कृष्णा बिष्ट/रविंद्र बेलवाल
जहां कुछ समय पूर्व तक नकली दूध, मावा, मिठाई आदी के बारे मे सुनने को मिलता था, आज मिलावट का वह काला धन्धा एक कदम और आगे बढ़कर नकली अंडों व नकली चावल तक पहुंच गया है। इसका सबसे ताजा मामला 23 मई को हल्द्वानी में तब प्रकाश में आया, जब यू.पी.सी.एल. के अधिशासी अभियंता रवि कुमार ने मुखानी स्थित एक दुकान से कुछ अंडे खरीदे। रात को उबालने के बाद परिवार के साथ अधिकांश अंडे खा लिए और कुछ अंडे प्लेट में ही बच गए। सुबह उठके जैसे ही रवि कुमार अंडों को डस्टबीन में फेंकने लगे तो उनकी नजर अंडों पर पड़ी। शक होने पर रवि ने अंडों को हाथ में लिया तो उनके यह देखकर होश फाख्ता हो गये कि अंडे का बाहरी खोल किसी प्लास्टिक की तरह सख्त हो गया था। साथ ही अंदर का हिस्सा भी काफी सख्त था। अंडे का योक (पीला हिस्सा) उसके सफेद हिस्से में काफी हद तक घुल गया था। जिससे सफेद हिस्सा भी पीला नजर आ रहा था। अब रवि यह सोचकर परेशान हो गये कि जो अंडे वो खा चुके है वो कहीं आतों को नुकसान न पहुंचाए।
जब इस विषय में मीडिया को पता चला तो मीडियकर्मी अंडों की पड़ताल करते हुए उस दुकान तक पहुंच गये, जहां से रवि ने अंडे खरीदे थे। अंडों की केरेट को ध्यान से देखने के बाद पता चला कि केरेट में कुछ अंडे अलग नजर आ रहे हंै, जो आकार में और अंडों से छोटे होने के साथ साथ काफी चिकने भी थे। मीडिया कर्मियों द्वार इन अंडों को जब उबालकर ठंडा किया गया तो सब यह देखकर चौंक गये कि ये अंडे भी उसी प्रकार के हो गए। जैसे रवि द्वारा दावा किया गया था, मीडिया कर्मियों द्वारा इसकी जानकारी तुरंत खाद्य निरीक्षक कैलाश चन्द्र टमटा को दी गई, किन्तु लगातार कई दिनों तक संपर्क करने के बावजूद खाद्य निरीक्षक इस विषय से भागते रहे। आखिर जब ये खबर कुछ चैनलों में प्रसारित हुई तो तब जाकर प्रशासन की नींद टूटी और जिलाधिकारी को नगर आयुक्त व एसडीएम के नेतृत्व में टीम बनाकर जांच का आश्वासन देना पड़ा।
जहां एक तरफ इन दिनों नकली अंडे की तरह नकली चावल का भी मामला शहर में गर्माया हुआ है, वहीं प्रशासन द्वारा जितना इस विषय को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, उसका अभाव साफ नजर आ रहा है। इस विषय मे एक-आध छोटी-मोटी कार्यवाही कर प्रसाशन लीपापोती में लगा हुआ नजर आ रहा है। हल्द्वानी कुमाऊं का प्रवेश द्वार होने के कारण अधिकतर खाद्य सामग्री हल्द्वानी से ही पहाड़ों को सप्लाई होती है, जब हल्द्वानी तक नकली अंडा और नकली चावल पहुंच चुके हंै तो निश्चिततौर पर ये पहाड़ के आखरी छोर तक भी पहुंच चुके होंगे, किंतु जिला प्रशासन व जिला खाद्य विभाग इस प्रकार सोया हुआ है। मानो वो किसी अनहोनी का इंतजार कर रह हों।
इन 5 आसान तरीकों से करिए नकली की पहचान
तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में कई किराना दुकानों पर प्लास्टिक चावल बिकने की खबर सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैल गई है। कई जगह तो ग्राहकों ने प्लास्टिक चावल बेचने के शक में दुकानदार को भी पीटकर पुलिस के हवाले कर दिया है। ताजा खबरें उत्तराखंड से आ रही हैं, जहां बाजार में प्लास्टिक चावल बिकने की जानकारी से लोगों में डर पैदा हो गया है। अगर ऐसा ही प्लास्टिक चावल आपके सामने आए तो आप उसे कैसे पहचानेंगे? जानिए ये 5 आसान तरीके जो कर देंगे दूध का दूध और पानी का पानी।
1: वॉटर टेस्ट- एक बड़ा चम्मच चावल लेकर एक गिलास पानी में डालें और कुछ देर तक हाथ से चलातें रहें। अगर कुछ मिनट के बाद चावल पानी के ऊपर उतराने लगे तो जान लीजिए कि वो चावल सौ परसेंट नकली है। यानि प्लास्टिक से बना है, क्योंकि असली चावल कभी पानी पर नही तैरता बल्कि उसमें डूब जाता है।
2: गर्म तेल में टेस्ट- किसी कढ़ाई में तेल को खूब गर्म करें, फिर उसमें आधी मुट्ठी चावल डालें अगर वो प्लास्टिक से बना होगा तो वो पिघलकर आपस में चिपक जाएगा और बर्तन की तली पर चिपक सा जाएगा।
3: फायर टेस्ट- एक मुट्ठी चावल लेकर उसे किसी कागज पर रखकर जलाएं। अगर जलने पर चावल से प्लास्टिक जलने जैसी महक आए तो जान लें कि वो चावल खाने लायक नहीं है।
4: फफूंद टेस्ट: चावल को उबालने के बाद भी आपको अगर उसके असली होने पर शक हो, तो उसे एक बॉटल् में बंद करके 3 दिन के लिए रख दें। अगर इस दौरान चावल पर फफूंद लगने लगे तो वो असली है वर्ना वो प्लास्टिक से बना है, क्योंकि प्लास्टिक पर फफूंद नहीं लगती।