गिरीश गैरोला, उत्तरकाशी//
जरा सी लापरवाही से आप हो सकते हैं लाइलाज बीमारी से ग्रस्त
जरा सी लापरवाही से सफाईकर्मी भी बन सकते हैं बीमारी के वाहक
जानकारी का अभाव कहें या बजट की कमी, सूबे के ज्यादातर अस्पताल जीवनदान देने के साथ ही घातक और गंभीर बीमारियों के वाहक भी बन रहे हैं। सूबे के किसी भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल में मेडिकल वेस्ट जिसमें गंभीर बीमारियों से पीडि़त रोगियों के नीडल, ब्लड और अन्य ऑपरेशन के बाद काटे गए भीतरी अंग है, को जलाने के लिए इंसिनेटर मौजूद नहीं है। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख डीजी हैल्थ डा. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि डाई ऑक्साइड जैसी खतरनाक गैस निकालने के कारण इसे अस्पताल परिसर में स्थापित नहीं किया जा सकता है। लिहाजा देहारादून और हरिद्वार के बीच एक स्थान पर इंसिनेटर लगाया गया है। जहां निजी और सरकारी सभी अस्पतालों का मेडिकल वेस्ट लाकर जलाया जाता है।
गौर करने वाली बात ये है कि आसपास के जानकार और स्वस्थ्य के प्रति सजग अस्पताल मेडिकल वेस्ट लेकर यहा आते होंगे, किंतु सुदूर गढ़वाल के अस्पताल में क्या आलम होगा। गौरतलब है कि प्रदेश से बाहर नौकरी करने के चलते एड्स जैसी गंभीर बीमारी के मरीज पहाड़ों में भी पर्याप्त मात्रा में हैं। इनकी जांच, प्रसव और ऑपरेशन के वक्त किस तरह की सावधानी रखी जाती होगी, यह एक विचारणीय प्रश्न है।
वेस्ट मैनेजमेंट के अंतर्गत नगरपालिका अस्पताल का कूड़ा नहीं उठा सकती है। सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को अपने मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए खुद ही व्यवस्था करनी होती है। सूबे के अस्पतालों में कायाकल्प के तहत निकलने वाले कूड़े को अलग-अलग करने के लिए अलग-अलग रंग के कूड़ेदान रखे गए हैं, किंतु संक्रमित नीडल, टिशु और खून को जलाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अगर अस्पताल की अपनी व्यवस्था नहीं है तो जाहिर है कि कुछ ले-देकर ये मेडिकल वेस्ट भी घरेलू कूड़े के साथ ही नगरपालिका/निगम के कूड़े के साथ ही नगर से बाहर निकल रहा है। ऐसे में जाने-अनजाने हम किसी बड़े खतरे को न्यौता तो नहीं दे रहे है!
उत्तरकाशी के प्रभारी सीएमएस डा. शिव कुडिय़ाल ने बताया कि उन्होंने अस्पताल परिसर में ही मेडिकल वेस्ट के लिए पिट्स बनाए हैं, जिसमें केमिकल डालकर इसे नष्ट कर दिया जाता है। अब जवाब कुछ भी हो, प्रश्न बड़ा है। लिहाजा बड़े स्तर पर ही सवाल का जवाब भी तलाश किया जाना चाहिए और इसके लिए बजट में अलग से प्रस्ताव दिया जाना चाहिए।