भूपेंद्र कुमार
प्रदेश के निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत निजी स्कूलों में पहली कक्षा में अथवा सबसे निचली कक्षा में कुल छात्र संख्या के 25% छात्र निशुल्क भर्ती किए जाते हैं। यह छात्र आर्थिक स्थिति से गरीब परिवारों के होते हैं। इनकी फीस सरकार वहन करती है। इसके लिए उनके अभिभावकों की वार्षिक आय 55,000 या उससे कम होनी चाहिए। इन कमजोर आर्थिक वर्ग के छात्रों की 25% सीटों में से 50% बालिकाएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। पहली प्राथमिकता स्कूल के नजदीक की आबादी के बच्चों को भर्ती किए जाने में दी जाती हैं।
ऐसे कई उदाहरण आए हैं कि वास्तविक रूप से गरीब तबकों के बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं, जबकि अच्छी-खासी सरकारी नौकरियों और व्यवसाय चलाने वाले पहुंच वाले लोग अपने बच्चों को फ्री में हाई-फाई निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
इसमें शिक्षा विभाग की भी मिलीभगत रहती है। इसलिए आर्थिक रूप से वंचित लोगों को अपने बच्चों का एडमिशन करवाते हुए खुद भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। वरना ऐसा भी हो सकता है कि आपके बच्चे का हक किसी अमीर की झोली में चला जाए।
उदाहरण के तौर पर पिछड़ी जाति रवांल्टा समुदाय का जगमोहन उत्तरकाशी की तहसील डुंडा का मूल निवासी है। वह देहरादून में दूसरों की गाड़ी चलाकर किसी तरह अपना परिवार पाल रहा है। जगमोहन सिंह चौहान ने अपने बच्चे निखिल चौहान का आरटीई के अंतर्गत दाखिला कराने के लिए वर्ष 2017-18 में नगर शिक्षा अधिकारी देहरादून के यहां आवेदन किया था। नई बस्ती चंद्र रोड डालनवाला निवासी जगमोहन के बच्चे का चयन देहरादून के डालनवाला स्थित दून ब्लॉसम स्कूल में हो गया। उनके बच्चे ने बाकायदा स्कूल जाना शुरु कर दिया था। एक दिन स्कूल प्रबंधन ने 20 जुलाई 2017 को उन्हें फोन करके बताया कि आरटीई के अंतर्गत एडमिशन फॉर्म में उन्होंने जो आय प्रमाणपत्र लगाया है, वह भौतिक जांच के उपरांत गलत पाया गया। तथा वह कल से अपने बच्चे को स्कूल न भेजें, क्योंकि उस का दाखिला निरस्त हो गया है।
हैरान परेशान जगमोहन अगले दिन स्कूल में पूछताछ करने के लिए गया तो पता चला उसका आय प्रमाण पत्र किसी दूसरे के आय प्रमाण पत्र से जानबूझकर बदल दिया गया था। जगमोहन के आय प्रमाण पत्र का क्रमांक UK आईएनसी 00305/1700 345 500 दर्शाया गया था जबकि उनके आय प्रमाण पत्र का क्रमांक UK 10 आईएनसी 0305/17003 5649 है। जब जगमोहन ने फार्म के साथ लगाए हुए आय प्रमाण पत्र के बारे में पूछा तो पता चला कि वह नगर शिक्षा अधिकारी देहरादून के कार्यालय द्वारा हटा दिया गया था और उसकी जगह पर किसी और के आय प्रमाण पत्र की प्रति संलग्न की गई थी। इस कारण उक्त प्रमाण पत्र जांच में किसी और का निकला और इसी वजह से प्रार्थी का दाखिला निरस्त हो गया। तब से हैरान परेशान जगमोहन कई अफसरों के पास जाकर गुहार लगा चुका है लेकिन अफसरों के दिल हैं कि पसीजने को राजी नहीं।
बच्चे की मां को कैंसर है और बच्चा स्कूल जाने की जिद में खाना भी नहीं खा रहा। जगमोहन ने जिलाधिकारी से लेकर नगर मजिस्ट्रेट और तहसीलदार तक के दरवाजे पर जा जाकर एड़ियां घिस दी लेकिन आधा शिक्षा सत्र बीत जाने के बाद भी एक मजबूर बाप को आश्वासन के सिवा अब तक कुछ हासिल नहीं हो सका। आशंका है कि किसी और की सिफारिश आने के बाद बच्चे का दाखिला जानबूझकर शिक्षा अधिकारी के कार्यालय अथवा स्कूल प्रबंधन की ओर से साजिश के तहत निरस्त किया गया है। सवाल उठता है कि यदि यह दाखिला साजिशन निरस्त नहीं किया गया तो स्कूल में उक्त बच्चे की सीट खाली रहनी चाहिए थी और तत्काल बाद आपत्ति जताने पर,चाहे जिस भी स्तर से गलती हुई हो उसे सुधार कर फिर से बच्चे को प्रवेश दे दिया जाता। बच्चे का प्रवेश न होने से साफ जाहिर है कि नगर शिक्षा अधिकारी अथवा स्कूल प्रबंधन ने बच्चे का हक किसी अमीर की झोली में डाल दिया।अब बच्चे का साल खराब होने का पुण्य किसके खाते मे दर्ज होगा यह ऊपर वाला ही तय करेगा।उसकी लाठी मे सुना है आवाज नही होती।