उत्तराखंड की राज्य मंत्री रेखा आर्य का पति गिरधारी लाल हिस्ट्री शीटर गुंडा तत्व तो है ही किडनी चोरी में भी उसका नाम शामिल हो गया है। गिरधारी लाल गिरधारी लाल साहू उर्फ गिरधारी पप्पू ने अपने नौकर नरेश चंद्र गंगवार की किडनी धोखे से निकलवाकर अपनी दूसरी पत्नी वैजयंती माला को लगवा दी।
गिरधारी लाल ने नरेश चंद्र गंगवार को चुप कराने के लिए उसे बरेली में मकान देने का वादा किया था तथा लड़की की शादी पढ़ाई में भी मदद करने का पूरा आश्वासन दिया था। किंतु बाद में इस सबसे भी मुकर गया। नरेश गंगवार कहता है कि वह वादा तो क्या पूरा करता 2-3 महीने का वेतन तक नहीं देता।
तंग आकर नौकर ने संडे पोस्ट के दफ्तर मैं आकर अपनी पूरी हकीकत बयान की । उत्तराखंड के प्रमुख साप्ताहिक अखबार संडे पोस्ट ने यह हैरतअंगेज खुलासा किया है। इस बार के अंक में संडे पोस्ट ने पूरी कहानी पूरे सबूतों के साथ छापी है। नरेश चंद्र गंगवार ने संडे पोस्ट को बताया कि उसे गिरधारी लाल साहू अपनी पत्नी की देखभाल करने के नाम पर श्रीलंका ले गया था तथा पासपोर्ट बनाने के नाम पर धोखे से उसके टेस्ट करवाए गए। श्रीलंका में उसको कहा गया कि किडनी नहीं मिल पा रही है। इसलिए तुम ही किडनी दे दो बदले में हम तुम्हें बच्चों की शादी पढ़ाई से लेकर इतनी मदद करेंगे कि तुम जिंदगी भर बैठ कर खाओगे।
नरेश चंद्र कहता है कि उसके टेस्ट भारत के मेदांता में ही कराए गए थे तथा श्रीलंका में 27 जून 2000 15 की शाम को उसकी किडनी ट्रांसप्लांट करा दी गई ।नरेश चंद्र गंगवार कहता है कि इस मामले में राज्य मंत्री रेखा आर्य को भी पूरी बात पता है। लेकिन आखिर वह गिरधारी के सामने मेरी बात क्यों सुनती।
उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के जसन्नपुर गांव का रहने वाला नरेश चंद्र गंगवार साहू के यहां बतौर सुपरवाइजर ₹10000 के मासिक वेतन पर काम करता है। तथा गिरधारी लाल साहू के फार्म हाउस आरटीओ रोड बिजेंद्र बिहार हल्द्वानी में ही रहता है ।नरेश गंगवार को मेदांता अस्पताल में भाई कहकर भर्ती कराया गया था ताकि उसकी जांच कराई जा सके मेदांता अस्पताल में गंगवार को भाई होने के प्रमाण पत्र मांगे गए तो फिर साहू गायब हो गया। कानूनी रूप से सगे संबंधियों से ही किडनी प्रत्यारोपण किया जा सकता है नरेश गंगवार को 17 जून 2015 को एयर इंडिया से कोलंबो ले जाया गया तथा 4 जुलाई को वापस लाया गया था।
संडे पोस्ट ने बोर्डिंग पास तथा मेदांता अस्पताल के दस्तावेजों साथ यह स्टोरी प्रकाशित की है। उत्तराखंड के हर एक जिम्मेदार नागरिक को यह खबर पढ़नी चाहिए क्योंकि इस तरह की खबरें आपको मंत्री विधायकों के साथ कारपोरेट भागीदारी निभाने वाले दैनिक अखबारों तथा न्यूज चैनलों में पढ़ने देखने को नहीं मिलेंगी। संडे पोस्ट की निर्भीकता को पर्वतजन भी सलाम करता है।