पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result

Home पर्वतजन

भाभी जी घर पर हैं: विश्वविद्यालय से वेतन और गाड़ी की मौज!

December 14, 2017
in पर्वतजन
ShareShareShare

पर्वतजन की खबर का हुआ असर, आयुर्वेद विवि के उपकुलसचिव ने पर्वतजन द्वारा किए खुलासों पर लगाई मुहर, घोटालों पर लिया संज्ञान

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव ने विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों, कर्मचारियों पर किया कड़ा प्रहार, संरक्षण कर्ताओं को दिखाया आईना
आये दिन विभिन्न प्रकार के विवादों और भ्रष्टाचार को लेकर सुर्खियो में रहने वाले इस विश्वविद्यालय के उपकुलसचिव डॉ. राजेश कुमार द्वारा एक सप्ताह के अंदर भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध किए गए दो कठोर कार्यवाहियों से अब तक विश्वविद्यालय के विरुद्ध लगते रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की पुष्टि हो गयी है और इसको लेकर प्रशासनिक भवन में हड़कंप मच गया है। जिसको लेकर भ्रष्टाचारियों को संरक्षण प्रदान करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के भी हाथ-पांव फूल गये हैं।
ज्ञात हो पिछले सप्ताह उपकुलसचिव द्वारा विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रकार के 292 पदों पर होने वाली नियुक्तियों हेतु आवेदकों के दस्तावेजों में

छेड़छाड़ करने वाले माफियाओं के विरुद्ध इनके द्वारा कड़ा प्रहार किया गया था। जिसको लेकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा इनसे स्पष्टीकरण भी आनन-फानन में मांगा गया था, परंतु उसके बावजूद भी इस कर्मठ अधिकारी ने बिना विचलित हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध 12 दिसंबर को दूसरा बड़ा हमला करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के काले कारनामों को बेनकाब कर भ्रष्टाचारियों की नींव हिला दिया।
उप कुलसचिव महोदय ने अपने इस ताजे हमले में विश्वविद्यालय के सबसे चर्चित एवं विवादित पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मुकुल काला, जिन्हें डी.के. कोटिया, सचिव उत्तराखंड शासन के पत्रांक सं. 4/जी. आई./xxx(2)/2007 दिनांक 12 मार्च 2007 के माध्यम से सरकारी सेवकों के प्रतिनियुक्त हेतु जारी दिशा निर्देशो को दरकिनार कर पूर्व से लेकर वर्तमान विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय के बिना सृजित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर बनाये रखा गया था, जो कि यहां से कार्यमुक्त होने के बावजूद नियमित रूप से उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के साथ-साथ विभागी

य कार्य भी कर रहे हैं, जबकि इनकी विवादित कार्यपद्धतियों और अनियमित प्रतिनियुक्त विस्तार के विरुद्ध कई बार सख्त प्रतिकूल टिप्पणी पूर्व कुलपति डा. एस.पी. मिश्रा जी, डॉ. सौदान सिंह जी कर चुके हैं। यही नहीं पूर्व कुलपति डा. सौदान सिंह जी ने तो इनको निलंबित कर तत्काल इनके मूल विभाग को भेजने की कार्यवाही जून 2017 में प्रारंभ कर दिया था। इन महान कुलपतियों के साथ-साथ इनको यहां लाने वाले स्वयंभू कुलसचिव समेत दो अन्य उप कुलसचिवों ने भी अनेकों बार संगीन आरोप लगाते हुए प्रतिकूल टिप्पणियों के साथ स्पष्टीकरण मांग चुके हैं और अनियमित कार्यो के लिए कई अनुस्मारक पत्र भी जारी कर चुके हैं, परंतु इन्हें कुछ प्रबल संरक्षणकर्ताओं के प्रभाव में यहां से हटाने में असफल रहे हैं।
उप कुलसचिव की इसी कार्यवाही में विश्वविद्यालय का वह भ्रष्टाचार भी उजागर हो गया, जिसकी चर्चा पहले भी मीडिया में हो चुकी है, जो कि अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर पूर्व स्वयंभू कुलसचिव द्वारा की गई अवैध नियुक्तियों से जुड़ा है। जिन्होंने उन्हीं अवैध नियुक्तियों के कुछ कर्मचारियों को अपने आवास को कैम्प कार्यालय तैनाती दिखा कर उनका उपयोग अपने निजी कार्यो के लिए किया था और आज तक भी यहां से जाने के उपरांत कर रहे हैं, जबकि कैम्प कार्यालय देश के उन विभागों के मुखियाओं के आवासों को बनाया जाता है जो देश को आकस्मिक सेवाएं प्रदान करते हैं, परन्तु यह विश्वविद्यालय न तो आकस्मिक सेवाएं प्रदान करता है और न ही वह संस्था प्रमुख थे। इसका लिखित विरोध तत्कालीन कुलपति डॉ. एस.पी. मिश्रा ने सचिव उत्तराखंड शासन से किया था, जिसमें उन्होंने इनके द्वारा फर्जी तरीके से अपने ही भाई की पत्नी आरती को कनिष्ठ सहायक के पद पर नियुक्त दिखाकर नियमित वेतन आहरित कराया, जो कि उनके जाने के बाद भी जारी है, जबकि विश्वविद्यालय का कोई भी कर्मी उन्हें पहचानता भी नहीं तो भला वह कौन सी सेवाएं दे रही है।
यही नहीं उन्होंने अवैध रूप से अन्य कर्मियों और वाहनों को भी उनके द्वारा अपने निजी उपयोग में प्रयोग करने का भी आरोप लगाया था, जो कि वर्तमान में भी जारी है, क्योंकि वाहन चालक अवतार सिंह आज तक विश्वविद्यालय की सबसे नई बोलेरो गाड़ी, जिसका नं. uk07GA  1753 है, लेकर गायब है, जिसके रखरखाव और उसके ईंधन का भुगतान तक विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा है, परंतु उपयोग कौन कर रहा है। इसकी आधिकारिक सूचना नहीं है। इसी तरह परिचारक सुरजीत लाल, माली अमर सिंह और परिचारक यशपाल सेमवाल आदि के वेतन का भुगतान बिना उपस्थित पंजिका में हस्ताक्षर किए विश्वविद्यालय द्वारा ही नियमित रूप से किया जा रहा है, परंतु वह सेवाएं कहां दे रहे हैं, उसकी भी आधिकारिक सूचना किसी को नहीं।


Previous Post

दो भाईयों के बीच फंसे त्रिवेंद्र रावत!

Next Post

सीएम की वीआईपी विधानसभा : इलाज को नही धागा, नाम चंद्रभागा !!

Next Post

सीएम की वीआईपी विधानसभा : इलाज को नही धागा, नाम चंद्रभागा !!

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बिग ब्रेकिंग: कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसले ..
  • हाईकोर्ट सख्त: नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सोशल मीडिया ट्रोलिंग पर SSP से मांगी रिपोर्ट। अभद्र पोस्टों की जांच के निर्देश..
  • बड़ी खबर : गोल्डन कार्ड धारकों की परेशानी जल्द होगी दूर। स्वस्थ मंत्री ने दिए सख्त निर्देश..
  • अपराध : तमंचे के बल पर नाबालिग से दुष्कर्म। आरोपी गिरफ्तार ..
  • हाइकोर्ट न्यूज: हेलीकॉप्टर लीज घोटाले में 9.5 लाख रुपये लौटाने का आदेश..
  • Highcourt
  • उत्तराखंड
  • ऋृण
  • निवेश
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • हेल्थ
May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
« Apr    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • इनश्योरेंस
  • निवेश
  • ऋृण
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!