भूपेंद्र कुमार
देहरादून के आराघर से एक सड़क नेहरू कॉलोनी डालनवाला को जोड़ती है। यह सड़क एक कॉलोनी के बीच से गुजरती है, जिसका नाम है मॉडल कॉलोनी। यह मॉडल कॉलोनी किसी जमाने में रही होगी मॉडल कॉलोनी!
वर्तमान में इस कॉलोनी की चौड़ी सड़क वाहन चालकों के गुजरने के लिए काफी मुफीद सड़क है। तेज रफ्तार से गुजरने वाले वाहनों से कॉलोनी वासी दुखी हो गए। हालत यह हो गई कि यदि कोई अपने घर से गाड़ी बाहर निकालना चाहता तो उसे कॉलोनी की सड़क पर आने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। क्योंकि सड़क पर तेज रफ्तार वाहन गुजर रहे होते हैं।
अब तक का किस्सा तो बढ़ती जनसंख्या और गाड़ियों की संख्या के कारण लगभग सभी कालोनियों का साझा किस्सा है। मजेदार किस्सा अब शुरू होता है।
किस्सा यह है कि इस कॉलोनी में शुरू से लेकर आखिर तक मात्र 500 मीटर की सड़क है। 500 मीटर के इस दायरे में उत्तराखंड के तुर्रम खां टाइप रिटायर IAS और विभिन्न विभागों के डीजी, डॉक्टर आदि रहते हैं। अधिकतर बूढ़े हैं और अपने जमाने की हालत और सनक में डूबे रहते हैं।
तेज रफ्तार वाहनों के कारण मॉडल कॉलोनी के एक रिटायर अफसर ने तय किया कि कॉलोनी से गुजरने वाले तेज रफ्तार वाहनों पर ब्रेक लगाने के लिए अपने घर के थोड़ा पहले स्पीड ब्रेकर के लिए पांच रंबल स्ट्रिप्स बनवा दी जाएं। कॉलोनी के एक डॉक्टर दोस्त से उन्होंने यह मशवरा किया तो उन्हे भी यह तरीका ठीक लगा।
जल्दी से उन्होंने लोक निर्माण विभाग से संपर्क किया और स्पीड ब्रेकर बनवाने के लिए कहा। विभाग का जेई मौके पर आया। लेकिन दोनों के घर की दूरी देख कर उसने साफ मना कर दिया कि दो घरों की दूरी 50 मीटर से भी कम है। इसलिए स्पीड ब्रेकर नहीं बन सकते। जेई ने दूसरा कारण गिनाया कि कॉलोनी की सड़क पीडब्ल्यूडी नहीं बनाती है।
अब मामले में पेंच फंस गया। उन्होंने यह समस्या इवनिंग वॉक- मॉर्निंग वॉक के दौरान कॉलोनी के अन्य आउट ऑफ डेट प्रभावशाली साथियों से साझा की तो सबने स्पीड ब्रेकर बनाए जाने के लिए प्रेशर बनाने की बातें की। साथ ही यह तय हुआ कि जितने भी प्रभावशाली लोग हैं, उनके घरों के आगे स्पीड ब्रेकर बना दिया जाएगा।
सभी लोग स्थानीय विधायक खजानदास से मिले और फिर क्या था! वह विधायक ही क्या, जो ना कह दे ।विधायक जी के कहने पर PWD ने लगभग सभी घरों के आगे स्पीड ब्रेकर बनवा दिए। अब परिणाम यह हुआ कि मात्र 500 मीटर की इस कॉलोनी की सड़क मे 14 जगह पर स्पीड ब्रेकर बन गए हैं। प्रत्येक स्पीड ब्रेकर तीन से लेकर पांच रंबल स्ट्रिप का बनाया गया है।
कॉलोनी से गुजरने वाले बाहरी वाहन चालकों को इससे क्या परेशानी हुई, इसका तो पता नहीं, लेकिन 1 हफ्ते में ही कॉलोनी के दो- तीन लोगों को 1 हफ्ते में ही कमर दर्द की शिकायत हो गई। उन्होंने अपनी सुविधा के लिए स्पीड ब्रेकर बनवाए थे, अब इससे उनकी खुद की कमर टें बोलने लगी है।
अब बेचारे कॉलोनीवासी इसे उखाड़ने के लिए भी नहीं बोल पा रहे। पहले डंडे के बल पर स्पीड ब्रेकर बनवाए। अब एक हफ्ते में ही किसको क्या बोलें!
बहरहाल इस विषय में जब लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अनिरुद्ध सिंह भंडारी से बात की गई तो उनका कहना था,- ” यह कॉलोनी की सड़क है। जिसे PWD नहीं बनाता। लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि की बात का सम्मान करते हुए कॉलोनी में स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं।” अभियंता का कहना है कि 50 मीटर से कम की दूरी पर स्पीड ब्रेकर बन ही नहीं सकता,लेकिन कॉलोनी वासियों ने डंडे के बल पर यह गलत काम करवाया है।
इस गली से गुजरने वाले जिन वाहन चालकों को इन स्पीड ब्रेकर से परेशानी थी, उन्होंने तो दूसरे रास्ते पकड़ लिए लेकिन इस कॉलोनी के रहने वाले बेचारे कहां जाएं कॉलोनी में रहने वाले तथा स्पीड ब्रेकर बनवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले पूर्व आईएएस तथा जिलाधिकारी MC उप्रेती का कहना है,-” यह स्पीड ब्रेकर बाहरी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए बनाए गए हैं। जब वह यहां से गुजरना कम कर देंगे तो स्पीड ब्रेकर भी हटवा दिए जाएंगे”। दिल को समझाने के लिए ग़ालिब ख्याल अच्छा है। अब इन्हें कौन समझाए कि यदि बाहरी वाहन चालकों का गुजारना कम हो भी जाए तो स्पीड ब्रेकर हटते ही दोबारा शुरू हो जाएगा। विभाग के एक कर्मचारी का इस मुद्दे पर चुटकी लेते हुए कहना था कि जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है वह खुद भी उसी में जा गिरता है। शायद इस कर्मचारी को पता नही है कि उनका विभाग बड़े बुजुर्गों की सनक का भी सम्मान करता है।