भूपेंद्र कुमार
हरिद्वार में बी एच ई एल के अस्पताल प्रबंधन ने एक 37 वर्षीय उपनल कर्मचारी को जिंदा ही मृत घोषित करके मोर्चरी में रखवा दिया।
डेढ घंटे बाद जब उसके परिजन आए तो उन्होंने देखा कि मोर्चरी में मरीज ने पेशाब भी की हुई थी और अपने कपड़ों पर भी उल्टी की हुई थी।
परिजनों ने यह देख कर अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा मचा दिया। जीवित व्यक्ति को ही मोर्चरी में रखवाने का मामला सामने आते ही रानीपुर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
गौरतलब है कि उपनल कर्मचारी संविदा पर बीएचईएल हरिद्वार में तैनात था। उपनल कर्मचारी हृदय रोग से पीड़ित था। कृष्णा नाम के इस उपनल कर्मचारी को उसके परिजन माइनर हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में लेकर आए थे। उन्होंने अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों से जांच करने के लिए काफी मिन्नतें की, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बिना जांच पड़ताल किए कर्मचारी को मृत घोषित कर दिया और मोर्चरी में रखवा दिया था।
बीएचईएल के कर्मचारी नेता परितोष कुमार का कहना है कि डॉक्टरों ने मरीज को एक इंजेक्शन तक नहीं लगाया और बिना जांच के 12:30 बजे उसे मोर्चरी में रखवा दिया।
परितोष कुमार का कहना है कि जब डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर मोर्चरी में रखवा दिया तो उसके डेड घंटे बाद पंचनामे के लिए पुलिस अस्पताल में आई और जब मोर्चरी खुलवाकर मरीज को देखा गया तो उसने कपड़ों पर उल्टी की हुई थी।
परितोष कुमार का कहना है कि कोई भी मृत व्यक्ति उल्टी और पेशाब नहीं कर सकता तो ऐसे में सवाल डॉक्टरों की लापरवाही पर उठता है कि उन्होंने बिना जांच किए ही कृष्णा की जान ले ली।