गिरीश गैरोला
लेडीज की हत्या हुई या आत्महत्या ! कप्तान ने ही पलटी मित्र पुलिस की कहानी
उत्तरकाशी मुख्यालय से लगे इंद्रा कॉलोनी में महिला की हत्या हुई या आत्महत्या
पुलिस की कार्यवाही पर उठे सवाल
इंद्रा कॉलोनी में महिला द्वारा आत्महत्या की
पुलिसिया कहानी को उनके ही कप्तान ने
मौके पर जांच के बाद पलट दिया है। अब तक महिला द्वारा खुद पर बन्द कमरे में केरोसिन छिड़क कर आग लगाने व उसके बाद कमरे की कुंडी खोलकर घर के सामने की खाई में कूदने की पुलिस की कहानी को उनके ही पड़ोसियों ने झूठा करार दिया है। मौके पर पहुचे एसपी ददन पाल को पड़ोसियों ने बताया कि शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ बजे उन्होंने देखा कि आग लगी महिला को उसके पति सलीम ने ही लात मारकर खाई में गिरा दिया था। जिसके बाद टार्च की रोशनी में मृतक महिला के देवर राजाक ने कंबल में लपेट कर महिला को ऊपर लाया था। इतना ही नही पड़ोसियों ने सुबह के समय सीओ सहित पुलिस फ़ोर्स के मौके पर आने की बात को भी एसपी के सामने ही झूठा करार दिया।
इससे पूर्व कोतवाली ऊत्तरकाशी पुलिस शुक्रवार रात को हुई इस घटना को आत्महत्या बताने पर तुली हुई थी।
दरअसल कहानी पर शक की सुई तब घूमी जब सात साढ़े नौ बजे की आग लगने की घटना पर चिल्लाकर भागने वाली महिला की चीख पुकार किसी ने नही सुनी वाली पुलिसिया कहानी मीडिया को हजम नही हुई। जिस कमरे में आग लगना बताया गया वहाँ मिट्टी तेल का डब्बा जरूर रखा था और उसकी महक भी कमरे में आ रही थी किन्तु कमरे में किसी भी चीज के जलने के कोई सबूत नही मिले। जैसा कि आग लगने के बाद इंसान छटपटाहट में भागता है।
घटना के पांच घंटे बाद पुलिस को सूचना दी गयी। जाहिर है इस बीच बनाई गई कहानी में किसको क्या कहना है, इस पर चर्चा हुई होगी। ताकि कहानी पर किसी को शक न हो।इतना ही नही कुछ दिन पूर्व महिला के किसी पड़ोसी से हुए झगड़े के बाद सर में लगी चोट और मेडिकल रिपोर्ट में सर में क्लॉट बनने के बयान से यह जताने की कोशिश की गई कि महिला की मानसिक स्थिति ठीक नही थी।
मृतक महिला के 7 वर्षीय बेटे ने एसपी को बताया कि वह उस वक्त उसी स्थान पर मौजूद था। जहाँ से महिला को गिरना बताया गया। जबकि आरोपी की कहानी में वो उस वक्त अपने इसी बेटे के साथ बगल वाले कमरे में tv देख रहे थे और आग लगने की सूचना मिलने के बाद वे जब अंदर से बंद दरवाजे से भीतर नही घुस सके तो छत तोड़कर उसे बचाने का प्रयास कर रहे थे।
जबकि पड़ोसियों के एसपी के सामने मौक़े पर दिए गए बयान से ये कहानी भी झूटी साबित हुई। मृतक महिला के देवर राजाक ने बताया कि आग से जलती महिला को उसके पति सलीम ने बोरा डालकर बचाने का प्रयास किया जबकि उसने कंबल लेकर उसे बचाने का प्रयास किया किन्तु आग लगने के वक्त वो कहाँ था इस प्रश्न के जबाब में मृतका का देवर राजाक बोला कि जब पूरा खेल हो गया तब वो खाना खाने के बाद मौके पर पहुंचा ।
अब सवाल ये है कि जब पड़ोसियों ने घटना में महिला को खाई में गिराते हुए आरोपियों को देखा था तो पुलिस किसके दबाव में झूटी कहानी रच रही थी! अब बेचारे गवाही देने वालों पर पूछताछ का दबाव मजदूरी का काम छोड़कर कोर्ट कचहरी जाने की चिंता सो अलग। बहरहाल मृतक महिला के भाई गुल मोहमद अंसारी ने मीडिया को बताया कि 10 वर्ष से उसका पति उसे परेशान कर रहा था। इससे पूर्व भी उसे गर्म चाय से जलाया गया था और एक घटना के बाद तो तीन दिन तक महिला को एक लैट्रिन के गड्ढे में अपने बच्चों के साथ रहना पड़ा था। हालांकि उसके बाद दोनो में समझौता हुआ । इतना ही नही एक महीने पूर्व भी पुलिस में शिकायत लिखित में दी गयी थी। पर लगता है पुलिस ने तब मामले को हल्के में लिया जो आज महिला की मौत के रूप में सामने आया। जिसे अब आत्महत्या दिखाने की पूरी कहानी रची गयी थी।
आरोपी द्वारा रची गयी कहानी में पिछले एक झगड़े के दौरान मृतक महिला के सर में लगी चोट की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर उसकी मानसिक स्थिति खराब बताकर कहानी में मोड़ देने का खूब प्रयास किया गया जिसे पड़ोसियों की गवाही ने झूठ करार दे दिया।
मृतका के देवर राजाक का बयान चौंकाने वाला है, जिसमे एक तरफ वह झुलसती महिला के शरीर पर कंबल डालकर बचाने की बात कहता है वहीं घटना के वक्त कंहा किस कमरे में था इस सवाल पर कहता है कि जब पूरा खेल हो गया उसके बाद खाना खाने कर बाद वहां पर आया था।
अब देखना है कि एसपी के सामने पुलिस की विवेचना की पोल खोलने वाले मजदूर तबके के पड़ोसियों को बयान देने लायक रखा जाता है या बयान पलटने को मजबूर होना पड़ेगा।अब कानून उहै ऐसा है गरीब मजदूर कोर्ट कचहरी में गवाही के लिए खड़ा होगा तो परिवार का पेट कैसे भरेगा !