खटारा जिप्सियों से सफारी, वन्यजीवों को खतरा।
परिवहन नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां।
सुमित जोशी।
रामनगर(नैनीताल)। वनों की सुन्दरता का दीदार करने आने वाले पर्यटकों के लिए सीतावनी पर्यटन सर्किट भी एक विकल्प बनकर सामने आया है। लेकिन पर्यटकों घुमाने वाली जिप्सियों के लिए नियम सख्त न होने के कारण ये वन्यजीवों के साथ पर्यटकों के लिए भी खतरा बन रही हैं। विभाग के पास ऐसे प्राइवेट जिप्सी चालकों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। मगर वन और परिवहन विभाग इससे बेखबर बना हुआ है।
प्राकृतिक सौंदर्य और पौराणिक मान्यता समेटे हुए रामनगर वन प्रभाग का सीतावनी पर्यटन सर्किट बीते सालों में पर्यटन के लिए भी विकसित हुआ है। कॉर्बेट पार्क के बाद ये पर्यटन सर्किट देशी-विदेशी मेहमानों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। जिससे राजस्व में भी इजाफा हुआ है। लेकिन यहां जिप्सी चालक परिवहन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
कॉर्बेट पार्क में जिप्सियों की संख्या और मानक तय है। लेकिन सीतावनी के साथ धार्मिक मान्यता जुड़ी होने के साथ यहां दर्शन मात्र जाने वाले लोगों को अपने निजी वाहन लेजाने की अनुमति है। लेकिन पर्यटन गतिविधियों के लिए प्रवेश करने वाली जिप्सियों के लिए न संख्या तय है न ही कोई मानक तय किये गए हैं। जिसका फायदा उठाकर कॉर्बेट से बाहर हो जाने वाली जिप्सियों के नम्बर प्राइवेट कराकर सीतावनी में सफारी कराने के लिए इस्तेमाल में लाया जा रहा है। ये प्राइवेट जिप्सीयां इतनी खस्ता हालत में है की कई बार तो खुद पर्यटकों को इन्हें धकेलना पड़ता है। कुछ जिप्सी चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है। इसके अलावा विभाग के पास प्राइवेट सफारी जिप्सी चालकों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में ये वन्यजीवों और पर्यटकों के लिए खतरा बने हुए हैं। इस वर्ष बरसात के बाद जब सीतावनी पर्यटन गतिविधियों के लिए खोला गया तो एक अक्टूबर को 605, दो अक्टूबर को 500 तथा 20 अक्टूबर को 180 जिप्सियों ने यहां प्रवेश किया। बीते पर्यटन सीजन में सीतावनी में सिर्फ टैक्सी परमिट जिप्सियों को प्रवेश देने की बात कही गई थी। लेकिन ये नियम अभी तक लागू नहीं हो सका। एआरटी विमल पाण्डेय का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले जिप्सी चालकों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।