फिलहाल पुल निर्माण होने तक इस स्थान पर लोहे की ट्रॉली से ग्रामीण आर पार हो रहे है। निर्माण को लेकर लोक निर्माण विभाग वर्ल्ड बैंक सवालों के घेरे में।
नालुणा पुल पर लगने वाला लोहा जांच में फेल। जुगाड़ बाजी से उसी लोहे को दुबारा लगाने कोशिश में जुटे विभागीय अधिकारी
गिरीश गैरोला//
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नालुणा के पास भागीरथी नदी पार स्याबा गांव को जोड़ने वाले पुल में प्रयोग होने वाला लोहा आईआईटी रुड़की की जांच लैब में फेल पाया गया है। विभाग के अधिकारी जोड़-तोड़ करके ऐसी घटिया लोहे को पुल में लगाने के प्रयास में लगे हैं ।विभाग के अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा ने बताया कि वह किसी कार्य से स्टेशन से बाहर जा रहे हैं । पुल का लोहा जांच में फेल होने के सवाल पर अधिशासी अभियंता इंजीनियरिंग कोड का हवाला देते हुए दो अन्य निजी लैब से जांच कर इसी घटिया लोहे को पुल में लगाने में के प्रयास में लगे हैं। विभाग के सहायक अभियंता अभिषेक तिवारी ने बताया किया 110 मीटर स्पान के इस पुल की लागत साढ़े 5 करोड़ है। जिसका निर्माण कार्य अप्रैल 2016 में शुरू हुआ था और मार्च 2018 में इसे पूरा होना है। उन्होंने बताया कि यह पुल लाइट व्हीकल के लिए है और केवल स्यबा गांव को लाभांवित करने के लिए बनाया गया है । उन्होंने बताया कि 20 mm की 350 तनन क्षमता की लोहे की प्लेट सैंपल में फेल हुए हैं जिसके लिए ठेकेदार को 15 दिन में प्लेटों को बदलने का निर्देश दिए गए हैं । सबसे बड़ा सवाल ये है कि अभी तक गांव को जोड़ने वाले पैदल पुल में 250 तनन क्षमता की प्लेट्स इस्तेमाल की जाती रही हैं, इसके बावजूद भी 350 तनन क्षमता की प्लेट्स कीमत बढ़ाने के लिए प्रयोग की गई और वह भी फेल हो गई।
जान कारो की माने तो मटेरियल साइट पर पहुंचने से पहुंचने के तुरंत बाद मटेरियल की जांच की जानी जरूरी होती है , जो नहीं की गई ।इससे बड़ा सवाल अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा के बयान को लेकर है जो आईआईटी रुड़की से सैंपल के फेल होने के बाद भी निजी लैब से इसे पास करवा कर पुल पर लगाने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। यदि यही घटिया लोहा पुल पर लगा तो कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
बताते चले कि वर्ष 2012 -13 की आपदा में पुल ध्वस्त हुआ था जिसे पुनर्निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग वर्ड बैंक को जिम्मेदारी दी गयी थी।
गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर नालुणा के पास भागीरथी नदी पार स्याबा गांव को जोड़ने वाले पुल में प्रयोग होने वाला लोहा आईआईटी रुड़की की जांच लैब में फेल पाया गया है। विभाग के अधिकारी जोड़-तोड़ करके ऐसी घटिया लोहे को पुल में लगाने के प्रयास में लगे हैं ।विभाग के अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा ने बताया कि वह किसी कार्य से स्टेशन से बाहर जा रहे हैं । पुल का लोहा जांच में फेल होने के सवाल पर अधिशासी अभियंता इंजीनियरिंग कोड का हवाला देते हुए दो अन्य निजी लैब से जांच कर इसी घटिया लोहे को पुल में लगाने में के प्रयास में लगे हैं। विभाग के सहायक अभियंता अभिषेक तिवारी ने बताया किया 110 मीटर स्पान के इस पुल की लागत साढ़े 5 करोड़ है। जिसका निर्माण कार्य अप्रैल 2016 में शुरू हुआ था और मार्च 2018 में इसे पूरा होना है। उन्होंने बताया कि यह पुल लाइट व्हीकल के लिए है और केवल स्यबा गांव को लाभांवित करने के लिए बनाया गया है । उन्होंने बताया कि 20 mm की 350 तनन क्षमता की लोहे की प्लेट सैंपल में फेल हुए हैं जिसके लिए ठेकेदार को 15 दिन में प्लेटों को बदलने का निर्देश दिए गए हैं । सबसे बड़ा सवाल ये है कि अभी तक गांव को जोड़ने वाले पैदल पुल में 250 तनन क्षमता की प्लेट्स इस्तेमाल की जाती रही हैं, इसके बावजूद भी 350 तनन क्षमता की प्लेट्स कीमत बढ़ाने के लिए प्रयोग की गई और वह भी फेल हो गई।
जान कारो की माने तो मटेरियल साइट पर पहुंचने से पहुंचने के तुरंत बाद मटेरियल की जांच की जानी जरूरी होती है , जो नहीं की गई ।इससे बड़ा सवाल अधिशासी अभियंता रमेश चंद्रा के बयान को लेकर है जो आईआईटी रुड़की से सैंपल के फेल होने के बाद भी निजी लैब से इसे पास करवा कर पुल पर लगाने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। यदि यही घटिया लोहा पुल पर लगा तो कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
बताते चले कि वर्ष 2012 -13 की आपदा में पुल ध्वस्त हुआ था जिसे पुनर्निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग वर्ड बैंक को जिम्मेदारी दी गयी थी।