राशन के लिए भटक रहा दिव्यांग
गिरीश गैरोला/ उत्तरकाशी
उत्तरकाशी – डुंडा ब्लॉक के उड़री गांव मे किसी भी नेता अथवा अधिकारी के पहुंचने पर गांव के ही दिव्यांग नत्थी सिंह और राकेश की उम्मीद बढ़ जाती है कि अब उसकी सुनवाई हो सकेगी किन्तु सड़क से 5 की पैदल दूरी तय कर गांव पंहुचने का साहस कुछ ही नेता और अधिकारी कर पाते हैं।
नाउम्मीद नत्थी
नत्थी सिंह पैरों से विकलांग है और अपने हाथ और पैरों की मदद से पशुओं की तरह चलने को मजबूर है। घर मे कोई सदस्य नहीं है।विकलांग पेन्सन से गुजारा होता है और गांव के ही प्राथमिक विधालय मे रहकर अपने दिन पूरे कर रहा है।
प्राथमिक विद्यालय के प्रधान अध्यापक यतेंद्र सेमवाल ने बताया कि नत्थी सिंह स्कूल के लिए बिना मानदेय के दिन-रात 24 घंटे चौकीदारी का काम भी कर रहे हैं।
नत्थी की शिकायत है कि उसके अंत्योदय राशन कार्ड पर अचानक राशन मिलनी बंद हो गयी है। राशन डीलर ने बताया कि पीछे से ही राशन नहीं मिल रही है। लिहाजा बड़े ऑफिस से पता करना होगा।
अब पैरों से विकलांग नत्थी कैसे पैदल 5 किमी की दूरी तय कर बस पकड़े और मुख्यालय जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराए ?
अब राकेश का रोना भी सुन लो!
राकेश की आँख बचपन से खराब है। उसे दिखाई नहीं देता। राकेश के पिता सुंदर सिंह ने बताया कि जब राकेश सात वर्ष का था, तभी उसकी माँ का स्वर्गवास हो गया था। तब से वह खुद अपने बेटे के लिए माँ और बाप दोनों की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। किन्तु उनके बाद उसके बेटे की देखभाल कौन करेगा! इसकी चिंता उन्हे रात-दिन खाये जा रही है।
अंधेपन के चलते राकेश का विवाह संभव नहीं हो पा रहा है। लिहाजा वृद्ध पिता चाहते हैं कि बेटे का अलग से राशन कार्ड बनवा दिया जाय। ताकि उसके जाने के बाद भी उसके बेटे का चूल्हा पूर्ववत चलता रहे।
जिला पूर्ति अधिकारी गोपाल मटूड़ा ने बताया कि वह इस मामले का संज्ञान लेंगे। उन्होने माना कि हो सकता है कि नत्थी का राशन कार्ड ऑनलाइन होने से रह गया हो वे पास के पूर्ति इंस्पेक्टर से इसकी जांच करवाएँगे