पूजा भारद्वाज को दी जा सकती है आयुर्वेदिक विश्विद्यालय के कुलपति जिम्मेदारी ?
विवादों से मुक्त होगा आयुर्वेदिक विवि.।
मृत्युंजय मिश्रा के प्रभाव से मुक्त कराने में सक्षम होंगे नए कुलपति?
कुलदीप एस राणा
उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि के स्थायी कुलपति हेतु चयन समिति द्वारा निर्धारित की गई आवेदन करने की अंतिम तिथि अक्टूबर 07, 2017 की शाम 5 बजे तक लगभग 3 दर्जन आवेदन विवि के पास आ चुके थे। पंजाब, उत्तर प्रदेश , राजस्थान सहित दक्षिण के विभिन्न राज्यों से आये इन तमाम आवेदनों में कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो विभिन्न राज्यों के आयुर्वेदिक विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
इनमे गुजरात मे आयुर्वेद के प्रोफेसर रहे डॉ एचएम चंदोला ,उत्तर प्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी विभाग की पूर्व निदेशक डॉ. रक्षा गोस्वामी ,पटियाला से और वर्तमान में उत्तरांचल आयुर्वेदिक कालेज में प्रिंसिपल का कार्य देख रहे डॉ.शुक्ला भी शामिल हैं।
वहीं आवेदन करने वालों में हरिद्वार के ऋषिकुल व गुरुकुल आयुर्वेदिक कालेज के वे प्रोफेसर्स भी शामिल हैं, जिन्होंने आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी में मृत्युंजय मिश्रा की विभिन्न अनियमितताओं में सहभागी भी माना जाता रहा है। इन सबमें एक आवेदन ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ ए एम पाण्डे का भी शामिल है जो विवि में मृत्युंजय मिश्रा रजिस्ट्रार रहते हुए उनसे खासी करीबी के लिए काफी चर्चित रहे हैं।
- कुछ लोग विवि के कुलपति पद हेतु आयुर्वेद शिक्षा से जुड़े अनेक डॉक्टर्स ओर प्रोफेसर्स पर इस चयन प्रक्रिया में मृत्युंजय मिश्रा के प्रभाव से प्रभवित होने का अंदेशा जता रहे हैं किन्तु खलबली तो उत्तराखंड आयुर्वेद निदेशालय की पूर्व निदेशक डॉ.पूजा भारद्वाज के आवेदन करने मात्र से मच गई है, जिससे कुलपति चयन की यह प्रक्रिया बहुत ही रोचक मोड़ पर आ पहुँची है।सूबे में निशंक सरकार के कार्यकाल में काफी चर्चाओं में रही पूजा भारद्वाज की आयुर्वेदिक विवि की परिकल्पना ,प्लानिंग और विवि के पहले एक्ट के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
ऐसे में डॉ पूजा भारद्वाज द्वारा आवेदन करने से एक ओर जहां कई आवेदक खुद को रेस से बाहर मान रहे हैं वहीं नियुक्ति प्रक्रिया में संघ व बीजेपी के दखल से भी इनकार नही किया जा सकता है क्योंकि ऐसा माना जाता रहा है कि पूर्व कुलपति मिश्रा की नियुक्ति भी संघ के दबाव में ही सुनिश्चित हो पाई थी
इन सबके बीच उत्तराखंड आयुर्वेदिक विवि.एक ऐसे कुलपति की बाट जोह रहा है जो उसे विवादों के साये से बाहर निकलने में सक्षम हो और विवि मृत्युंजय मिश्रा के कुप्रशासन के प्रभाव से मुक्त हो सके।