हरिद्वार की सिविल जज सीनियर डिवीजन दीपाली शर्मा को नाबालिग लड़की के पिता के बयान भी नहीं बचा सके। नाबालिग लड़की से काम कराने और उत्पीडन करने जैसा मामला सामने आने के बाद दीपाली शर्मा की मुश्किल बढ़ सकती है।
हालांकि लड़की के पिता ने लड़की का किसी भी तरीका उत्पीड़न होने से साफ इनकार कर दिया था लेकिन हाईकोर्ट ने दीपाली शर्मा को निलंबित कर दिया।
निलंबित रहने की अवधि तक दीपाली टिहरी जिला जज के अधीन अटैच रहेंगी। हाई कोर्ट इस प्रकरण पर काफी सख्त रुख अपना चुका है। हालांकि लड़की के पिता के साथ साथ दीपाली शर्मा घरेलू काम और उत्पीड़न कराने के आरोपों से साफ इनकार कर चुके हैं।
किंतु जज कॉलोनी के निवासियों का भी मानना है कि दीपाली शर्मा का व्यवहार शालीन नहीं रहता।
इससे पहले भी लक्सर में तैनाती के दौरान दीपाली शर्मा अपने तत्कालीन नौकर के साथ भी अभद्रता कर चुकी हैं। उस दौरान भी काफी चर्चाओं में रह चुका है।
उक्त प्रकरण में नौकर अनुसूचित जाति का था और उस प्रकरण में भी दीपाली शर्मा काफी मुसीबत में घिर चुकी थी।
वर्तमान प्रकरण में नाबालिग लड़की के पिता के बयानों के बाद यह समझा जा रहा था कि महिला जज की राह आसान हो गई है, किंतु हाईकोर्ट के ताजा निर्णय के बाद दीपाली शर्मा की मुसीबत बढ़ सकती है।
हरिद्वार के जिला जज राजेंद्र सिंह चौहान साफ और ईमानदार छवि के जज माने जाते हैं। ऐसे में शर्मा की राह आसान नहीं है। गौरतलब है कि दीपाली के पिता भी उत्तर प्रदेश में एडीजे रह चुके हैं और उनके भाई भी देहरादून में जज हैं।
दुर्व्यवहार के चलते दीपाली शर्मा का पारिवारिक जीवन भी प्रभावित रहा है। घरेलू दुर्व्यवहार के चलते पौड़ी के एक परिवार से इनकी पहली शादी टूट चुकी है। दीपाली को लंबे समय से जानने वाले लोगों और न्याय क्षेत्र के अधिकारियों का मानना है कि संभवत: ताजा प्रकरण के बाद दीपाली शर्मा अपने व्यवहार की समीक्षा करने के विषय में गंभीरता से सोचेंगी। पर्वतजन का भी मानना है कि जब कानून के देवता ही नाबालिग नौकर का यूूं उत्पीडन कर घरेलू काम कराते हुुए खुुद कानून तोड़ने के लिए आरोपी हैैं तो इसकी कड़ी समीक्षा होनी ही चाहिए ।