जगमोहन रौतेला//
गत विधानसभा चुनाव में देश के चौकीदार जी ने उत्तराखण्ड की जनता से वायदा किया था कि भाजपा की सरकार बनने पर मुख्यमन्त्री चाहे कोई भी हो , लेकिन वे सरकार पर नजर रखने के साथ – साथ राज्य के लोगों का भी ख्याल करेंगे . भ्रष्टाचार पर मैं कोई बात नहीं करुँगा , क्योंकि वह तो केवल विपक्ष के लोग करते हैं . सत्ता में बैठे सारे लोेग गंगा जल की तरह पवित्र ( वैसे गंगा अब बहुत प्रदूषित हो गई है . यह सरकार भी मानती है ) हैं .
पर आज १५ अगस्त को देश को सम्बोधित करते हुए देश के प्रधान सेवक ने पिथौरागढ़ जिले के मालपा हादसे पर दो तो छोड़िए , एक शब्द भी कुछ नहीं कहा . जिसमें तीन दर्जन से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है . उसमें भी एक दर्जन से अधिक हमारे देश के सैनिक हैं . आम आदमी तो चलिए हर रोज , हर जगह , हर समय मरता रहता है , उसकी मौत पर क्या मातम मनाना ? जब मासूम बच्चों की तड़पते हुई मौत पर आपका दिल नहीं पसीजा तो भूस्खलन में मारे गए लोगों पर क्या पसीजेगा ? यह इसलिए लिख रहा हूँ कि मासूमों की मौत पर आपने कोई ” ट्वीट ” नहीं किया . नहीं तो आप तो पड़ोस के प्रधानमन्त्री की मॉ की तबीयत खराब होने की खबर मात्र मिलने से उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना का ट्वीट कर देते हैं .
पर कम से कम लालकिले से तो एक दर्जन सैनिकों के शहीदों होने पर और कुछ नहीं तो श्रद्धांजलि ही दे देते . वैसे सुना और पढ़ा तो बहुत है कि आपके पास एक ऐसी टीम है , जो आपको देश – दुनिया की पल – पल की खबरों से अवगत कराती रहती है . पर आपकी इस टीम ने आपको मालपा हादसे के 36 घंटे ( लालकिले से बोलते समय इतना ही वक्त गुजरा था ) बाद भी कुछ नहीं बताया ? और आपकी पार्टी के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भी इस बारे में आपको या आपके कार्यालय के कुछ बताना उचित नहीं समझा क्या ? वह भी तब जब मौसम खराब होने के कारण मुख्यमन्त्री वहॉ नहीं पहुँच पाए .
वैसे लगता है कि जिस तरह आपकी पार्टी के एक दूसरे मुख्यमन्त्री योगी जी महाराज को मासूम बच्चों की मौत पर कोई आश्चर्य और अफसोस नहीं होता . वह उसे सामान्य घटना करार देते हैं . लगता है कि वैसा ही कुछ आपकी पार्टी के उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत को भी लगता है , क्योंकि वे जब मालपा हादसे की ऑखों देखी के लिए आपने वित्त व शराब मन्त्री प्रकाश पंत के साथ हेलीकॉप्टर में उड़ रहे थे तो वित्त मन्त्री को हवाई उड़ान में अपने मुख्यमन्त्री के भूख की चिंता भी थी . तभी तो वे कुरकुरे और चिप्स के पैकेटों का थैला लेकर साथ में चल रहे थे और हवाई उड़ाने में ससम्मान उन्हें मुख्यमन्त्री जी को पेश भी कर रहे थे . हमारे राज्य के मुख्यमन्त्री भी इन दिनों आपदा को भी पर्यटन के रुप में ले रहे हैं . बहुत बढ़िया नजर है साहेब आपकी अपनी पार्टी की सरकार पर !
वैसे यह उत्तराखण्ड में पहली बार नहीं हो रहा है . जब 2013 उत्तराखण्ड में भीषण आपदा आई थी और कॉग्रेस सरकार के मुख्यमन्त्री विजय बहुगुणा ( जो अब आपकी पार्टी की शान हैं ) थे तो तब भी मन्त्रियों , अधिकारियों व मीडिया के कई साथियों ने आपदाग्रस्त क्षेत्र को देखने और वहॉ सहायता पहुँचाने के नाम पर जमकर ” आपदा पर्यटन ” किया था . तब भी किसी को शर्म नहीं आई थी तो अब भी क्योें किसी को शर्म आए !
शायद आपदा को पर्यटन समझने के कारण उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री ने आपको कुछ नहीं बताया और वैसा ही आपकी उस टीम ने भी किया जो आपको देश , दुनिया की मिनट दर मिनट खबर देती है .
कारण जो भी रहा हो पर मालपा हादसे पर आपका दो शब्द न बोलना और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि न देने से आपकी पार्टी के नेता आहत हों , चाहे न हों पर उत्तराखण्ड का जनमानस बहुत आहत है साहेब !