कुलदीप एस राणा
भारतीय पुलिस सेवा के तेजतर्रार अफसरों में शुमार उत्तराखंड कैडर के अभिनव कुमार की मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्ति को लेकर माहौल गरमाया हुआ है।
वैसे तो अभिनव कुमार अभी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीमा सुरक्षा बल में आई जी के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं लेकिन केंद्र मे प्रतिनियुक्ति लगभग पूर्ण होने को है। ऐसे सचिवालय में उन्हें अपर सचिव मुख्यमंत्री बनाए जाने की खबरों ने कई आईएएस अधिकारियों की नींद उड़ा दी है।
वर्ष 1996 बैच के IPS अभिनव कुमार अपनी ईमानदार छवि और बेबाकी के लिए अधिकारियों और जनता के बीच खासे लोकप्रिय हैं। छठे वेतन आयोग की खामियों पर जिस बेबाकी से अभिनव ने टिप्पणियां की उससे तत्कालीन प्रशासनिक जगत में खलबली मच गई थी। आमिर खान के TV शो सत्यमेव जयते में भी पुलिस व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करने पर काफी आलोचना भी हुई लेकिन आलोचनाओं से भी आगे देखने का माद्दा रखने वाले अभिनव कुमार मुख्यमंत्री सचिवालय में क्या अपर सचिव के पद को स्वीकार करेंगे जबकि वह वर्ष 2010-11 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अपर सचिव रह चुके है। 10 वर्ष बाद जब वह आई जी के पद पर प्रोन्नत हो चुके हैं और उनके बैच के आईएएस अधिकारी शासन में सचिव के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे है ।
यह वही अभिनव कुमार है जिन्हें अक्टूबर 2011 में रुद्रपुर में हुए दंगों पर काबू करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री मेजर जनरल(रिटायर्ड) भुवन चंद्र खंडूरी ने उधमसिंहनगर का SSP बनाकर भेजा और डीआईजी रैंक में प्रोन्नत होने के बावजूद भी वस्तुस्थिति की चुनौती को स्वीकार करते हुए वहां गए और स्थिति सामान्य होने के बाद वापस शासन को पत्र लिखकर कि “यह पद SSP का है और मैं डीआईजी हूं अतः किसी अन्य अफसर को जिले की कमान सौंपी जाए”। यह कहकर वहां से हटने की इच्छा जाहिर की । आज जहां IPS अधिकारियों में जिले की पोस्टिंग को लेकर तमाम नेताओं मंत्रियों विधायकों के यहां खूंटे गाड़े रहते हैं, अभिनव कुमार की यह छवि ही उन्हें सबसे अलग करती है। यह सब देख कर लगता है कि यदि राज्य सरकार उन्हें फिर से अपर सचिव के पद पर नियुक्त करेगी तो वह इसे ठुकरा देंगे।
सत्ता के गलियारों में चर्चा तो यह भी है कि मुख्यमंत्री सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी पर लगाम कसने के लिए केंद्र अभिनव कुमार को उत्तराखंड भेज रहा है, जिसने राज्य में वरिष्ठ नौकरशाहों की नींद उड़ा रखी है।