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पर्वतजन की खबरों  से बौखलाए पत्रकार ! दी मां-बहन की गालियां ! मुकदमा दर्ज

December 3, 2017
in पर्वतजन
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पर्वतजन पत्रिका ने अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के घपले-घोटालों को लेकर जो सीरीज चलाई है,उससे श्री ओम प्रकाश अथवा उनके संरक्षकों पर कोई फर्क पड़ा हो या नहीं लेकिन कुछ पत्रकारों में जरूर भारी बौखलाहट है।

पिछले दिनों ओम प्रकाश पार्ट 6 पर्वतजन ने खबर प्रकाशित की थी कि “सीएम त्रिवेंद्र को ले डूबेगा ओमप्रकाश का मोह” इस खबर को एच एन एन नामक न्यूज़ चैनल में सीनियर पोस्ट पर कार्य करने वाले अजय ढौंडियाल नाम के पत्रकार ने कई WhatsApp ग्रुपों में शेयर करते हुए इसके नीचे पर्वतजन के पत्रकारों के लिए मां-बहिन की गालियां लिख दी।

जब ‘चौपाल’ नाम के WhatsApp ग्रुप में गालियां पोस्ट करने पर WhatsApp ग्रुप के एक सदस्य ने पूछा कि सार्वजनिक रूप से गालियां लिखने का क्या आधार है! और क्या वह होश में है! तो गालियां लिखने वाले पत्रकार अजय ढौंडियाल ने ग्रुप के सदस्य को भी खूब खरी खोटी सुनाई और रिप्लाई में लिखा उनके पास पूरा आधार है और वह पूरे होश में है।

यह सब लिखने के बाद भी WhatsApp ग्रुप ‘चौपाल’ तथा ‘खोजी नारद ब्रेकिंग न्यूज़’ नाम के WhatsApp ग्रुप के एडमिन क्रमशः सुरेंद्र अग्रवाल और अमित सहगल नाम के व्यक्तियों ने न तो गालियां लिखने वाले पत्रकार को ग्रुप से रिमूव किया, न ही उनके द्वारा लिखी गई पोस्ट को मिटाया और न ही किसी प्रकार का खेद व्यक्त किया।

इसका परिणाम यह हुआ कि इन सभी गालियों का प्रसारण सभी ग्रुपों में होता रहा और ग्रुप से जुड़े लगभग सभी सदस्यों ने  यह प्रसारण पढा। इससे पत्रकार जगत से जुड़े लोग स्तब्ध रह गए। गौरतलब है कि एडमिन श्री अग्रवाल और श्री सहगल भी मीडिया जगत से ही जुड़े हैं। सुरेंद्र अग्रवाल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मीडिया कोर्डिनेटर हैं और अमित सहगल खोजी नारद नाम से अखबार तथा न्यूज़ पोर्टल संचालित करते हैं।

जब पर्वतजन को गाली गलौज से संबंधित हरकत का पता चला तो उन्होंने देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाने में WhatsApp ग्रुप के एडमिन तथा गाली लिखने वाले पत्रकार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

देहरादून के साइबर सेल ने जांच पड़ताल करके इन सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। गालियां देने वाले पत्रकार श्री ढौंडियाल ने जो लिखा उस पर एक नजर– ‘ओम प्रकाश ओम प्रकाश चिल्ला रहा है मादर_____। ऐसे हरामजादे_____हैं। कंटेंट दो सा__। इसके अलावा पत्रकार ने अपने न्यूज़ चैनल में भी यह सब चलाने की धमकी दी।हालांकि चैनल प्रबंधन ने तत्काल इसे उक्त पत्रकार का व्यक्तिगत मामला बताते हुए खुद को इस वक्तब्य से अलग कर लिया।

पिछले कुछ समय से मीडिया जगत में एक नया ट्रेंड उत्तराखंड में भी देखने में आ रहा है कि जब भी सत्ता प्रतिष्ठानों से जुड़ी कोई खबर प्रकाशित होती है तो दूसरे मीडिया संस्थानों का कोई पत्रकार खबर के अन्य पहलुओं को सामने लाने के बजाए खबर लिखने वाले पत्रकार को ही निशाना बनाने लगते हैं

पर्वतजन से जुड़े पाठकों को मालूम है कि पर्वतजन सूबे के सबसे ताकतवर नौकरशाह ओमप्रकाश के घपले-घोटालों पर एक शिरीज प्रकाशित कर रहा है। इससे श्री ओम प्रकाश पर केंद्रीय जांच एजेंसियों की भी नजर है और केंद्र सरकार से जुड़े अफसरों ने भी इसका संज्ञान लिया है। इससे जल्दी ही ओम प्रकाश से जुड़े घपले-घोटालों की जांच होने की संभावना बढ़ गई है।

ओमप्रकाश को मुसीबत में देखकर उनसे जुड़े बिहारी मूल के पत्रकारों ने बाकायदा ओम प्रकाश को बचाने के लिए पर्वतजन के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। बिहारी महासभा के संरक्षक स्वयं ओमप्रकाश हैं और इसके अन्य पदाधिकारी पत्रकारों ने पर्वतजन के खिलाफ अनर्गल खबरें चलानी शुरू कर दी हैं। क्योंकि उनके पास संभवतः ओमप्रकाश के पक्ष में लिखने के लिए कुछ नहीं है।

खुद को फोकस टीवी नाम के चैनल का ब्यूरो चीफ लिखने वाले चंदन झा नाम के पत्रकार ने अपने एक और अखबार मे लिखा है कि “राजा के खिलाफ नहीं लिख सके तो वजीर के खिलाफ लिख रहे हैं”।

अखबार के लिखने का मतलब है कि मुख्यमंत्री इतने ईमानदार हैं कि उनके खिलाफ कुछ नहीं मिला तो वजीर यानी कि ओमप्रकाश के खिलाफ लिखा जा रहा है।

एक तरफ बिहार के पत्रकार ओमप्रकाश के पक्ष में एकजुट हो रहे हैं तो दूसरी तरफ उत्तराखंड के पत्रकारों ने भी पर्वतजन को निशाने पर ले लिया है।( parvatjan dont support the  thoughts of area based journalism)

बहरहाल पर्वतजन के पत्रकारों के खिलाफ गालियां लिखने से पर्वतजन के अन्य रिपोर्टर भी विभिन्न जिलों से मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने जा रहे हैं। कुछ पत्रकार मानहानि का सिविल मुकदमा दर्ज करा कर क्षतिपूर्ति लेने के पक्षधर हैं तो कुछ क्रिमिनल में मानहानि का वाद दर्ज करा कर दोषियों को सजा दिलाए जाने के इच्छुक हैं।

पर्वतजन का मानना है कि इससे भले ही WhatsApp ग्रुप में गालियां लिखने वाले एक दो व्यक्तियों को सबक मिल जाएगा, किंतु इस प्रकरण से सभी को सीख जरूर मिल जाएगी कि WhatsApp जैसे सोशल मीडिया के साधनों का इस्तेमाल सावधानी से और जिम्मेदारी पूर्वक करना चाहिए.


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