भूपेंद्र कुमार
उत्तराखंड में मेयर के चुनाव भले ही अप्रैल 2018 में होने हैं, किंतु भाजपा सरकार में तेजी से मजबूत चेहरे के रूप में उभरे सुनील उनियाल गामा ने खुद को देहरादून से मेयर का प्रत्याशी घोषित कर दिया है। आजकल देहरादून की सड़कें सुनील उनियाल गामा के बधाई संदेश वाले होल्डिंग-बैनरों से आच्छादित है। काडर आधारित पार्टी होने के नाते टिकट डिक्लेयर होने से पहले गामा का खुद को मेयर प्रत्याशी घोषित करना खुद भाजपा संगठन के लिए असहज मामला बना हुआ है।
एक ओर अभी तक देहरादून नगर निगम के चुनाव में मेयर पद पर आरक्षण की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। यह सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी अथवा सामान्य सीट होगी, यह भी तय नहीं है।
सुनील उनियाल गामा ने Facebook पर एक पेज बनाया है, इसका नाम है ‘सुनील उनियाल गामा फॉर मेयर देहरादून’। यह पेज Facebook का स्पॉन्सर्ड पेज है। और अभी तक इस पर 398 लाइक्स भी आए हैं। इस पेज की प्रोफाइल फोटो में सुनील उनियाल गामा कभी प्रधानमंत्री के सामने नमन मुद्रा मे हैं, तो कभी अपने कुछ समर्थकों के साथ प्रसन्नचित मुद्रा में है। तथा उस फोटो के विषय में लिखा गया है कि होने वाले मेयर के रूप में सुनील उनियाल गामा एक ‘डाउन टू अर्थ’ विजनरी और सबसे योग्य प्रत्याशी हैं। गौरतलब है कि सियासत के जानकारों के अनुसार खुद को पहले ही मेयर का प्रत्याशी घोषित करना अपरिपक्व राजनीति का परिणाम है या फिर इतने अधिक आत्मविश्वास के पीछे कोई और कारण है। आमतौर पर यह देखा जाता है कि चुनाव में टिकट की दौड़ में अक्सर जिसका नाम सर्वाधिक चर्चाओं में होता है, टिकट मिलने के समय पर उसका पत्ता कट जाता है।
कुछ प्रत्याशी चुपचाप टिकट पाने की जुगत में लगे रहते हैं और उन्हें यदि मीडिया टिकट की दौड़ में शामिल भी बताना चाहें तो वह यह कहते हुए विनम्रता से मना कर देते हैं कि यदि इस बात पर चर्चा हुई तो उनके कई प्रतिद्वंदी उनका पहले ही विरोध करके उनका पत्ता साफ कर सकते हैं।
गौरतलब है कि देहरादून में विधायकी का टिकट पाने में मेयर विनोद चमोली से पिछड़े उमेश अग्रवाल का दावा भाजपा से मेयर के प्रत्याशी के लिए तय माना जा रहा था।
विधायक प्रत्याशी के लिए उमेश अग्रवाल का टिकट कटने पर विधानसभा चुनाव के समय यह आश्वासन दिया गया था कि उन्हें मेयर के चुनाव में टिकट दिया जाएगा। किंतु अप्रत्याशित रूप से हाल ही में हुए भाजपा के सांगठनिक चुनाव में उमेश अग्रवाल को भाजपा महानगर अध्यक्ष के पद से भी चलता कर दिया गया।
उमेश अग्रवाल जनवरी 2016 में भाजपा संगठन के महानगर अध्यक्ष बनाए गए थे तथा उनका कार्यकाल लगभग लोकसभा चुनाव तक यानी जनवरी 2019 तक सामान्यतः रहना था। किंतु हाल ही में हुए सांगठनिक बदलाव में अमित शाह के आपत्ति जताने पर भाजपा के 23 सांगठनिक जिलों को 14 जिलों तक सीमित कर दिया गया। नए बने 14 सांगठनिक जिलों में 10 चेहरे रिपीट किए गए हैं। इसमें उमेश अग्रवाल को हटाकर विनय गोयल को महानगर अध्यक्ष बनाया गया है।
सुनील उनियाल गामा की मेयर पद के लिए फ्रंट फुट पर दावेदारी करने तथा उमेश अग्रवाल से महानगर अध्यक्ष की कुर्सी भी छीन लिए जाने के बाद यह माना जा रहा है कि गामा मेयर की दौड़ में सबसे आगे हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण उनका सीएम त्रिवेंद्र रावत का सर्वाधिक करीबी होना भी है। जब सुनील उनियाल गामा से इस पेज के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था कि यह पेज उनके समर्थकों ने बनाया है, लेकिन उन्हें इस पर कोई आपत्ति भी नहीं है
बहरहाल पार्टी द्वारा प्रत्याशी घोषित किए जाने से पहले ही खुद ही प्रत्याशी बन जाने से गामा आजकल नगर मे चर्चा का विषय बने हुए हैं।