१०८ नहीं मिली, लेकिन अनहोनी टली
गिरीश गैरोला, उत्तरकाशी
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गत दिवस १०८ की गाड़ी न मिलने के कारण एक महिला ने तामाखानी सुरंग में ही बच्चे को जन्म दे दिया। गनीमत यह रही है महिला की हालत ज्यादा नहीं बिगड़ी, नहीं तो उनके साथ कोई अनहोनी हो सकती थी।
इसे प्रदेशवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा या फिर स्वास्थ्य विभाग की बदहाली कि एक महिला को बीच रास्ते में एक सुरंग के अंदर बच्चे को जन्म देना पड़ा। उत्तरकाशी के धौंतरी की रहने वाली महिला संतोषी अपने मायके मातली इसलिए आई थी कि वहां से सरकारी अस्पताल नजदीक था। इस दौरान उसको प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। परिजनों ने १०८ को फोन लगाया तो वहां से जवाब मिला कि अभी गाड़ी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में करीब एक घंटे तक वह सड़क पर ही प्रसव पीड़ा से छटपटाती रही। इस दौरान उन्हें एक प्रेस की गाड़ी मिली तो परिजनों ने महिला को उसमें बिठा दिया और अस्पताल की ओर जाने लगे। इस बीच जब उनकी गाड़ी तामाखानी सुरंग के पास से गुजर रही थी तो इसी दौरान गाड़ी में ही संतोषी ने बच्चे को जन्म दे दिया। गनीमत यह रही कि उनके साथ कोई बड़ी समस्या नहीं खड़ी हुई।
इससे पहले भी पिछले शनिवार को मोरी में १०८ न मिलने के कारण निजी गाड़ी से पुरोला जा रही एक महिला ने वाहन में ही बच्चे को जन्म दे दिया था। इस तरह १०८ सेवा पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
इसके अलावा नवजात शिशुओं और प्रसूताओं के लिए चलाये जा रहे राष्ट्रीय जननी सुरक्षा कार्यक्रम की भी 108 सेवा धज्जियां उड़ाती हुई दिखाई दे रही है।
यह खबर जैसे ही मीडिया के पास पहुंची तो जिलाधिकारी ने तत्काल सीएमओ को एक सप्ताह के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हंै। प्रभारी सीएमओ मेजर बचन सिंह बताते हैं कि 108 कर्मी बहाना बनाकर सेवाएं देने से इस तरह टालमटोल नहीं कर सकते हैं। उन्हें खुशियों की सवारी के रूप में भी सेवा दी जा सकती थी।
कुल मिलाकर आमजन के साथ स्वास्थ्य विभाग का यह गैर जिम्मेदाराना व्यवहार समझ से परे है। यह सवाल भी उठता है कि क्या एक अस्पताल में एक ही एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई है। यदि ऐसा है तो एक समय में दो या तीन जगहों से कॉल आने पर १०८ गाड़ी एक ही जगह जा सकती है, जबकि अन्य दो जगहों के मरीजों को उनके हाल पर ही छोड़ दिया जाएगा। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि १०८ वाहनों की संख्या व उनकी उपलब्धता पर विचार करे। जिससे आम आदमी को समय रहते अस्पताल पहुंचाया जा सके और उसका उपचार हो सके।