पर्वतजन ब्यूरो
अपेक्षाकृत सरल अधिकारी के रूप में पहचान रखने वाली आईपीएस अफसर निवेदिता कुकरेती ने देहरादून जैसे वीवीआईपी जिले की एसएसपी बनते ही न सिर्फ खुद की योग्यता को प्रूफ किया है, बल्कि महत्वपूर्ण घटनाओं को तत्काल वर्कआउट करके सबको चौंका दिया
कुछ हुनरमंद अफसर ऐसे भी होते हैं, जो खबरों की सुर्खियों से दूर रहकर अपनी जिम्मेदारियों का बेहतर ढंग से निर्वहन करने में यकीन रखते हैं। यह हुनर 2008 बैच से उत्तराखंड काडर की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी निवेदिता कुकरेती कुमार अच्छी तरीके से जानती हैं।
पौड़ी जिले से ताल्लुक रखने वाले शिक्षक पिता के घर जन्मी निवेदिता जेएनयू से हिस्ट्री में एमफिल हैं। पिता के शैक्षिक अनुशासन के माहौल में पले-बढ़े होने की झलक उनकी कार्यशैली में झलकती है। 16 मई को देहरादून एसएसपी का चार्ज लेने के ठीक दूसरे दिन अपने सहयोगी अधिकारियों के रिस्पांस टाइम जांचने के लिए सुबह 4 बजे घंटाघर पहुंच जाने से इसका पता चलता है। सर्विस के शुरुआती दौर से ही निवेदिता विभाग में जुझारू अफसर के रूप में पहचाने जाने लगी थी।
वर्ष 2009 में हरिद्वार के खुब्बनपुर में सांप्रदायिक ताकतों द्वारा सामाजिक माहौल खराब होने की घटना पर 38 घंटे बिना सोये फोर्स के साथ पूरे इलाके की तलाशी में जुटी रही और स्थिति सामान्य होने तक चैन की सांस नहीं ली।
बागेश्वर जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर पहली नियुक्ति के बाद लगभग दो वर्ष के कार्यकाल में पुलिस और जनता के बीच सामंजस्य स्थापित कर माहौल को साफ-सुथरा बनाने के प्रयासों को स्थानीय जनता और नेताओं का खूब समर्थन प्राप्त हुआ।
सीपीयू पुलिसिंग में मुकाम
पुलिस मुख्यालय में हुए तबादले के उपरांत तत्कालीन डीजीपी बीएस सिद्धू के ड्रीम प्रोजेक्ट सीपीयू यूनिट को तैयार करने की जिम्मेदारी निवेदिता कुकरेती को सौंपी गई। जिस तरह बीते दो वर्षों में सीपीयू ने देहरादून सहित अन्य महानगरों में ट्रैफिक नियमों के पालन और मुख्य मार्गों पर अपराध नियंत्रण में उल्लेखनीय भूमिका अदा की है। उसे देखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडिया (फिक्की) ने दिल्ली में निवेदिता कुकरेती को सम्मानित किया।
निवेदिता की कार्य कुशलता के लिए वर्ष 2015 में भी उन्हें राज्य सरकार मुख्यमंत्री पुलिस पदक प्रदान कर चुकी है। राष्ट्रपति शासन के दौरान गवर्नर केके पॉल ने जब पौड़ी जिले की कमान सौंपी तो चार्ज लेते ही जिले में फैले नशे के अवैध कारोबार पर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया और युवाओं को नशामुक्ति के लिए प्रेरित करने का अभियान शुरू किया। इस कार्य में निवेदिता को स्थानीय जनता का और खासकर महिलाओं का अपार समर्थन मिला।
पौड़ी में निवेदिता के सहयोगी रहे एक अधिकारी बताते हैं कि एक रात उन्हें थलीसैंण के पैठाणी गांव में बादल फटने की सूचना मिली। हम रेस्क्यू टीम लेकर निकल पड़े। इतने में पता चला कि एसएसपी मैडम भी घटनास्थल के लिए रवाना हो चुकी है।
अंधाधुंध बारिश में टीम पैदल ही आधी रात को घटनास्थल पर पहुंची और लगातार हो रहे भूस्खलन के बीच मैडम के नेतृत्व में सुबह होने से पहले ही सारे शवों को रिकवर कर लिया गया।
एक अन्य घटनाक्रम में कोटद्वार में कुछ सांप्रदायिक उपद्रवियों ने धार्मिक उन्माद को भड़काने की साजिश रची तो तुरंत ही आधी रात को वह घटनास्थल के लिए रवाना हो गई और रास्ते से ही फोर्स को निर्देशित करती रहीं। लगभग 2 बजे घटनास्थल पर पहुंच दोनों पक्षों के धार्मिक नेताओं को समझा बुझा और कानून का भय दिखा स्थिति को काबू में करने में सफल रही।
जनता से सरोकार
सात महीने एसएसपी पौड़ी रहते हुए भले ही निवेदिता अखबारों की सुर्खियों में न रही हो, लेकिन उनकी कार्यशैली और नेतृत्व क्षमता को क्षेत्र की जनता ने खूब सराहा।
यही कारण है कि राष्ट्रपति शासन हटने के बाद अस्तित्व में आई सरकार ने निवेदिता को पौड़ी से हटाकर एक बार फिर पुलिस मुख्यालय में बैठा दिया गया। जिसका क्षेत्रीय जनता ही नहीं, स्थानीय विधायकों ने भी पुरजोर विरोध करते हुए धरने-प्रदर्शन तक किया।
चुनाव के बाद नए निजाम ने जिलों में नए अधिकारियों को बैठाना शुरू किया तो आईपीएस अधिकारियों में जिले की कप्तानी को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई। कई अधिकारी नए मंत्रियों, विधायकों की गणेश परिक्रमा में जुट गए। इन तिकड़मों से दूर अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में व्यस्त निवेदिता का हमेशा से मानना रहा है कि हम सिस्टम का अंग हंै और समय आने पर अवसर सभी को मिलता है। भले ही यह अवसर कम या अधिक समय के लिए मिले। शायद इसीलिए जब शासन ने आईपीएस अधिकारियों के तबादले की सूची जारी की तो निवेदिता को इस बात का जरा भी भान नहीं था कि उनकी पोस्टिंग देहरादून के एसएसपी पद पर कर दी गयी है।
पुलिसिंग की चुनौतियों को लेकर निवेदिता समझती हैं कि जिस तरह से छोटे-छोटे टुकड़ों को जोडऩे से बड़ी से बड़ी पहेली का हल किया जा सकता हैै। इसी का परिणाम है कि जून माह में डोईवाला क्षेत्र में हुई हाईप्रोफाइल डकैती को भारी दबाव के बीच कम समय में सुलझा लिया गया। देहरादून में लगभग दो माह के छोटे कार्यकाल में नशा कारोबारियों की धरपकड़ और चोरी इत्यादि मामलों में जिस तेजी से खुलासे हुए हैं, वह सब निवेदिता की चुस्त कार्यशैली को ही परिणाम है।
पुलिस की छवि से इतर समाज के लिए अपने योगदान को सुनिश्चित करने की दृष्टि से पुलिस लाइन में बच्चों और महिलाओं के लिए शिक्षा व स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों की व्यवस्था करना उनकी दूरगामी सोच को दर्शाती है।