कुमार दुष्यंत //
हरिद्वार। ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे, हनुमान जब नाम कहावे’ ये तो आपने खूब पढा और सुना होगा। लेकिन क्या कभी ऐसे हनुमानजी के बारे में भी सुना है जो कोर्ट में पैरोकारी करते हैं? नहीं न! हम आपको इनके बारे में बताते हैं।ये हनुमानजी न केवल अदृश्य होकर न्यायालयों में आपकी पैरोकारी ही करते हैं। बल्कि मुकदमा जिताने की कूवत भी रखते हैं!
जी, हां।हरिद्वार में एक ऐसे हनुमानजी हैं जो न केवल आपको संकटों से ही बचाते हैं। बल्कि न्यायालयों में आपके मुकदमों की पैरवी भी करते हैं।हरिद्वार के कनखल में ‘मुकदमा जिताऊ हनुमानजी’ का मंदिर अपनी इस विशेषता के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।
इस मंदिर की स्थापना औरंगजेब के काल में उसके हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों से त्रस्त होकर पं. चंडीप्रसाद मिश्रपुरी ने ब्राह्मणों को साथ लेकर की थी।मंदिर में फारसी में पत्थर पर लिखे अभिलेख से पता चलता है कि मंदिर 17वीं सदी का है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना के तीन माह बाद ही औरंगजेब का अंत हो गया।जिसके बाद मंदिर की स्थापना करने वाले पं.चंडीप्रसाद मिश्रपुरी को राजद्रोह में कारावास में डाल दिया गया।उस वक्त राजद्रोह जैसे अपराध से बिना दंड मुक्त होना असंभव माना जाता था।लेकिन इस हनुमान मंदिर की कृपा से तब पं. मिश्रपुरी इस अपराध से बरी हो गये।तभी से यह मंदिर ‘मुकदमा जिताऊ हनुमान जी’ के मंदिर के रुप में प्रसिद्ध हो गया।ऐसा माना जाता है कि यहां चोला चढाकर यदि मन्नत मांगी जाए तो न्यायालयीन झंझटों से छुटकारा व विवादों में विजय प्राप्त होती है।
आज दूर-दूर से लोग अदालतों में अपनी पैरवी के लिए मुकदमा जिताऊ हनुमान जी के दरबार में अपनी अर्जी लगाने के लिए यहां आते हैं।