब नहीं पड़ सकेंगे, जो पहले आसानी से दोनों जगह अपने वोट डाल दिया करते थे।
गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण की माने तो जो नगर पालिकायें आज तक अपने कूड़े के निस्तारण के लिए डम्पिंग ज़ोन तक नहीं बना सकी वो इस अतिरिक्त बोझ को कैसे संभाल सकती हैं ? उन्होने कहा कि बिना ग्रामीणों की सहमति लिए ये विस्तार उन पर नहीं थोपा जा सकता है।
एसडीएम देवेंद्र नेगी कि माने तो सरकार की मंशा अनियंत्रित विकास और अतिक्रमण से बचने के लिए नियंत्रित विकास करने की है। जिसके लिए जिले मे जिला विकास प्राधिकरण बनाया गया है। प्राधिकरण मे आयुक्त को अध्यक्ष डीएम को उपाध्यक्ष और एडीएम को सचिव बनाया गया है। पूरे जिले मे राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्ग के दोनों तरफ 200 मीटर के क्षेत्र मे बिना अनुमति के कोई भी निर्माण नहीं हो सकेगा, भले हो वो इलाका ग्रामीण क्षेत्र मे हो अथवा नगरीय क्षेत्र मे। हालांकि जरूरतमंद गरीबों के लिए 200 वर्ग मीटर तक आवासीय और 30 वर्गमीटेर तक व्यापारिक निर्माण के लिए इसमे कोई अनुमति की जरूरत नहीं पड़ेगी।