आकाश नागर
कायदे से राज्य के मुखिया को उचित-अनुचित का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन लगता है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए इसके कोई मायने नहीं। रुद्रपुर में तो मुख्यमंत्री एक ऐसे अस्पताल का उद्द्घाटन कर गए, जिसके मालिक सरकारी गूलों-नालों पर अतिक्रमण और प्राधिकरण के नक्शे के विपरीत अवैध निर्माण करने के आरोपों से घिरे हुए हैं। स्थानीय प्रशासन ने मेडिसिटी नामक इस अस्पताल के मालिकों को दोषी मानते हुए अतिक्रमण हटाने के निर्देश भी दिए। यही नहीं अस्पताल मालिकों के खिलाफ एक मामला भी विचाराधीन है। ऐसे में अस्पताल मालिकों के प्रति मुख्यमंत्री का मोह जनता को समझ नहीं आ पा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री की क्या मजबूरी रही होगी जो प्रशासन की भावनाओं के विरुद्ध जाकर मेडिसिटी अस्पताल का उद्द्घाटन किया !
सवाल जनपद के डीएम नीरज खैरवाल पर भी उठ रहे हैं, जिनका मानना है कि अस्पताल निर्माण में अनियमितताओं की उन्हें जानकारी ही नहीं है !
रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल स्वीकारते हैं कि हॉस्पिटल में अतिक्रमण हुआ है। इसकी जांच कराने के लिए वह डीएम और मुख्यमंत्री से मिलेंगे।
28 नवंबर 2017 : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का ऊधमसिंह नगर जनपद के प्रमुख शहर रुद्रपुर में आगमन। तीन पानी किच्छा रोड स्थित मेडिसिटी हॉस्पिटल का उद्द्घाटन। लग्जरी सुविधाओं वाले इस हॉस्पिटल के शुभारंभ समारोह में मुख्यमंत्री के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन शिव प्रकाश, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट, राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत एवं यशपाल आर्य के साथ ही उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री बलदेव सिंह ओलख आदि की गरिमामयी उपस्थिति।
मुख्यमंत्री हॉस्पिटल मैनेजमेंट का गुणगान करते हुए कह गए कि चिकित्सा के क्षेत्र में मेडिसिटी मील का पत्थर साबित होगा। हॉस्पिटल के खुलने से चिकित्सा के क्षेत्र में जो कमी आ रही है वह दूर होगी। चिकित्सा के क्षेत्र में यह हॉस्पिटल सेवा का केंद्र भी बनेगा।
मुख्यमंत्री जब भी किसी सरकारी निजी संस्था के उद्द्घाटन या शुभारंभ समारोह में जाते हैं तो उससे पहले संबंधित क्षेत्र के जिलाधिकारी की ड्यूटी होती है कि उसकी पूरी वेरीफिकेशन करें। जिलाधिकारी अमूमन अपने स्तर से एलआईयू या अपने जांच तंत्र से कार्यक्रम की तह में जाते हैं। जिलाधिकारी तय करते हैं कि मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आ सकते हैं या नहीं। अगर कहीं कोई गड़बड़, घपला, घोटाला, अनियमितता होती है तो जिलाधिकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को सूचित करते हैं, लेकिन मेडिसिटी हॉस्पिटल के उद्द्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के आने के सभी रास्ते खोल दिए गए।
ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी डॉ नीरज खैरवाल पर उच्च स्तर से दबाव कहें या मजबूरी वह चाहकर भी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यक्रम स्थगित नहीं करा सके क्योंकि लगता है कि यह कार्यक्रम सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से तय किया गया था।
सीएम खुद नही थे इच्छुक
जानकारी के अनुसार स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्यक्रम में आने के इच्छुक नहीं थे। कारण कि उन्हें भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता ने मेडिसिटी से संबंधित अनियमितताओं की बाबत पूरी जानकारी दे दी थी। लेकिन सुनने में आ रहा है कि भाजपा के दो विधायकों के दबाव में मुख्यमंत्री आ गए और मेडिसिटी का उद्द्घाटन कर गए जिसमें अनियमितताओं की जांच उनकी ही सरकार के प्रशासनिक अधिकारी कर रहे थे। इसे समझना मुश्किल नहीं है कि मुख्यमंत्री के मेडिसिटी उद्द्घाटन कार्यक्रम में आने से किस प्रकार प्रशासनिक अधिकारी प्रभावित हुए होंगे।
सरकारी गूलों पर हुआ निर्माण
राजस्व अधिनियम के तहत कोई भी संस्थान चाहे वह सरकारी हो या निजी गूल पर निर्माण नहीं किया जा सकता है, लेकिन मेडिसिटी हॉस्पिटल ने इस नियम का उल्लंद्घन कर गूलों के ऊपर निर्माण कर डाला है। एक गूल का मामला न्यायालय में भी चल रहा है।
नियम विरुद्ध हुआ संटवारा
मेडिसिटी हॉस्पिटल में दो गूलों के मामले में अनियमितता हुई। एक गूल का मामला कोर्ट में चल रहा है तो दूसरी गूल पर संटवारा ‘जमीन परिवर्तन’ किया गया। संटवारा राजस्व अधिनियम की धारा 161 के तहत किया जाता है जिसमें दो जमीनों की अदला- बदली की जाती है। नियम यह है कि संटवारा निजी तौर पर प्राइवेट लोग ही कर सकते हैं, लेकिन यहां नियम विरुद्ध संटवारा किया गया है।
ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज कुमार पाण्डेय ने धारा 28/30 को अनुचित उपयोग में लाते हुए इस काम को अंजाम दे दिया। हालांकि संटवारे का अधिकार नियमतः उपजिलाधिकारी के पास होता है।
एक आईएएस अफसर के गूल संटवारा प्रकरण पर सीधे हस्तक्षेप से समझा जा सकता है कि वह क्यों कर इतने उतावले रहे होंगे कि जो काम उनके जूनियर अधिकारी को करना चाहिए था वह खुद उन्होंने अपने हाथों से किया।
नहर पर अतिक्रमण
किच्छा रोड स्थित तीन पानी में जहां मेडिसिटी हॉस्पिटल बना है वहां बनाए गए पुल और गूल की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गूल की वास्तविक परिस्थितियों से तो छेड़छाड़ की ही गई है,साथ ही नहर पर भी अतिक्रमण हुआ है। नहर पर अतिक्रमण की बाबत प्रशासन की टीम ने जांच की थी जिसमें जांच टीम ने अतिक्रमण की पुष्टि की है। बावजूद इसके अतिक्रमण हटाना तो दूर हॉस्पिटल मैनेजमेंट पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
दुकानों का अवैध निर्माण
अस्पताल में मानचित्र के अनुसार निर्माण नहीं किया गया है। ऊधमसिंह नगर जिला विकास प्राधिकरण से हॉस्पिटल निर्माण कराते समय जो मानचित्र स्वीकृत कराए गए उनके अनुसार हॉस्पिटल में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होनी थी। लेकिन बिना मानचित्र स्वीकृत कराए ही हॉस्पिटल में दुकानों का निर्माण करा दिया गया। इस बाबत प्राधिकरण ने हॉस्पिटल को न केवल नोटिस भेजा है, बल्कि हॉस्पिटल के मालिक दीपक छाबड़ा एवं पत्नी श्रीमती अंजू छाबड़ा के नाम से एक वाद दायर किया हुआ है।
क्या है मामला
रुद्रपुर सिटी का किच्छा रोड पर मुख्य तिराहा है,जिसे तीन पानी कहा जाता है। यहां स्थित मेडिसिटी हॉस्पिटल की लोकेशन देखकर ही पता चल जाएगा कि इस स्थान का नाम तीन पानी क्यों रखा गया। हॉस्पिटल के एक तरफ नाला तो दूसरी तरफ नहर बह रही है जबकि बीचोंबीच गूल जाती थी। राजस्व मानचित्र में गूल को आज भी देखा जा सकता है, लेकिन मौके पर देखेंगे तो गूल के स्थान पर भव्य और आलीशान मेडिसिटी हॉस्पिटल बना हुआ है। जिस जमीन पर हॉस्पिटल निर्मित है वह डॉ दीपक छाबड़ा पुत्र नारायण दास एवं श्रीमती अंजू छाबड़ा पत्नी डॉ दीपक छाबड़़ा द्वारा खरीदी गई। डॉक्टर दंपत्ति द्वारा खरीदी गई जमीन रुद्रपुर के खसरा नंबर 634, 637, 638, 635, 640, 642 है। जिसका कुल रकबा 0.7000 हेक्टेयर है। इस भूमि से एक नाला सटा हुआ है। जिसकी संख्या नंबर 636 के0.100 रकबा हेक्टेयर जमीन है। इसको दीपक छाबड़ा द्वारा खसरा नंबर 635 की 0.020 हेक्टेयर तथा खसरा संख्या 649 की0.080 हेक्टेयर जमीन को परिवर्तित किया गया। इस तरह कुल 0.100 हेक्टेयर जमीन को परिवर्तित किया गया। इसके बाद छाबड़ा दंपत्ति ने उक्त भूमि पर एक मेडिसिटी हॉस्पिटल के नाम से निर्माण कराने की अनुमति मांगी। जिस पर हल्द्वानी के सहयुक्त नियोजन,रुद्रपुर के तहसीलदार और सिंचाई विभाग खंड रुद्रपुर के अधिशासी अभियंता ने अनापत्ति पत्र जारी कर दिया। 3 नवंबर 2014 को नाले की जमीन परिवर्तन करने की स्वीकृति मिलते ही डॉ छाबड़ा द्वारा भवन निर्माण शुरू कर दिया गया, लेकिन इसी दौरान विजय कुमार डे पुत्र एसएस डे द्वारा 10 अक्टूबर 2016 को नहर पर अवैध रूप से निर्माण होने की शिकायत की गई। यही नहीं विजय कुमार डे द्वारा इस संबंध में हाईकोर्ट नैनीताल में एक याचिका भी दायर की गई। याचिका दायर करते ही प्रशासनिक अफसरों में अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में ही जांच के आदेश दिए गए। रुद्रपुर के तहसीलदार के साथ ही राजस्व निरीक्षक और राजस्व उपनिरीक्षक की संयुक्त टीम ने जांच की।
25 अप्रैल 2017 में जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि दीपक छाबड़ा और अंजू छाबड़ा ने हॉस्पिटल का निर्माण करते समय नाले की भूमि में से 1.00 मीटर चौड़ी भूमि को अपनी बाउंड्री में शामिल कर लिया है। यही नहीं, बल्कि जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि हॉस्पिटल निर्माण में गूल की भूमि भी अतिक्रमित कर ली गई है। अधिकारियों की जांच रिपोर्ट के अनुसार जिस जमीन पर मेडिसिटी हॉस्पिटल बना वह जमीन डॉ छाबड़ा ने मनोज कुमार, अनिल कुमार एवं भुवन कुमार पुत्र लालता प्रसाद से रजिस्ट्री बैनामा द्वारा क्रय की है। यह भूमि 7 नवंबर 2014 को धारा 143 में परिवर्तित कर गैर कूषि कराई गई। जांच में स्पष्ट किया गया है कि खसरा नंबर 643 सरकारी गूल है जो कि नाले के क्रम में बह रही है। जिसकी चौड़ाई 10-12 मीटर तक है। अस्पताल के उत्तर पूर्वी दिशा में उक्त गूल की चौड़ाई मौके पर 12 मीटर है जो कि भू चित्र के अनुसार सही है। जबकि अस्पताल के पूर्वी दिशा में मौके पर गूल की चौड़ाई 9 मीटर है जो कि भू चित्र के अनुसार एक मीटर कम है। इसके अलावा खसरा नंबर 636 रकबा 0.1420 है जो सरकारी गूल के नाम दर्ज है। जिसका 0.1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल अस्पताल की चार दीवारी के अंदर है। इसको डॉ छाबड़ा द्वारा अपने नाम की जमीन में परिवर्तित कराकर सरकारी गूल के नाम दर्ज करवाया गया है। यह जमीन भी अस्पताल परिसर के अंदर मौजूद है। इस संबंध में वाद संख्या 22/40 दिनांक 13/7/ 2014 के तहत न्यायालय क्लेक्टर में एक मामला भी चला।
अब देखिए तीसरी सरकारी गूल का हाल। इस गूल का खसरा नंबर 639 है जिसका रकबा0.1140 है। जांच रिपोर्ट में जिस तरह दो गूलों पर अतिक्रमण बताया गया है उसी तरह इस गूल के 187.50 वर्गमीटर क्षेत्रफल को मेडिसिटी चार दीवारी के अंदर दर्शाया गया है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि गूल के 78 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर अस्पताल का ग्राउंड बना है तथा 58 .50 वर्ग मीटर पर अस्पताल का पक्का फर्श बना हुआ है। गूल के 51 वर्ग मीटर क्षेत्रफल भूमि पर अवैध रूप से लिफ्ट, लॉबी एवं अस्पताल की सीढ़ियां बनी हुई हैं। जिस तरह खसरा नंबर 639 की सरकारी गूल का 187.50वर्ग मीटर क्षेत्रफल भूमि डॉ दीपक छाबड़ा द्वारा जमीन में मिलाकर अस्पताल की चारदीवारी बना दी गई है। अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात को स्पष्ट किया गया है कि डॉ दीपक छाबड़ा एवं डॉ अंजू छाबड़ा को उनके द्वारा गूलों पर अवैध अतिक्रमण की बाबत कई बार निर्देशित किया गया। लेकिन बावजूद इसके उनके द्वारा उक्त भूमि को नहीं छोड़ा गया है।
हालांकि हॉस्पिटल मालिक ने एक सरकारी गूल की जमीन के बदले अपनी जमीन पर परिवर्तित कराने की बात कही। जिसके चलते ऊधमसिंह नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी के यहां वाद संख्या 52/50 में 13 जुलाई 2015 को इसे सहमति भी प्रदान कर दी गई है। जमीन परिवर्तित करने की इस प्रक्रिया को संटवारा कहते हैं, लेकिन संटवारा सरकारी जमीन का नहीं हो सकता, बल्कि यह निजी व्यक्ति ही एक-दूसरे को स्थानांतरित कर सकते हैं। शायद यही वजह है कि कागजों में 13 जुलाई 2015 को सरकारी गूल की संटवारा होने के बावजूद रुद्रपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी ने 2 मई 2017 को उक्त सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने रसूखों के बल पर आज तक अतिक्रमण नहीं हटाया।
बावजूद इसके सरकारी गूल प्रकरण पर तीन जांच हो चुकी हैं। पहली जांच तीन सदस्यीय टीम ने संयुक्त रूप से की। जिसमें रुद्रपुर के नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और राजस्व उपनिरीक्षक द्वारा जांच 25 अप्रैल 2017 को की गई थी। उपजिलाधिकारी को प्रेषित जांच तीन गूलों पर आधारित है जो मेडिसिटी से पूरी तरह प्रभावित है, जबकि दूसरी जांच राजस्व उपनिरीक्षक ने 18 अगस्त 2017 को की। जिसको रुद्रपुर के तहसीलदार को प्रेषित किया गया। इसी के साथ एक अन्य जांच भी रुद्रपुर के तहसीलदार को भेजी गई। यह जांच 23 दिसंबर 2017 को स्थानीय राजस्व उपनिरीक्षक लक्ष्मण सिंह जंगपांगी द्वारा की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि जांच चलने के दौरान ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का रुद्रपुर आगमन हुआ। याद रहे कि 28 नवंबर 2017 को प्रदेश के मुखिया ने मेडिसिटी हॉस्पिटल का भव्य उद्द्घाटन किया। ऐसा कैसे संभव है कि एक जिले के सबसे बड़े अधिकारी के अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी मामले की जांच कर रहे थे और उनको इसका पता तक नहीं था। सवाल उठता है कि कैसे जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री की अंधेरे में रखकर मेडिसिटी हॉस्पिटल का उद्द्घाटन कराने की हरी झंडी दे दी।
गूलों और नाले की जमीन पर अतिक्रमण के अलावा मेडिसिटी हॉस्पिटल पर उधमसिंह नगर जिला विकास प्राधिकरण के नक्शे के विपरीत निर्माण कार्य करने के भी आरोप हैं। मौजूद सूचना अधिकार अधिनियम में मिले साक्ष्यों के अनुसार हॉस्पिटल ने स्वीकूत मानचित्र के विपरीत कॉमर्शियल दुकानें बना दी। इस बाबत प्राधिकरण ने मानचित्र स्वीकृत कराए बिना ही दुकानों का निर्माण कराने पर निर्माण कार्य के विरुद्ध कार्यवाही की। डॉ दीपक छाबड़ा विरुद्ध मानचित्र के विपरीत व्यावसायिक दुकानें बनाने को लेकर एक वाद संख्या 5व1/3/2017चाराधीन है।
डॉ. दीपक छाबड़ा से उनका पक्ष जानने के लिए कइ बार बात करने का प्रयास किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं थे।
इंटरव्यू :-
‘मुझे मामले की जानकारी नहीं’–रुद्रपुर के डीएम डॉ. नीरज खैरवाल
28 नवंबर 2017 को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आपके जनपद में मेडिसिटी हॉस्पिटल का उद्द्घाटन किया था। इस हॉस्पिटल के खिलाफ सरकारी गूलों पर अतिक्रमण का मामला लंबित है। ऐसे में जिला प्रशासन ने सीएम के एक विवादित अस्पताल के लोकार्पण का कार्यक्रम कैसे स्वीकृत किया.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जो कार्यक्रम आता है, हम उसी का पालन करते हैं। अगर कहीं पर अतिक्रमण हुआ है तो उसकी जांच कराई जाएगी।
क्या एक विवादित परिसर का उद्द्घाटन मुख्यमंत्री से कराए जाने पर आपके स्तर से चूक नहीं हुई है.
कोई चूक नहीं हुई।
मेडिसिटी में बगैर ऊधमसिंह नगर जिला विकास प्राधिकरण द्वारा मानचित्र स्वीकृत कराए व्यावसायिक दुकानें बनाने का मामला भी लंबित है। क्या सीएम के कार्यक्रम को हरी झंडी देते समय यह आपके संज्ञान में था?
इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
मेडिसिटी अस्पताल में दो गूलों के मामले में एक गूल की जमीन का बंटवारा नियम विरुद्ध किया गया है। इस पर कोई कार्यवाही आपके स्तर से होगी.
कोई नियम विरुद्ध नहीं हुआ है।
नौ मई 2017 को तत्कालीन उपजिलाधिकारी पंकज कुमार उपाध्याय ने आपको प्रेषित अपनी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा कि सिंचाई विभाग की मिलीभगत से नहर नदी को बंद कर नहर की जमीन में अवैध निर्माण मेडिसिटी द्वारा कराया जा रहा है। यह भी लिखा गया है कि 02/05/2017 को तहसीलदार रुद्रपुर को इस अतिक्रमण पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। इस पर अभी तक क्या कार्यवाही हुई है.
”मुझे इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बाद लगी। हॉस्पिटल ने नाले पर अतिक्रमण किया है। मुख्यमंत्री का कार्यक्रम मैंने नहीं]बल्कि मंत्री अरविंद पाण्डेय और बलराज पासी ने लगवाया था। मैं जल्द ही इस मामले की जांच कराने के लिए जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से मिलूंगा।” – राजकुमार ठुकराल, विधायक रुद्रपुर
”इस मामले में बैठकर बात करेंगे। हॉस्पिटल ने अतिक्रमण किया है तो उसे हटाया जाना चाहिए।” – राजेश शुक्ला, विधायक किच्छा
”जांच डीएम साहब को भेजी जा चुकी है। आप डीएम से बात कर लीजिए। एक गूल पर शायद कोई केस चल रहा है। गूल का मामला ऊपर से हुआ है। मैं तो तब यहां तहसीलदार भी नहीं थी।’ ‘
अमृता शर्मा, तहसीलदार रुद्रपुर
”इस मामले में आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी। नदी]नाले और गूलों पर अतिक्रमण किया गया है। पहले तो सरकार नदी-नालों से 200 मीटर दूर भवन निर्माण का कानून बनाती है और बाद में उसी पर हॉस्पिटल बनाने की स्वीकृति दे देती है। हम अगर गौला नदी पर मकान बना लें और दूसरी जगह जमीन दे दें तो क्या यह संभव है। अगर नहीं तो फिर मेडिसिटी हॉस्पिटल कैसे बना। इस मामले की जांच उच्च स्तर से कराई जानी चाहिए। ग्रीन एन्वायरमेंट इस मामले में आंदोलन करेगी।”
नाजिम जैदी, अध्यक्ष ग्रीन एन्वायरमेंट