जी हां! यह हम नहीं कह रहे बल्कि सूचना के अधिकार में इसका खुलासा हुआ है कि जब जापान के प्राइम मिनिस्टर 14 सितंबर 2017 में भारत आए थे तो उन्होंने बुलेट ट्रेन के बारे में कोई भी एमओयू या एग्रीमेंट नहीं किया।
जाहिर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुलेट ट्रेन को लेकर यहां की जनता को लुभाने के लिए एक जुमला मात्र छोड़ रहे थे।
यह भी एक हकीकत है कि जापान में ब्याज दरें वर्तमान में माइनस में चल रही हैं। इसे यूं समझ सकते हैं कि जापान द्वारा अगर यह एग्रीमेंट हो भी जाता तो भारत को इस पर कोई ब्याज तो नहीं देना पड़ता किंतु बिना ब्याज के भी यह लोन भारत पर इसलिए भारी पड़ता, क्योंकि भारतीय रेलों की खराब हालत को दुरुस्त करने के बजाए बुलेट ट्रेन का यहां की जन जीवन में और आर्थिक हितों को सपोर्ट करने में कोई खास योगदान नहीं होता।
बुलेट ट्रेन का किराया भी हवाई जहाज के किराए से ज्यादा होता। उस पर बुलेट ट्रेन का लोन तय समय में उसके द्वारा प्राप्त होने वाले किराए से चुकाया जाना संभव ही नहीं था।
जूनागढ़ के अतुल ने भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से बुलेट ट्रेन के विषय में हुए एमओयू के बारे में सूचना के अधिकार के अंतर्गत जानकारी मांगी थी।
जापान प्रभाग को देखने वाली डिप्टी सेक्रेटरी निहारिका सिंह ने 13 अक्टूबर 2017 को यह जानकारी दी कि जापान के प्रधानमंत्री की भारत विजिट के दौरान कोई एमओयू एग्रीमेंट बुलेट ट्रेन के विषय में साइन नहीं किया गया था। प्रधानमंत्री का बुलेट ट्रेन का सपना पूरा होगा या नहीं अथवा अभी यह किस स्टेज पर है, इसके विषय में कहीं भी दस्तावेजों में कुछ नहीं है।
किंतु भारतीय जनता पार्टी ने देश भर में बुलेट ट्रेन को इस तरह से प्रचारित कर दिया कि जैसे यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हो। वर्तमान में प्राप्त सूचना के अधिकार से हुए खुलासे का विश्लेषण किया जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि नरेंद्र मोदी जी की बुलेट ट्रेन की बातें महज एक जुमला थी।