राज्य में भाजपा सरकार को हजारों करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे राज्य की कितनी चिंता है यह इसी बात से जाहिर हो जाता है कि उनके ओएसडी कल देहरादून से बाकायदा स्टेट प्लेन बुक करके पिथौरागढ़ गए और अपने गांव से अपनी मां और परिवार के अन्य सदस्यों को स्टेट प्लेन से देहरादून ले आए। मुख्यमंत्री के ओएसडी उर्वा दत्त भट्ट ने इसकी फोटोग्राफ अपने फेसबुक टाइम लाइन पर अपलोड करते हुए लिखा कि
“आज पिथौरगढ भटे मैरी ईजा डर डर बैर देहरादून आगे ये में”
जब पर्वतजन ने उनसे पूछा कि आपने यह फोटो कैसे लोड की है और आपकी माता की तबीयत कैसी है! भट्ट ने कहा कि उनकी माता तो बिल्कुल ठीक हैं और यह फोटो तो 5-6 महीने पुराना फोटो है।
भट्ट ने कहा कि पांच छह महीने पहले प्रकाश पंत (कैबिनेट मंत्री )के साथ उनका यह परिवार देहरादून आया था और यह फोटो किसी ने तब खींची थी और आज उन्हें भेजी है।
जबकि हकीकत यह है कि आज 20 मार्च को भट्ट ने यह फोटो Facebook पर अपलोड करते हुए लिखा कि “आज पिथौरगढ भटे मैरी ईजा डर डर बैर देहरादून आगे ये में”
पर्वतजन के फोन करने के तुरंत बाद उन्होंने अपने स्टेटस में एडिट करके “आज” शब्द उसमें से हटा दिया।
पाठकों के संज्ञान के लिए पहले की और बाद की दोनों स्क्रीन शॉट यहां दी जा रही है।
सवाल यह है कि क्या स्टेट प्लेन इतना फालतू हो गया है कि उसे कोई भी ऐसे घूमने फिरने के लिए इधर उधर ले जाने लगे।
उड्डयन विभाग के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह स्टेट प्लेन कल यहां से पिथौरागढ़ ले जाया गया था और आज इस की वापसी हुई है।
एक ओर राज्य सरकार के मुख्यमंत्री मितव्यता की बात कहते हुए सड़क मार्ग से गैरसैण का दौरा कर रहे हैं और दूसरी ओर उनके एक ओएसडी स्टेट प्लेन को व्यक्तिगत कार्य से पिथौरागढ़ ले जाकर अपने परिजनों को देहरादून घुमा रहे हैं ।और उसकी फोटो भी अपलोड कर रहे हैं।
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि भट्ट को ओएसडी सिर्फ इसलिए बनाया गया है कि वह कई सालों तक भाजपा प्रदेश कार्यालय में चाय पानी पिलाने और अतिथियों की आवभगत करने का काम करते रहे हैं। भट्ट को ₹लाख तनख्वाह, वाहन कार्यालय आदि की भी सुविधा है। तो फिर स्टेट प्लेन को लेकर माले मुफ्त दिले बेरहम क्यों है!
भट्ट के पास कोई कार्य नहीं है। वह सिर्फ जनता दरबार में आने वाले मंत्रियों के साथ मौजूद रहते हैं।उन्हें इतना भी अधिकार नहीं है कि वह ओएसडी होने के नाते शासन में किसी अधिकारी को किसी कार्य का अनुरोध भी कर सकें। गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश कार्यालय में जहर खाने वाले स्वर्गीय प्रकाश पांडे ने खुद अपने बयान में कहा था कि जब वह अपनी समस्या लेकर भट्ट के पास गए थे तो भट्ट ने उनकी समस्या का समाधान करने के बजाए पांडे को कहा था कि कोई BPL का कार्ड ले आओ तो वह उन्हें विवेकाधीन कोष से ₹50,000 दिलवा देंगे। श्री भट्ट पार्टी के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं, तथा अपने विज्ञापनों में कमल के फूल का भी इस्तेमाल करते हैं। वह भूल जाते हैं कि वह सरकार में CM के ओएसडी हैं। ओएसडी सरकारी खजाने से वेतन पाने वाला अफसर होता है न कि पार्टी का कार्यकर्ता।
बड़ा सवाल यह है कि जीरो टॉलरेंस की सरकार में ऐसी फिजूलखर्ची पर रोक कब तक लगेगी या फिर मितव्यता भी सिर्फ एक जुमला था!