उत्तराखंड में निजी आयुवर्दिक कालेजों की बाढ़ सी आई हुई है जो उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय से संबद्द है। अब जब संबद्धता देने वाले आयुर्वेद विश्विद्यालय में ही अंधेर नगरी चौपट राजा हो तो बाकी का क्या हाल होगा!
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के हर्रावाला स्थ्ति मुख्य के 120 बेड के आयुर्वेदिक अस्पताल में न तो बेड पर चादरें है न ही मरीज। बस खाली फाइलों में फर्जी मरीज दिखाए जा रहे हैं ताकि मान्यता मिलती रहे।
जब सरकारी कालेज के ये हाल हैं तो निजी के क्या होंगे?
बस सीसीआईएम के इंपेक्शन से पहले कागजों में फेकल्टी और मरीज दिखा मान्यता का खेल किया जाता है।
अस्पताल में न तो मेडिकल सुप्रिटेंटेंडेंट है न ही डेप्यूटी मेडिकल सुप्रीटेंडेंट।
ओपीडी में भी रोजाना 10 से 20 मरीज फर्जी दिखाए जाते हैं।
आयुर्वेद विश्विद्यालय में बीएएमएस के फर्स्ट ईयर का बैच है लेकिन कालेज में डिसेक्शन के लिए कोई न तो डेड बॉडी है न ही कोई व्यवस्था।