भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्योति गैरोला की पत्नी उषा गैरोला कुछ ही दिन पहले अटैचमेंट पर देहरादून आ गई है। अगली कड़ी में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने भी अपनी पत्नी डॉक्टर दीप्ति बलूनी को दिल्ली में स्थानिक आयुक्त कार्यालय में अटैच करवा दिया है। डॉक्टर दीप्ति बलूनी वर्तमान में हल्द्वानी डिग्री कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर तैनात हैं। वह रसायन विज्ञान की प्रवक्ता हैं। भले ही वह दिल्ली में स्थानिक आयुक्त कार्यालय में अटैच रहेंगी, किंतु उनका वेतन हल्द्वानी के डिग्री कॉलेज से ही निकलेगा। एमबी पीजी कॉलेज हल्द्वानी के प्राचार्य डा. जगदीश प्रसाद के अनुसार कैमिस्ट्री की एसोसिएट प्रोफेसर डा. दीप्ति जोशी बलूनी को अपर मुख्य सचिव डा. रणवीर सिंह के आदेश के अनुपालन में कार्यमुक्त किया गया है।
ज्योति गैरोला की पत्नी उषा गैरोला को देहरादून के शिक्षा निदेशालय में नवगठित शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में अटैच किया गया है। जाहिर है कि नेताओं की पत्नियों को दुर्गम से सुगम में लाने के लिए इस शिकायत निवारण प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। जब देहरादून में इस तरह के प्रकोष्ठ के गठन पर प्रदेशभर से अन्य शिक्षकों तथा शिक्षक संघ ने विरोध किया और आम नागरिक भी सोशल मीडिया आदि के माध्यम से इसके विरोध में उतर आए तो सरकार ने एक शिक्षक को रुद्रप्रयाग के स्कूल में तैनाती के साथ-साथ शिकायत निवारण निवारण प्रकोष्ठ में भी एक साथ ड्यूटी देने का आदेश जारी करके आग में और घी डाल दिया। इस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक अध्यापक रुद्रप्रयाग के स्कूल में तथा देहरादून की शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में एक साथ कैसे ड्यूटी दे सकता है।
जाहिर है कि वह शिकायत निवारण प्रकोष्ठ में काम की अधिकता का हवाला देते हुए देहरादून में ही तैनात रहेगा। सरकार गठन के सिर्फ दो माह में सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक तथा शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने प्राइवेट स्कूलों पर लगाम लगाने के साथ ही सरकारी स्कूलों में ड्रेस कोड लागू करने का फरमान जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि सभी छात्र-छात्राएं अध्यापक तथा अध्यापिकाएं ड्रेस कोड में ही स्कूल आएंगी। साथ ही उन्होंने अपने लिए भी ड्रेस कोड लागू करने की बात कही थी। तब भी यह बात उठी थी कि इस तरह के दिखावटी प्रयास न करके यदि शिक्षा मंत्री स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती और हाजिरी की व्यवस्था ही सही कर दें तो पूरी शिक्षा व्यवस्था सुधर सकती है, किंतु ऐसा करने के बजाय शिक्षा मंत्री ने कुछ ही दिनों में अलग-अलग बहानों से भाजपा के ऊंची पहुंच रखने वाले नेताओं की पत्नियों और चहेतों को देहरादून और दिल्ली में स्थापित कर दिया है।
7 जुलाई को इसके विरोध में राजकीय शिक्षक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी ने भी एक बैठक बुलाई थी। प्रांतीय अध्यक्ष रामसिंह चौहान ने बताया कि सभी जनपदों द्वारा एक स्वर में शिकायत प्रकोष्ठ का विरोध किया गया है। शिकायत निवारण प्रकोष्ठ के पास भी वही शिकायतें आएंगी, जिन्हें शिक्षक संघ उठाता रहा है। अध्यक्ष रामसिंह चौहान कहते हैं कि ये केवल राजकीय शिक्षकों को भटकाने के लिए किया जा रहा है और संगठन इसका विरोध करता है।
प्रदेश में दुर्गम में अध्यापन कार्य करा रहे कई शिक्षक गंभीर बीमारियों और अन्य विसंगतियों से जूझ रहे हैं। ऐसे सैकड़ों अध्यापकों के आवेदन सरकार के पास धूल फांक रहे हैं, किंतु ऊंची पहुंच न होने के कारण उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। अपने मूल विद्यालयों से अटैचमेंट पर दूसरी जगह तैनात रहने पर स्कूलों में रिक्त पद भी मुश्किल से ही भरे जाएंगे।
उदाहरण के तौर पर हल्द्वानी के डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के प्रवक्ता के पद पर तैनात दीप्ति बलूनी के स्थानिक आयुक्त कार्यालय में अटैच हो जाने पर इस बात की संभावना बेहद कम है कि उनके स्थान पर किसी दूसरे प्रवक्ता की तैनाती की जाएगी। डा. दीप्ति बलूनी को उत्तराखंड सरकार की ओर से यूजीसी तथा राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के कार्यों को केंद्र सरकार से संपादित करवाने की जिम्मेदारी दी गई है, किंतु यदि उनके स्थान पर किसी दूसरे अध्यापक की तैनाती नहीं होती है तो इससे रसायन विज्ञान के छात्रों का भविष्य अंधकार में होना तय है। ऐसे में प्रभावशाली भाजपा नेताओं की पत्नियों का पुनर्वास सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है।