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जानिए उत्तराखंड के इस डीएम की कैसे खुली पोल…!

गजेंद्र रावत

हालांकि लोकसभा चुनाव २०१९ में होने हैं, किंतु भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंड में भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। २०१७ के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया। तब वोटों का ध्रुवीकरण इसका मुख्य कारण माना गया। भारतीय जनता पार्टी इसमें सफल भी रही और अप्रत्याशित रूप से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड में भी प्रचंड बहुमत की सरकार बन गई। इस बीच कुछ ऐसे घटनाक्रम उत्तराखंड में भी हो रहे हैं, जो इस बात की तस्दीक करते हैं कि तैयारियां किस स्तर पर चल रही हैं। डीएम को यूं भी अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट मैनेजर के रूप में सरकारें तैनात करने के लिए जानी जाती हैं।१३ जुलाई २०१७ को हरिद्वार के जोशीले जिलाधिकारी दीपक रावत कांवड़ सेवा में शामिल हुए और उन्होंने कांवडिय़ों को अपने हाथ से चाय पिलाई। सावन के महीने में धर्मनगरी के जिलाधिकारी का ये अंदाज सिर्फ शिव भक्ति का नहीं, बल्कि रामभक्ति का भी है। इससे पहले कि लोग जिलाधिकारी के कांवडिय़ों के प्रति उभरे प्रेम को समझ पाते, लोगों को अचानक ध्यान आया कि २६ जून को संपन्न हुई मीठी ईद के अगले दिन हरिद्वार के अखबारों में खबरें प्रकाशित हुई कि हरिद्वार के अब तक के इतिहास में पहली बार जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान ईद मिलन समारोह में शामिल नहीं हुए, जबकि हरिद्वार जिले का इतिहास रहा है कि ईद मिलन के मौके पर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देने के लिए डीएम और एसपी मुस्लिम समुदाय से हर साल मेल-मुलाकात करते रहे हैं। हरिद्वार वही जिला है, जहां मोदी लहर में डूबी कांग्रेस तीन सीट जीतने में सफल रही। जिलाधिकारी का कांवडिय़ों को चाय परोसना और ईद मिलन कार्यक्रम से किनारा करना भी अब मतों के ध्रुवीकरण की दिशा में बढ़ता दिखाई देने लगा है। भारतीय जनता पार्टी के थिंक टैंक ने लोकसभा चुनाव २०१९ के तैयारी के तहत अब पीएम चुनाव के लिए डीएम को तैनात कर दिया है। आखिरकार डीएम की खुली पोल, कांवडिय़ों को चाय, ईद मिलन पर गोल। देखना है कि जोशीले डीएम किस प्रकार इस काम को अंजाम तक पहुंचाते हैं।

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