कुलदीप एस राणा
कल तक तमाम सरकारों को अपने इशारों पर नचाने वाले उत्तराखंड के डॉक्टर्स आईएएस नितेश झा के आ जाने से डरे-डरे नज़र आ रहे हैं। तेज तर्रार आईएएस कहे जाने वाले नितेश झा ने सूबे की चिकित्सा शिक्षा व चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव का जिम्मा संभालते ही ताबड़ तोड़ बैठकें कर जिस तेजी से कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं, उससे सूबे के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। कल तक सुस्त पड़े विभागीय कर्मचारी नितेश झा की ताबड़तोड़ हो रही मीटिंग्स के लिए खुद को अपडेट करने में जुटे नज़र आ रहे हैं कि कब सचिव किस योजना-परियोजना की जानकारी मांग लें।
कल तक पहाड़ में ट्रांसफर किये जाने पर इस्तीफे की धमकी देकर छुट्टी पर चले जाने वाले डॉक्टर्स को अब अपनी नौकरी बचानी मुश्किल हो रही है। उत्तराखंड की बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य सेवा को दुरस्त करने की दिशा में नितेश झा ने अपने पहले ही शासनादेश मे कड़ा संदेश दे दिया था।
शासनादेश के अनुसार पहाड़ के खाली पड़े अस्पतालों में ट्रांसफर पर जॉइन न वाले डॉक्टर्स के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करते हुए उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर उनके समस्त पेंशन ,भत्ते इत्यादि भुगतान पर रोक लगा दी जाएगी।
इससे पहले वह दून मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ प्रदीप भारती को झाड़ लगाकर अपने इरादे साफ कर चुके हैं। प्रदीप भारती चिकित्सा शिक्षा निदेशक डा आशुतोष सयाना तथा कुलपति डॉ सौदान सिंह को बायपास करके कालेज की समस्याओं के नाम पर सीधे नितेश झा से मिलने चल दिए थे। श्री झा ने उन्हें लताड़ा और नसीहत देकर बैरंग कर दिया। डॉ भारती की मनमानी के कारण दून मेडिकल कॉलेज में व्याप्त अव्यवस्था का भी सचिव ने संज्ञान लिया है। गौरतलब है कि पर्वतजन ने पहले भी भारती तथा संविदा पर कालेज मे तैनात उनकी पत्नी की मनमानी की खबरें प्रकाशित की हैं।भारती की पत्नी डॉ सोना पढ़ाने के बजाय अपनी संस्था परी फाउंडेशन मे ही सक्रिय रहती हैं। वह प्रधानाचार्य पति के संरक्षण के चलते क्लास से अकसर गायब रहकर संस्था चलाती हैं, लेकिन हाजिरी पूरी लगती हैं । कालेज के खर्चे पर पत्नी को अवैध गाड़ी, आवास आदि की भी लूट अलग से जारी है।
अपने एक और शासनादेश मे नितेश झा ने राजकीय मेडिकल कालेजों में MBBS में प्रवेश के समय हस्ताक्षरित बॉन्ड प्रक्रिया सुधार लाया है।इस सुधार के क्रम में शैक्षणिक /अन्य दस्तावेज जो संबंधित मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल के पास जमा हो जाते थे और MBBS उत्तीर्ण होने के बाद राज्य में संविदा पर स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त डॉक्टर्स जो कल तक MD की तैयारी के नाम पर अपने मूल अभिलेखों को दिए जाने के लिए विभाग की लचर कार्य प्रणाली का लाभ उठाते हुए हाइकोर्ट पहुंच जाया करते थे,उनकी नकेल भी कस दी है।
MBBS उत्तीर्ण ऐसे बॉन्डधारी डॉक्टर्स को पहाड़ भेजने की दिशा में उल्लेखनीय कदम उठाते हुए आज जारी शासनादेश के तहत इन डॉक्टर्स की प्रांतीय सेवा संवर्ग के पदों पर आवेदन में मूल शैक्षणिक अभिलेखों की आवश्यकता समाप्त कर दी है। अब संबंधित मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल , चिकित्सा चयन बोर्ड उत्तराखंड को इस आशय का एक प्रमाण पत्र अपने स्तर से निर्गत करेंगे। जिससे मूल अभिलेख कालेज प्रिंसिपल के पास ही जमा रहेंगे।
ऐसी दशा में अब डॉक्टर्स का पहाड़ के अस्पतालों में जॉइन कर वहां रुकना मजबूरी हो जाएगा ।
नितेश झा की ये तमाम कोशिशें रंग लाती हैं तो छोटी-मोटी दुख-बीमारी की दशा में भी इलाज के लिए मैदान का रुख करने की मजबूरी कम हो सकती है।