उत्तरकाशी// गिरीश गैरोला
ए आर टी ओ के चेकिंग अभियान से परेशान उत्तरकाशी के टैक्सी चालकों की एक दिन की हड़ताल एडीएम पी एल शाह की मध्यस्थता के चलते समाप्त हो गई है ।
दरअसल टैक्सी चालक -मालिक एसोसिएशन ने चेकिंग की एक तरफा कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए हड़ताल की घोषणा की थी। उन्होंने आरोप लगाया था एक ही टैक्सी के महीने में 5 से 6 चालान किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं फर्स्ट ऐड बॉक्स में मौजूद सामान को लेकर भी चालान के जाने का आरोप लगाये गए थे।
टैक्सी यूनियन भटवाड़ी रोड के अध्यक्ष दिनेश मलूड़ा ने बताया कि उन्हें साल भर में 30 से ₹40 हजार इंश्योरेंस के ही जमा करने होते हैं। ऐसे में महीने में एक ही गाड़ी के पांच चालान होने पर टैक्सी मालिक की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
टैक्सी यूनियन ज्ञानसू के सचिव श्री शूरवीर रांगड़ ने आरोप लगाया कि गंगोरी पुल हादसे का कारण बने ओवरलोड ट्रक में 180 कट्टे सीमेंट की जगह 360 कट्टे सीमेंट के पाए गए थे। इसी तरह बस में भी सवारियां जरूरत से अधिक सवारियां होने के बाद भी उनका चालान नहीं किया जाता है।
इतना ही नहीं महीने में 3 बार चालान होने के बाद ₹12000 जुर्माने के रुप में भरने का नया नियम बनाया गया है। अपनी मांगों को लेकर टैक्सी यूनियन के चालक और मालिकों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
बाद में ए डी एम – पी एल शाह ने एआरटीओ कुलवंत सिंह चौहान के साथ टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों की वार्ता करवाई जिसके बाद टैक्सी यूनियन ने अपनी प्रस्तावित हड़ताल वापस ले ली है। वही एआरटीओ कुलवंत चौहान ने कहा कि नियमानुसार चेकिंग जारी रहेगी लेकिन कुछ छोटी – मोटी व्यवस्थाओं को लेकर रियायत देने की बात हुई है । adm पीएल शाह ने कहा चालकों को बिना वजह परेशान नहीं किया जाएगा और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए कुछ रियायत देने की बात हुई है।
हालांकि दोनो पक्ष के बीच कोई लिखित समझौता नही हुआ है। गौरतलब है कि उत्तरकाशी में एआरटीओ बिना सिपाहियों के ही अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं । एआरटीओ कुलवंत चौहान के पास ऋषिकेश का भी प्रभार है। लिहाजा सप्ताह में 3 दिन ऋषिकेश तो बाकी के 3 दिन उत्तरकाशी में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं ।
गंगोरी हादसे का कारण बने ट्रक में लदा ओवरलोडिंग सामान और सवारी बसों में भरी गई अतिरिक्त सवारियों को देखने के लिए एआरटीओ के साथ पूरे स्टाफ की दरकार है । अब देखना यह है कि परिवहन विभाग का काम इसी तरह धक्कों में चलता रहेगा या परिवहन विभाग अपने स्टाफ की पूर्ति करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।