भूपेंद्र कुमार
देहरादून। दो दिन पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पर जीरो टॉलरेंस जैसे मुद्दों को लेकर आरोपों की बौछार लगाने वाले हरिद्वार के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन तमाम डैमेज कंट्रोल की कोशिशों के बावजूद आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दरबार में चले ही गए।
हरिद्वार से खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने अमित शाह को बताया कि हरिद्वार में बढ़ते सियासी हस्तक्षेप को खत्म किया जाए। वरना आने वाले लोकसभा चुनाव और निकाय चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात और मीडिया में सार्वजनिक बयानबाजी के बाद से भाजपा का प्रदेश संगठन बैकफुट पर है। इस संबंध में अभी तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अथवा मुख्यमंत्री की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
हालांकि पार्टी के प्रवक्ताओं ने अपने स्तर से इस तरह की सार्वजनिक बयानबाजी को गलत बताया है और स्वीकार किया है कि इससे संगठन और सरकार में असहजता की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन ने भाजपा की तुलना महाभारत से करते हुए अपनी बात रखी।
चैंपियन ने बताया कि जिस तरह से कृष्ण ने अर्जुन का मार्गदर्शन करके उन्हें राह दिखाई थी, उसी तरह वह अमित शाह से सीएम का मार्गदर्शन करने का अनुरोध करने के लिए दिल्ली आए थे।
चैंपियन ने कहा कि चुनाव से पहले उन्होंने हरिद्वार को कांग्रेस मुक्त करने का वादा किया था और हरिद्वार कांग्रेस मुक्त हो भी गया।
चैंपियन यहीं पर नहीं रुके चैंपियन ने हरिद्वार के मंत्री को हटाने के लिए मुख्यमंत्री से एक मीटिंग का भी खुलासा किया।
चैंपियन ने कहा कि वह छह विधायक, जिला प्रभारी, भाजपा के जिला अध्यक्ष और हरिद्वार के सांसद रमेश पोखरियाल निशंक सहित कई बड़े नेताओं के साथ मुख्यमंत्री से मिले थे। और अनुरोध किया था कि हरिद्वार के मंत्री को हटा दिया जाए, किंतु उन्होंने नहीं सुनी।
चैंपियन ने सवाल उठाया कि जाने मुख्यमंत्री किसके दबाव में काम कर रहे हैं। चैंपियन ने मुख्यमंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष को सम्मानित नेता बताते हुए कहा कि वह पहले अपनी बात इन्हीं नेताओं के सामने रखने गए थे लेकिन उन्होंने नहीं सुना तो मजबूर होकर उन्हें अमित शाह से अपनी फरियाद करनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि यदि इसमें जल्दी से रास्ता नहीं निकाला गया तो पार्टी हरिद्वार के निकाय चुनाव में और आने वाले चुनाव में कमजोर पड़ जाएगी।
अपने चिरपरिचित अंदाज में चैंपियन ने कहा कि उन्हें मंत्री बनने का कोई लालच नहीं। वह फल की चिंता नहीं करते, सिर्फ कर्म में विश्वास रखते हैं।
पार्टी के छोटे कार्यकर्ता यदि अपनी सुनवाई कहीं ना होने से अपने मन की भड़ास कहीं निकाल भी दें तो उन पर तुरंत कार्यवाही करके पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देती है, किंतु पार्टी के दिग्गज नेताओं की सार्वजनिक बयान बाजी के बावजूद संगठन और सरकार की चुप्पी के बाद से यह साफ प्रतीत हो रहा है कि प्रचंड बहुमत के बाद भी भाजपा किसी न किसी दबाव में है।
सरकार और संगठन को लगता है कि यदि कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया तो कांग्रेसी पृष्ठभूमि के विधायक और सरकार से नाराज भाजपा के विधायक और अन्य नेता लामबंद होकर सरकार के लिए संकट की स्थिति खड़ी कर सकते हैं।
परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश नेतृत्व ने चुप्पी साधने में ही अपनी भलाई समझी है। इधर कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के मुखर होने के बाद हरिद्वार के सियासी माहौल में गर्मी आ गई है।
कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन भली भांति जानते हैं कि वह वर्तमान में गुज्जर समुदाय के एकछत्र नेता हैं और निर्दलीय चुनाव जीतने की क्षमता रखते हैं। इसलिए संभवत: चैंपियन को लगता है कि उन्हे विधायक बनने से तो कोई रोक नहीं सकता इसलिए सियासी रिस्क लेने में कोई नुकसान नहीं है। Champion का गुस्सा सार्वजनिक होते ही सोशल मीडिया में चैंपियन के समर्थकों ने ‘चैंपियन सेना’ के नाम से विरोधियों पर आक्रामक वार-पलटवार शुरू कर दिए हैं।
यदि यह मसला जल्दी नहीं सुलझा तो सोशल मीडिया पर चलने वाला यह संग्राम जल्दी ही सड़कों पर भी दिख सकता है।
पर्वतजन की खबरों के बाद हरिद्वार के सोशल मीडिया में कुछ कमेंट के स्क्रीन शॉट देखकर आप स्वतः अंदाजा लगा सकते हैं कि यदि इस मसले का जल्दी पटाक्षेप नहीं हुआ तो शह-मात का यह खेल हिंसक भी हो सकता है।