कुमार दुष्यंत, हरिद्वार//
पिछले दिनों हरिद्वार में मेयर व सतपाल महाराज के समर्थकों में हुई भिड़ंत मामले की जांच रिपोर्ट अनुशासन समिति ने तैयार कर ली है। यदि कोई नया तथ्य नहीं आया तो कल यह रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सोंप दी जाएगी। इस प्रकरण में हरिद्वार से दिल्ली तक फजीहत झेल चुकी प्रदेश भाजपा अब इस प्रकरण को बिना कुछ गंवाए शांत करना चाहती है।
नौ अगस्त को हरिद्वार में जो कुछ घटा, उससे अनुशासित पार्टी का दम भरने वाली भाजपा सकते में आ गई।भाजपा के मेयर व भाजपा के ही कैबिनेट मंत्री समर्थक दिनदहाड़े सरेराह गुत्थम-गुत्था हो गये। कइयों के सर फूटे। मेयर को भी कुछ दिन अस्पताल में काटने पड़े क्योंकि दूसरे कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक मेयर के राजनीतिक गुरु व मेयर उनके खास हैं। और महाराज व मदन समर्थकों में कुछ मामलों को लेकर पहले से ही तनातनी चली आ रही थी। इसलिए माना यही गया कि विवाद का विषय भले ही बरसात का पानी बना हो।
लेकिन असल में यह अगल-बगल में रहने वाले भाजपा के ही दो कद्दावर मंत्रियों का विवाद है। चार दिन तक जब दोनों ही गुट एक-दूसरे के सामने तलवारें चमकाते रहे तो किरकिरी होते देख हाईकमान ने तत्काल मामले को शांत कराने के निर्देश प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट को दिये। जिसके बाद यह मामला अनुशासन समिति को सौंप दिया गया था। अब अनुशासन समिति अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर चुकी है। भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष ज्ञानसिंह नेगी के अनुसार “हमने विवाद के सभी पक्षों को गहनता से देखा है। सभी बिंदुओं की जांच की गई है। कार्यकर्ताओं से भी जानकारी ली है। एक-दो दिन में रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को सौंप देंगे।”
सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण में पहले ही काफी फजीहत झेल चुकी पार्टी, अब इस विवाद को ‘बिना किसी विवाद’ के शांत करना चाहती है। जांच रिपोर्ट में मेयर पर गाज गिरना तय माना जा रहा है लेकिन मनोज गर्ग एक निर्वाचित मेयर हैं और वह संगठन में भी किसी पद पर नहीं हैं। इसलिए उन्हें दंडित करने के लिए पार्टी के पास वैसे भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं। फिर पार्टी उनके लिए कठोर दंड की संस्तुति करके भविष्य में दो मंत्रियों के टकराव को भी हवा नहीं देना चाहती। प्रदेश अध्यक्ष पहले ही इस विवाद को ‘गलतफहमी’ का विवाद करार दे चुके हैं। इसलिए माना यही जा रहा है कि मेयर के माफीनामे से पार्टी के लिए मुसीबत बने इस प्रकरण का पटाक्षेप हो जाएगा।