मंत्री रेखा आर्य तथा अफसर राधा रतूड़ी की तकरार, किसकी सुनेगी जीरो टोलरेंस की सरकार!

कुसुम रावत//

मैं एन.एच.74 घोटाले में सी.बी.आई. जांच न होने और प्रकरण के ठंडे बस्ते में पडऩे से बहुत हैरान हूं। प्रदेश में आये दिन विवादास्पस्द नियुक्तियों, लंबित विवादास्पस्द भुगतानों, विवादस्पद लोगों की नियुक्तियों जैसे अनेकों प्रकरण आये दिन अखबारों और सोशल मीडिया की सुर्खियां बन रही हैं। ऐसे प्रकरण भी होंगे जो मीडिया की सुर्खियां न बन सके, पर जब उनसे पर्दा उठेगा तो प्रदेश सन्न रह जायेगा कि गरीब-गुरबों-औरतों-कमजोर युवाओं के नाम पर चलने वाली योजनाओं में क्या चल रहा है?
इनसे इतर मेरे लिए हैरानीभरा प्रकरण कि उत्तराखंड में बाल विकास व महिला सशक्तिकरण मंत्रालय में कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। सुना है बाल विकास मंत्री रेखा आर्य और प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी के बीच शीत युद्ध चल रहा है। उसका कारण विजिलेंस जांच में फंसे बागेश्वर के डी.पी.ओ. उदय प्रताप सिंह सहित 8 और विवादास्पद तबादले हैं। अखबारों का कहना है कि इन साहब को 2015 में विजिलेंस ने रिश्वत प्रकरण में गिरफ्तार किया था, उस वक्त ये रुद्रप्रयाग के प्रभारी डी.पी.ओ. थे और सस्पेंड हुए थे। सालभर पहले ये बागेश्वर आये थे। उस वक्त भी सवाल उठे थे। सुना है उदय प्रताप सिंह सहित कई और मनमाफिक पोस्टिंग चाहते थे, पर वह नहीं हुआ। राधा रतूड़ी विजिलेंस का चार्ज भी देख रही हैं। वह इन तबादलों के पक्ष में नहीं थी। मंत्री ने प्रमुख सचिव के बिना पूर्व अनुमोदन के किये तबादलों को निरस्त कर दिया है। दोनों पक्षों ने मुख्यमंत्री से अपना-अपना पक्ष रखा है।
अपनी ईमानदारी, नेकनीयती, कर्तव्यनिष्ठा, सूबे के हर व्यक्ति से अपने सद्व्यवहार के कारण चर्चित और आज तक कभी किसी विवाद में न आने वाली सूबे की मशहूर आईएएस अधिकारी राधा रतूड़ी ने सुना है अपना विभाग बदलने को लिख दिया है। यह देखने की बात होगी कि ‘जीरो टोलरेंस’ की यह सरकार किस तरफ झुकती है? क्या वह अपने मंत्री का साथ देगी या अपने ‘भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड’ की राह पर चलेगी? मैं इस मुद्दे के नैपथ्य बाल विकास और महिला सशक्तिकरण से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा जनहित में सामने लाना चाहती हूं।
उत्तराखंड के विकास के लिहाज से बाल विकास विभाग महत्वपूर्ण महकमा है। इसके अंतर्गत 2 अक्टूबर 1975 से चलने वाली आई.सी.डी.एस. परियोजना दुनिया के सबसे बड़े और अनोखे कार्यकर्मों में एक है, जो गर्भवती मां, धात्री मां और 0-6 साल के बच्चों को ‘टेक होम राशन योजना’ के अंतर्गत प्रदेश भर में आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से ‘पुष्टाहार आपूर्ति’ का काम कर रही है।
2012 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कुपोषण को ‘राष्ट्रीय शर्म’ कहा था। इस कार्यक्रम को भारत में अपने नौनिहालों के प्रति देखभाल व समर्पण की सोच के साथ देखा जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण के हालत सुधारना है। इसके मूल में कुपोषण और एनीमिया ग्रस्त बच्चों व औरतों को ‘खाद्य और पोषण सुरक्षा’ मुहैया कराना है। इसके अलावा इसमें ‘कुपोषण को खत्म करने हेतु ‘अनुपूरक पुष्टाहार’ की भी व्यवस्था है। कुपोषण खत्म करने की सोच पर टिके इस मिशन में आये दिन भ्रष्टाचार की खबरें आती रहती हैं। इसमें प्रदेश का 200 करोड़ से ज्यादा ही बजट होगा। पिछली सरकार ने वृद्धा माताओं को भी ‘टेक होम राशन योजना’ में जोड़ा, जिसकी धनराशि अलग है। योजना सीधे जमीन से आखरी औरत और बच्चे के हित से जुड़ी है। हजारों ‘आगंनबाड़ी वर्कर’ इससे जुड़े हैं। लाखों बच्चे और मां इसके लाभार्थी हैं।
अच्छा होता मंत्री जी आप ऐसी जमीन से जुड़ी योजना को विवादों से दूर रखती और विवादस्पद लोगों की तरफ न झुकती। ऐसे हालत न पैदा करती कि राधा रतूड़ी सरीखी अधिकारी को इससे खुद को अलग करने हेतु लिखना पड़ता।
मंत्री जी मैंने इस कार्यक्रम का जमीनी क्रियान्वयन नजदीक से देखा है। प्रोग्राम का बारीकी से अध्ययन कर कई इलाकों में आंगनबाड़ी केंद्र तक जाने वाली करोड़ों रुपयों की सप्लाई की जमीनी हकीकत देखी है। गांव की औरतों, आगंनबाड़ी वर्कर और दस्तावेजों में इतने चौंकाने वाले तथ्य मेरे सामने थे कि कोई भी चक्कर खा जाये या शर्म से डूब मर जाये। मुझे बहुत तकलीफ होती है कि कैसे उत्तराखंड के सबसे गरीब तबके का हिस्सा व हक बंटवारे में जाता है? मंत्री जी मेरे संज्ञान में सैकड़ों प्रकरण हैं। मैंने आपसे मिलने का वक्त माँगा था। आप मुझे मिलने का मौका दें। मैं आपको बता सकती हूं कि प्रदेशभर में बाल विकास में पुष्टाहार का सच क्या है? महिला सशक्तिकरण के नाम पर चलने वाली योजनाओं की सेहत कैसी है? कैसे औरतें सहकारिता के नाम पर बेवकूफ बनाई जा रही हैं?
मेरा नम्र निवदन है कि 2-4 जिलों मसलन अल्मोड़ा में ही पुष्टाहार योजना की विजिलेंस जांच करें तो पूरे प्रदेश में चल रही बैटिंग का हाल जान जायेंगी। आप सूबे की आधी आबादी की कप्तान हैं। आप पर बड़ी जिम्मेदारी है कि आपके होते आखिरी औरत के साथ अन्याय न हो, पर यक्ष प्रश्न है कि जब आज सबसे ईमानदार महिला अधिकारी राधा रतूड़ी आपके साथ काम करने से बच रही हैं तो आपसे सूबे की आधी आबादी क्या उम्मीद करेगी? यह प्रकरण पूरे प्रदेश में गलत संदेश दे रहा है। मैंने पिछले 17 सालों में आज तक किसी को भी उन पर उंगली उठाते नहीं देखा?
मंत्री महोदया, काश! आप इस विभाग व पुष्टाहार योजना का ईमानदारी से पालन करा सकें तो आपको दुआएं भी मिलेंगी, वाहवाही भी और वोट भी थोक के भाव मिलते ही रहेंगे। मेरी बात पर यकीन हो तो जनमत संग्रह करा लें।

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