आवासीय बालिका विद्यालय में पानी की किल्लत।
सुबह शाम पानी ढोने को मजबूर हैं बच्चे।
कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय चिन्यालीसौड़ का मामला।
जानकारी के बावजूद शिकायत पर ध्यान नही देता विभाग।
गिरीश गैरोला
सर्व शिक्षा अभियान के तहत ‘सब पढ़े, सब बढ़े’ के नारे को ऊत्तरकाशी जल संस्थान और शिक्षा विभाग पलीता लगाने में जुटे हैं। सुदूर इलाकों से बेहतर शिक्षा लेने की उम्मीद से जनपद उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ कस्बे में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय इस उद्देश्य से बनाया गया है ताकि गरीबी के चलते अथवा स्कूल दूर होने के कारण कोई भी बालिका अशिक्षित न रह जाय। इस आवासीय विद्यालय में अनुसूचित जाति , जनजाति और समाज के अति गरीब परिवार की बालिकाओं को प्रवेश दिया जाता है। किंतु जल संस्थान की लापरवाही के चलते पढ़ाई की बजाय छात्राओं का अधिकतम समय पीने, नहाने , बर्तन धोने और टॉयलेट के लिए हैंडपंप से पानी ढोने में लग जाता है।
मीडिया की टीम जब विद्यालय में पंहुची तो देखा ज्यादातर बालिकाएं अपने हिस्से का पानी हैंडपम्प से ढोने में लगी थी उन्होंने बताया कि सुबह श्याम दोनों समय पानी ढोना पड़ता है। सबसे ज्यादा पानी टॉयलेट के लिए चाहिए होता है। पानी कम होने से 84 बच्चों वाले इस आवासीय विद्यालय के टॉयलेट से बदबू आने लगती है। गर्मियों के समय इसके चलते बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है।
स्कूल की छात्रा रेशमा चौहान और एकता ने बताया कि बिना पानी के सब काम अधूरा रहता है और पुछले 7 महीने से पानी नही आ रहा है। लिहाजा हैंड पम्प से ही ढोकर पानी ले जाने में काफी समय बर्बाद हो जाता है।
विद्यालय की वार्डन शैला नेगी छुट्टी पर थी। लिहाजा स्कूल में मौजूद अस्थायी शिक्षिका रेखा निराला और शोभा असवाल ने बताया कि पानी की किल्लत के लिए जिला प्रशासन व जल संस्थान को कई बार बताया जा चुका है, किंतु कोई असर नही हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले 7 महीने से ऐसे ही पानी की किल्लत चल रही है। साथ ही सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत 6 से 8 तक 50 बालिकाओं के लिये ही यहां व्यवस्था थी जबकि 84 बालिकाओं को यहां रखा जा रहा है। दरअसल रमसा के अंतर्गत 11 से 12 कक्षा तक की छात्राओं के लिए अलग भवन तैयार हो चुका है। जिसके लिए शिक्षकों के साक्षात्कार भी हो चुके हैं किन्तु वहां नए भवन में अभी तक उन्हें शिफ्ट नही किया गया है।
जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक रॉय सिंह रावत ने बताया कि उनकी जानकारी में है किंतु इस वर्ष के बजट में इसके लिए प्राविधान किया जाएगा तब तक हैंड पम्प से ही पानी लेना होगा। साथ ही जल संस्थान की लाइन पर पानी क्यों पर्याप्त नही मिल रहा है इसके लिए विभाग को लिखा जाएगा।