हर वर्ष एक करोड़ नौकरी का वायदा पूरा करने की बजाय कार्यकर्ताओं को किया बेरोजगार
स्वागत करने वाले अब दे रहे बददुआ!
दो दिनों के उत्तराखंड दौरे पर आए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के स्वागत में देहरादून से लेकर प्रदेशभर तक स्वागत के न सिर्फ होर्डिंग लगाए गए, बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से भी उनका जमकर स्वागत किया गया।
यूं तो अमित शाह का दौरा सिर्फ देहरादून तक ही सीमित रहा, किंतु भारतीय जनता पार्टी के २३ जिलों के जिलाध्यक्षों ने अमित शाह के स्वागत में पूरे प्रदेश में स्वागत के होर्डिंग लगवाए। अमित शाह दो दिनों तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मंत्रियों, विधायकों, तमाम तरह के मोर्चों के पदाधिकारियों से मिले। अमित शाह के तमाम कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद के बाद भाजपा द्वारा यह प्रचारित किया गया कि अमित शाह के आने के बाद भारतीय जनता पार्टी में नया उत्साह और जोश भर गया है।
देहरादून से जाने से ठीक पहले अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी संगठन के सामने एक छोटा सा सवाल पूछा कि आखिरकार ७० विधानसभाओं के १३ जिलों वाले इतने छोटे से राज्य में २३ सांगठनिक जिले बनाने का क्या औचित्य है तो उत्तराखंड की भाजपा इसका जवाब नहीं दे पाई। अमित शाह ने पूछा कि जिले बनाने से नहीं, बल्कि काम करने से जनता की सेवा होती है और उस जनता से संवाद से ही समाधान निकलते हैं।
अमित शाह की इस घुड़की का इतना तीव्र असर हुआ कि अमित शाह के दिल्ली पहुंचने तक उत्तराखंड भाजपा द्वारा बनाए गए नए जिलों को समाप्त करने की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने घोषणा कर डाली। उनके अनुसार देवप्रयाग, कोटद्वार, काशीपुर, डीडीहाट, रुड़की, पुरोला, पछवादून, परवादून, रुद्रपुर, हल्द्वानी, रानीखेत जिले अब विलोपित माने जाएंगे।
इन जिलों की घोषणा अभी कुछ दिन पहले ही हुई थी और इन तमाम जिलाध्यक्षों, महामंत्रियों, मंत्रियों, सचिवों आदि ने अमित शाह के स्वागत में जी-जान लगा दिया था। अब चूंकि अमित शाह को खुश करने के लिए अजय भट्ट ने इनकी बलि ले ली तो अब ये अमित शाह के दौरे को राहुकाल बता रहे हैं कि पता नहीं किस घड़ी लग्न में अमित शाह देहरादून आए और उनकी नौकरी खा गए।
नाम न छापने की शर्त पर एक जिलाध्यक्ष ने बताया कि वे इस तरह का अपमान कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर पार्टी को यही करना था तो उन्हें कुछ घंटों के लिए जिलाध्यक्ष बनने का क्या औचित्य था?