चौथे दिन बेटे के आने के बाद हुआ अंतिम संस्कार
बेटा और पत्नी अपनी ही बहू की हत्या मे काट रहे जेल की सजा
पेरोल पर छूटे बेटे ने दी बाप की चिता को मुखाग्नि
गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी से लगे टिहरी जिले के गैर गांव मे मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है।गांव के ही एक बुजुर्ग की 3 अक्टूबर को मौत हो गयी। किन्तु घर मे परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं होने के चलते तीन दिन तक बुजुर्ग का शव घर मे ही पड़ा रहा।
मृतक का एक मात्र बेटा और पत्नी अपनी बहू की हत्या के आरोप मे सुद्धोंवाला जेल मे आजीवन कारावास की साज काट रहे हैं। घर मे कोई दरवाजा खोलने वाला भी मौजूद नहीं है। शव से बदबू आने तक भी जब बेटे को पेरोल पर छूट नहीं मिली तो ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर जाम लगाने की चेतावनी दी।
क्षेत्र के बीडीसी मेम्बर राम सिंह बुढान और पूर्व प्रधान ने दौड़ भाग कर जिला अधिकारी टिहरी से पेरोल पर रिहा करने की मांग की, ताकि अभागा बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार कर सके। किन्तु कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के तीन दिन लग गए। इस बीच शव से बदबू भी आने लगी।
ग्रामीणों ने बताया की मृतक मूक – बधिर था और किसी तरह अपनी वृद्धावस्था पेंशन से अपना जीवन निर्वाह कर रह था। बुजुर्ग की मौत की खबर सुनकर आसपास के लोग एकत्र हुए तो घर मे पानी पिलाने वाला भी मौजूद नहीं था।
ग्रामीणों ने ही किसी तरह आने जाने वालों के लिए खाने पीने की व्यवस्था जुटाई। चौथे दिन बेटे के घर पहुंचने के बाद बुजुर्ग का अंतिम संस्कार हो सका। क्षेत्र के पटवारी चन्दन सिंह चौहान ने बताया कि अभी इन्हे केवल तीन दिन की ही पेरोल पर छूट मिली है। मृतक के बेटे सत्ये सिंह ने जिला प्रशासन ने अंतिम संस्कार के बाद होने वाली हिन्दू परम्पराओं के निर्वहन के लिए और घर की व्यवस्था के लिए एक महीने पेरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की है।
गौरतलब है कि 13 दिन तक अंतिम संस्कार मे मुखाग्नि देने वाले क्रिया पात्र को एक ही स्थान पर रहकर विधि विधान से संस्कार कार्य पूरे करने होते हैं। ये पहाड़ की गरीबी ही है जो जाने-अनजाने मे इनसे ऐसे अपराध करवाती है जिसके परिणाम स्वरूप ऐसी तस्वीर सामने आती है जो मानवीय संवेदनायें दर तक झकझोर कर रख देती है।