मेयर बांटे रेवड़ी,अपने कर्मियों को दे!
हरिद्वार /कुमार दुष्यंत
हरिद्वार ।अंधा बांटे रेवड़ी फिर फिर अपनों को दे’.. ये कहावत तो आपने खूब सुनी है।हरिद्वार के मेयर इसे नये रुप में चरितार्थ कर रहे हैं ।ओर वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि चंद माह बाद उन्हें फिर से निगम चुनावों में उतरना है।निगम चुनावों में सफलता के लिए निगम कर्मियों का सहयोग मूल्यवान है।इसलिए मेयर इलेक्शन मोड में आकर नयी कहावतें गढ़ रहे हैं
माजरा ये है कि हरिद्वार नगर निगम की भूमि पर शहर भर में अवैध कब्जे हुए वे हैं।क्योंकि निवर्तमान बोर्ड पिछले पांच सालों में लीज समाप्ति की अरबों रुपए मूल्य की अपनी सम्पत्तियों को मुक्त कराने में एक कदम भी आगे नहीं बढ सका है।जिसके कारण नगर निगम की सम्पत्तियों पर काबिज अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद हैं।पिछले दिनों यह जानकारी जब निगम के प्रशासक आईएएस नितिन भदौरिया को लगी तो उन्होंने इन अवैध कब्जों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया।इसकी शुरुआत निगम परिसर में अवैध कब्जा जमाए निगम कर्मियों के अवैध आवास ढहा कर की गयी।
सालों से अवैध रुप से आवासों पर कब्जा जमाए निगम कर्मी इस कार्रवाई से मेयर पर भड़क गये।चुनाव के मुहाने पर बैठे मेयर भला इस मौके पर निगम कर्मियों की नाराजगी कैसे मोल ले सकते हैं ।सो उन्होंने केन्द्रीय योजना से शहरी गरीबों के पांडेवाला ज्वालापुर में बनाए गये आवास अपने इन कर्मियों को देने की घोषणा कर दी।मेयर ने जिन पांच कर्मियों को ये आवास देने की घोषणा की है।उनमें से दो तो एक ही परिवार से हैं ।मेयर की इस घोषणा से जहां निगम की भूमियों पर अवैध रूप से काबिज लोगों की बांछें खिली हुई हैं।वहीं करोड़ों रुपए की लागत से शहरी गरीबों के लिए बनाए गये इन आवासों की पात्रता पर सवाल खड़ा गया है!
जवाहरलाल नेहरू अरबन मिशन के तहत मलिन बस्तियों में रहने वाले शहरी गरीबों के लिए चार करोड़ चौंतीस लाख की लागत से बने यह 96 आवास पिछले पांच सालों से खाली पडे हैं।निगम की राजनीति और अपने-अपने लोगों को इन आवासों में ‘सेट’ करने के चक्कर में वर्ष 2012 से इन आवासों के पात्र लोगों की सूची फाइनल नहीं हो पा रही है।
मेयर के कब्जाधारियों को विकल्प की वकालत के कारण जहां निगम के अवैध कब्जाधारियों के हौसले बुलंद है।वहीं करोड़ों रुपए की केंद्र की बेसिक स्लम अरबन पूअर योजना पर भी सवाल खडे हो गये हैं।नगर निगम प्रशासक नितिन भदौरिया ने मेयर के निर्णय पर टिप्पणी किये बिना ‘पर्वतजन’ को बताया कि, “योजना से अलग लोगों को यह आवास देने का निर्णय शासन स्तर पर ही हो सकता है।इस बारे में अभी ऐसा कोई भी निर्देश नहीं प्राप्त हुआ है।”