उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार आने के बाद भले ही कोई दूसरा मंत्री या विधायक मुख्यमंत्री के नजदीक न दिखाई दे रहा हो, किंतु आश्चर्यजनक रूप से कल तक के एक दूसरे के प्रतिद्वंदी रहे चौथी बार के विधायक और दूसरी बार के मंत्री मदन कौशिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के सबसे नजदीक हैं।
उत्तराखंड के लोगों ने यदि तिवारी सरकार के दौरान इंदिरा हृदयेश को काम करते हुए देखा हो और आज यदि वे उत्तराखंड में मदन कौशिक को काम करते हुए देख रहे हों तो स्पष्ट हो जाएगा कि आज मदन कौशिक त्रिवेंद्र रावत सरकार में इंदिरा हृदयेश की भांति पावरफुल हैं।
सरकार का तमाम विषयों पर बचाव करने वाले मदन कौशिक सदन से लेकर मीडिया तक त्रिवेंद्र रावत की ढाल बनकर यूं ही नहीं घूम रहे हैं। मदन कौशिक के पास शहरी विकास से लेकर आवास जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं। साथ ही पर्सनल ब्रांडिंग के लिए उन्हें सूचना विभाग द्वारा एक स्पेशल सूचना अधिकारी भी प्रदान किया गया है।
उत्तराखंड गठन के बाद यह पहला अवसर है, जब किसी मंत्री को बाकायदा एक सूचना अधिकारी भी दिया गया है। मदन कौशिक का सपना भी उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनना रहा है। वर्ष २०११ में खंडूड़ी सरकार के दूसरे कार्यकाल में तिलकराज बेहड़ के साथ मदन कौशिक ने तराई से उप मुख्यमंत्री बनाए जाने की भी मांग की थी और अपनी राजनीति को और पुख्ता करने के लिए मदन कौशिक तब गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने के लिए सदन में प्राइवेट मेंबर बिल भी लेकर आए थे।
पिछले दिनों नगरपालिकाओं, नगर पंचायतों, नगर निगमों के परिसीमन के बाद आश्चर्यजनक रूप से सभी क्षेत्रों में बड़े स्तर पर मदन कौशिक के होर्डिंग लगे और यह दर्शाने की कोशिश की गई कि मदन कौशिक काफी ताकतवर हैं। मदन कौशिक के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र में मिलाने का बहुत बड़ा खेल बहुत ही अचूक तरीके से खेला गया। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमाफियाओं द्वारा खरीदी गई भूमि का लैंड यूज शहरी क्षेत्रों में जुडऩे से स्वत: बदल गया। जाहिर है इतने बड़े खेल में मदन कौशिक का मुख्यमंत्री के साथ शामिल रहना बड़ी बात है।
मुख्यमंत्री की दौड़ में पिछड़े मदन कौशिक के मन में मुख्यमंत्री बनने से ज्यादा बड़ी टीस इस बात की है कि २००९ के लोकसभा चुनाव में उन्हें लोकसभा हरिद्वार का टिकट देने के बाद काटकर स्वामी यतींद्रानंद को दे दिया गया। यतींद्रानंद की हार के बाद २०१४ में भी मदन कौशिक ने दावेदारी की, किंतु तब पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से प्रत्याशी होकर संसद पहुंच गए।
२०१९ के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मदन कौशिक का हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में बड़े स्तर पर स्वयं का प्रचार-प्रसार करवाना काफी कुछ कहता है। हरिद्वार में मदन कौशिक और सतपाल महाराज समर्थकों के बीच की मारपीट का मामला अमित शाह तक पहुंचने के बाद मदन और मुख्यमंत्री के बीच की यह ट्रीटी गिव एंड टेक की तो है ही, साथ ही प्रतिद्वंद्वियों को निपटाने की भी है।