सूबे में शुरू हो चुकी चार धाम यात्रा को लेकर सरकार की लापरवाही सामने आ रही है। यह पहला अवसर है, जब चारधाम यात्रा के लिए कोई नोडल ऑफिसर नहीं बनाया गया। सरकार का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति न तो चार धाम के किसी भी धाम के कपाट-उद्घाटन में शरीक होने गया, न कोई व्यक्ति जिम्मेदारी लेने के लिए सामने आया।
पहले दिन से ही ऑल वेदर के कारण जगह-जगह सड़क अवरुद्ध होने के कारण तीर्थ यात्री परेशान रहे। विगत वर्ष चार धाम यात्रा की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी से लेकर देश भर के तमाम नेताओं ने आकर सुखद यात्रा का संदेश देने की कोशिश की, किंतु इस बार कोई भी सामने नहीं आया।
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यात्रा मार्ग बहुत कष्टकारी है।जगह-जगह गड्ढों,जाम,धूल के कारण राज्यपाल को बद्रीनाथ से गोचर तक (130किलोमीटर) पहुंचने में तब 6 घंटे लगे जबकि पूरा प्रशासन उन्हें लेकर चल रहा था। 10:45पर बद्रीनाथ से चली राज्यपाल शाम 4:45 पर गौचर पंहुच सकी।
राज्यपाल द्वारा किए गए इस हमले के बाद न सिर्फ यात्रा पर बल्कि यात्रा की तैयारियों पर सरकार की गैर जिम्मेदारियां सामने आई हैं। देखना है कि राजभवन का यह हमला किस प्रकार प्रभावी होता है !