दो-दो विधानसभाओं से चुनाव हारने के बाद जिन हरीश रावत को राजनैतिक पंडित अब बुझा हुआ तीर मानने लगे थे, वे इन दिनों इस कदर छाये हुए हैं मानो वर्तमान में उन्हीं की सरकार हो, नेता प्रतिपक्ष भी हरीश रावत हों और कांग्रेस के अध्यक्ष भी हरीश रावत ही।
यूं तो उत्तराखंड में दस महीने से प्रचंड बहुमत वाली भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार हैै, किंतु जिस प्रकार एक के बाद एक हरीश रावत की नीतियों और उनके कार्यक्रमों का शोर है, उससे कहीं नहीं उत्तराखंड में हरीश रावत की धमक जरूर दिखाई दे रही है।
कुछ दिन पहले काबीना मंत्री रेखा आर्य द्वारा बकरी स्वयंवर का तब शोर हुआ, जब दूसरे मंत्री सतपाल महाराज ने बकरी स्वयंवर को नियम विरुद्ध बताया। तब उत्तराखंड के लोगों को याद आया कि बकरी के पीछे भाजपा की राजनीति भले नई हो, किंतु हरीश रावत ने मुख्यमंत्री रहते उत्तराखंड के गरीब किसानों को तीन बकरी और एक बकरा देने की घोषणा कर इस परंपरा को पहले ही शुरू कर दिया है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली से लेकर देहरादून तक प्रवासियों से उत्तराखंड में निवेश करने की बात कह रहे हैं, किंतु त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस आह्वान के पीछे भी हरीश रावत की ‘हिटो पहाड़’ योजना परिलक्षित होती दिखाई देती है।
हरीश रावत ने बजट से लेकर उत्तराखंड को आगे ले जाने को लेकर उत्तराखंड की जनता से सुझाव मांगे तो डबल इंजन सरकार भी बेहतर बजट बनाने के लिए हरीश रावत की भांति जनता की राय मांग रही है। हरीश रावत ने गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित करने की घोषणा की तो अब डबल इंजन की सरकार मार्च में गैरसैंण में विधानसभा सत्र कर उन्हें फॉलो कर रही है। हरीश रावत ने केदारनाथ के विध्वंस को नव निर्माण में बदलने का काम किया तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हरीश रावत के इस संकल्प को धरातल पर उतारने को उत्सुक हैं।
‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ नाम से बुजुर्गों को तीर्थयात्रा करवाने की हरीश रावत की मुहिम को अब त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना नाम से संचालित कर रही है।
हरीश रावत द्वारा शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के प्रत्येक नागरिक को पौने दो लाख रुपए इलाज की सुविधा का प्रावधान था, को अब डबल इंजन सरकार किसी भाजपाई का नाम देकर आगे बढ़ाने को मजबूर है। मेरा गांव मेरी सड़क, मेरा पेड़ मेरा धन, गौरा देवी-नंदा देवी कन्या धन, 20 रुपए में भोजन वाली इंदिरा अम्मा योजना को वर्तमान सरकार चला रही है।
कुल मिलाकर हरीश रावत द्वारा पुजारियों, बाजगियों, बौनों, शिल्पियों के लिए शुरू की गई पेंशन योजनाओं को भी डबल इंजन सरकार आगे बढ़ाने को मजबूर है। यदि हरीश रावत द्वारा शुरू की गई योजनाएं इसी प्रकार आगे बढ़ती रही तो उत्तराखंड के लोगों को बेजान दारूवाला की वो भविष्यवाणी पुन: याद आएगी, जिसमें उन्होंने रावत पूरे पांच साल की भविष्यवाणी की थी। 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हरीश रावत की यह सक्रियता अपने आप में सभी कुछ बयां कर रही है।