बाबा केदार को ही अगर जीएमवीएन की एमडी ऐसी टिप्पणी कर दे कि ‘क्या कभी अपना चेहरा शीशा में देखा है आपने’ तो जाहिर है कि इससे एमडी का पारा सातवें आसमान पर किस कदर चढ़ा रहता है, आसानी से समझा जा सकता है।
गढ़़वाल मंडल विकास निगम की एमडी ज्योति नीरज खैरवाल की टिप्पणी से बाबा केदार के नाम से विख्यात तुलसी सिंह बिष्ट इतना आहत हो गया कि उन्होंने वीआरएस के लिए आवेदन कर डाला। इससे निगम के अन्य कर्मचारियों में भी आक्रोश बढऩे लगा है।
जानकारी के अनुसार गत गुरुवार को देहरादून में आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियों को लेकर जीएमवीएन की एमडी ज्योति नीरज खैरवाल ने बैठक ली। खैरवाल एमडी के अलावा अपर सचिव पर्यटन का कार्यभार भी देख रही हैं। बताया गया कि उक्त बैठक में ऋषिकेश के जीएमवीएन के यात्रा कार्यालय में तैनात अधिकारी ने भी हिस्सा लिया।
पीडि़त अधिकारी तुलसी सिंह बिष्ट बताते हैं कि मैडम ने उन्हें इस कदर डांटा कि, ‘क्या कभी अपना चेहरा शीशा में देखा है आपने’। मेरे कार्यों से असंतुष्ट होकर उन्होंने वीआरएस लेने के लिए कह दिया। मैं पिछले 36 वर्षों से गढ़वाल मंडल विकास निगम में ईमानदारी के साथ सेवाएं दे रहा हूं, लेकिन आज तक कभी मेरे काम में कोई नुख्श नहीं निकाल पाया। मैं दो माह बाद सेवानिवृत्त हो जाऊंगा। सेवाकाल के अंतिम दिनों में एमडी ने मुझ पर इस तरह व्यक्तिगत कटाक्ष कर मेरा घोर अपमान और बेइज्जत किया है, जो मैं सहन नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए मैंने वीआरएस का फैसला कर दिया है।
उनके एक सहयोगी कर्मचारी बताते हैं कि बिष्ट हमेशा एक मजबूत स्तंभ के रूप में निगम को सुदृढ़ करने मेें जुटे रहे। उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा का ही परिणाम है कि उन्हें कर्मचारी बाबा केदार के नाम से बुलाते हैं। ऐसे में एमडी ने उन्हें अनवश्यक रूप से मानसिक तनाव की स्थिति में पहुंचाया है। इससे अन्य कर्मचारियों में भी रोष बढ़ेगा और उनकी कार्य संस्कृति भी प्रभावित होगी।
कर्मचारी के इस आरोप पर एमडी ज्योति नीरज खैरवाल कहते हैं कि वह तो अक्सर यह कहती हैं कि कर्मचारी ऐसा काम करें, जिससे शीशे में अपना चोहरा देखने लायक रह सकें। ऐसे में इसी अर्थ में उन्होंने तुलसी सिंह बिष्ट को भी यह कहा। इससे अपमान जैसी कोई बात ही नहीं हैं।