उत्तराखंण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय की 292 पदों की नियुक्ति घोटाले का पर्दाफाश
उपकुलसचिव डॉ राजेश कुमार ने कुलपति और कुलसचिव के आदेश को किया रद्द।
पर्वत जन संवाददाता
कहते हैं भ्रष्टाचार और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय में भ्रष्टाचार के बीच रिश्ता कुछ चोली दामन सा है।पहले डॉ मृत्युंजय मिश्रा ने वर्ष 2015 में टीचिंग और नान टीचिंग पदों पर नियुक्ति के आवेदन मंगाए ,जो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए।
निजाम बदला लेकिन भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का कोढ़ खाज बन विश्विद्यालय को लग गया।विश्वविद्यालय ने 292 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाए,पर ये नियुक्तियां पहले से ही विवादों में रही।
सूत्र बताते हैं कि इन नियुक्ति पर नियुक्ति से ज्यादा कमाई का दीमक लगा है।कुछ चहेतों को अंदर लाने के लिए दाम की जोर आजमाइश का आलम कुछ यूं है कि संमिति के सदस्यों में ही घमासान मचा है।
सूत्र बताते हैं कि समिति के पूर्व सदस्यों को इस बार स्क्रूटनी समिति में न रखे जाने से घमासान मचा है।सूत्रों की माने तो कई पूर्व सदस्यों की पत्नियां प्रोफेसर के पद के लिए आवेदक हैं, जबकि कई के भाई भतीजे।अब ये सभी समिति मे न रखे जाने से इतने नाराज हैं कि इन्होंने अपने खास लोगों को जो स्क्रूटनी समिति के सदस्य भी नही है को प्रतिस्पर्धी आवेदकों के आवेदनों में से प्रमाणपत्रों की छायाप्रति गायब करवाने के काम में लगा दिया है।
विश्विद्यालय के सूत्र बताते हैं कि कुछ खास पात्र आवेदकों के आवेदन फार्म को भी तहस नहस कर अपात्र घोषित करवाने की तैयारी हो चुकी है।
सूत्रों की माने तो एक खास प्रदेश के आवेदकों को विश्विद्यालय के अंदर लाने के लिए यह रार मची है।
यह विडंबना है कि आयुष प्रदेश की बात करनेवाली सरकार विश्विद्यालय को एक नियमित कुलपति और कुलसचिव तक नही दे पा रही है।
ऐसा सिर्फ 292पदों पर किये जानेवाले खेल को खेलने के लिए किया जा रहा है, जिसकी खबर पर्वतजन पहले ही प्रकाशित कर चुका है।
ताजा घटे घटनाक्रम में उपकुलसचिव डॉ राजेश कुमार ने कुलसचिव और कुलपति के आदेशों को धता बताते हुए स्क्रूटनी कमिटी को भंग कर दिया है।उपकुलसचिव के आदेश में साफ जिक्र है कि कुछ लोग जो समिति के सदस्य नही है, आवेदकों के आवेदन से छेड़छाड़ कर गोपनीयता भंग कर रहे हैं।उपकुलसचिव कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि जिन पदों पर पैसे लिए गए हैं, उन पदों पर आवेदन किये पात्र आवेदकों के प्रमाणपत्रों को नोच कर निकालने का कार्य जोरशोर से जारी है।
उपकुलसचिव ने इन तथ्यों का संज्ञान लेते हुए तत्काल स्क्रूटनी कमिटी को भंग कर दिया है।अब इस कारण विश्विद्यालय में रार मची है।
विश्वविद्यालय में कई आवेदक कुलपति न बन पाने के कारण इस कदर परेशान हैं कि वे अब किसी भी सीमा तक जाने को उतारू हैं।
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