षडयंत्रों का केंद्र बना भाजपा कार्यालय
उत्तराखंड बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। इन दिनों प्रचंड बहुमत की डबल इंजन वाली सरकार के चलते संगठन के लोग हाशिये पर हैं तो कार्यालय में सरकार की खाल खींचने के लिए अलग-अलग स्तर पर काम जारी है। सरकार को एक साल पूरा होने वाला है, लेकिन अभी तक कई कद्दावर विधायकों और पुराने भाजपा नेताओं के मन में अभी तक सरकार की मुख्यधारा में दायित्व न मिलने के कारण बेसब्री छलकने लगी है। ये नेता सर्दियों की गुनगुनी धूप में प्रदेश कार्यालय के आंगन में कुर्सी लगाकर सरकार के खिलाफ माहौल गर्माने के लिए समानुभूति वाले समकक्षों की ताक में रहते हैं और मौका मिलते ही डबल इंजन की सरकार को गरियाना शुरू कर देते हैं। अंदर कैबिनेट मंत्री जनता दरबार लगा रहे होते हैं और बाहर ये नेता फरियादियों को उनकी फरियाद फिजूल जाने पर उकसाते नजर आते हैं। डबल इंजन के खिलाफ इस तरह के षडयंत्रों की खबर कुछ लोगों ने सरकार के मुखिया के कान तक भी पहुंचा दी है।
यूं तो भारतीय जनता पार्टी गाय-गंगा से लेकर राम मंदिर और हवन पूजा-पाठ के मामले में सुबह से शाम तक वोट बटोरने का काम करती रहती है, किंतु उत्तराखंड के भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर बदनामी की छाया से अभी तक पार नहीं पा सकी है। यह एक ऐसा कार्यालय है, जहां एक कमरे में बैठा आदमी दूसरे के खिलाफ और दूसरे कमरे में बैठा आदमी तीसरे के खिलाफ षडयंत्र करता आराम से दिखाई दे सकता है।
उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद भारतीय जनता पार्टी के समर्थक व्यवसायी प्रकाश पांडे द्वारा भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में जहर खाने के बाद मौत का ताजा मामला भी उसी छाया के कारण बताया जा रहा है। अन्यथा पूरे देश में कारोबारी कारोबार चौपट होने के कारण परेशान हैं, लेकिन उत्तराखंड के भाजपा कार्यालय पर ही इसका ठीकरा फूटा। सरकार बनते ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए मंत्री का एक वीडियो तब प्रदेश कार्यालय की छत पर बनाया गया, जब वो भारतीय जनता पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों के सामने मां-बहिन की गाली देकर अपने प्रतिद्वंदियों को पार्टी से बाहर करने के लिए दबाव बना रहा था।
उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय से २७ लाख रुपए की चोरी, जो कि अघोषित रूप से तब ढाई करोड़ रुपए की बताई जाती थी, के चोरों से आज तक परदा नहीं उठ पाया। हालांकि बाद में भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा यह भी बताया गया कि चोर बाहरी नहीं था, इसलिए मामला ठंडा कर दिया गया।
उत्तराखंड में पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय की सीवर लाइनें चोक होने का बवाल तो भाजपा हाईकमान तक भी पहुंचा कि यह कार्यालय किस प्रकार अय्याशी का अड्डा बन चुका है। चुनाव सर पर आता देख हाईकमान ने डांट-डपटकर मामले को शांत किया कि भविष्य में अब इस तरह की कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए। इस बीच भाजपा के एक कार्यकर्ता द्वारा इसी प्रदेश कार्यालय में अपने एक नेता को रंगे हाथ पकड़वाने के लिए गेट पर बाहर से ताला मार दिया गया था, ताकि अय्याश किस्म का नेता भागने न पाए।
इस कार्यालय के एक कमरे के बाहर कुछ दिन पहले लिखी एक पर्ची तब खूब चर्चा में आई, जिस पर लिखा था कि दरवाजा अंदर से बंद होने की स्थिति में खटखटाएं नहीं। यह बड़े होटलों में डॉन्ट डिस्टर्ब टाइप छपा हुआ था।
विधानसभा चुनाव २०१७ के दौरान टिकट न मिलने पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं द्वारा पूरे कार्यालय में तोड़-फोड़ और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के फोटो जलाने का मामला भी कई दिनों तक छाया रहा।
२००७ के विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर पूर्व विधायक मालचन्द और सूरतराम नौटियाल के समर्थकों ने प्रदेश कार्यालय के बाहर भारतीय जनता पार्टी के झंडे तक फूंक डाले। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय स्तर के कई पदाधिकारियों का रात्रि प्रवास का सबसे सुलभ यह कार्यालय वास्तव में किसी बड़ी प्रेत छाया का जरूर शिकार है, ऐसा भारतीय जनता पार्टी के नेता ही बताते हैं।