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छात्रवृत्ति जांच के बहाने अरबों लैप्स

May 3, 2017
in पर्वतजन
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पर्वतजन ब्यूरो

समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रतिवर्ष गरीब अनु.जाति/ जनजाति एंव पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति से लाखों छात्रों का समाज कल्याण विभाग के आई.टी. सैल की लापरवाही के कारण वंचित होना पड़ा। छात्रों हेतु पर्याप्त धनराशि उपलब्ध थी, जिसे आईटी सैल के द्वारा संचालित साप्टवेयर न चलने के कारण छात्रों के खातों में नहीं डाला जा सका। 31 मार्च, 2017 को अनु.जाति प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति में 7.25 करोड़, अनु.जाति पोस्ट मैट्रिक 49.89 करोड़, अन्य पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक 13.89 करोड़ तथा अनु. जनजाति पोस्ट मैट्रिक में 14.06 करोड़ इस प्रकार कुल 85.32 करोड़ की धनराशि विभाग को समर्पित कर दी गई।
इसी प्रकार पेंशन योजनाओं की 28.49 करोड़ की धनराशि विभाग को 31 मार्च 2017 को वापस कर दी गई। शासन द्वारा समाज कल्याण निदेशालय को गौरा देवी कन्याधन (सामान्य) जाति में 54 करोड़, गौरा देवी (अनु.जाति) में 24 करोड़ तथा अनु.जाति पुत्री शादी में 10 करोड़ की धनराशि बजट प्राविधान होने के बावजूद जारी ही नहीं की गई, जिससे गरीब तबके के लाखों लाभार्थी को उक्त योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ा।
इसी प्रकार जनजाति योजनाओं के अंतर्गत 1964 करोड़ का प्राविधान होने के बावजूद शासन द्वारा केवल 166.67 की धनराशि ही निदेशालय, जनजाति कल्याण को अवमुक्त की गई। शेष धनराशि शासन स्तर से अवमुक्त ही नहीं की गई। इस संबंध में अध्यक्ष, अनु. जनजाति आयोग द्वारा सचिव, समाज कल्याण एवं मुख्य सचिव को भी एक शिकायती पत्र भेजा गया था, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
कांतिराम की कारगुजारी
आईटी सैल के प्रभारी अधिकारी के रूप में तैनात कान्तिराम जोशी (सहायक निदेशक) की कारगुजारी के कारण ही विभाग की छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत प्राप्त करोडो़ं रुपये की धनराशि को जनपदों द्वारा वापस कर दिया गया। जनपदों के समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के द्वारा आईटी सैल के प्रभारी अधिकारी को कई माह से साफ्टवेयर न चलने की शिकायत भी की गई, जिस पर उनके द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वर्तमान आईटी सैल का छात्रवृत्ति साप्टवेयर पूरी तरह से बंद है।
जब शासन के उच्चाधिकारियों से छात्रवृत्ति/ पेंशन योजनाओं में अरबों रुपया खर्च न होने का कारण पूछा गया तो अधिकारियों द्वारा छात्रवृत्ति में करोड़ों/अरबों का घपला होने की बात करते हुए धनराशि व्यय न होने की बात की जा रही है।
जब समाज कल्याण विभाग में 100 करोड़ रुपये छात्रवृत्ति के घोटाले के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई तो जानकारी मिली कि दिसंबर 2015 में सहारनपुर जनपद में 24 संस्थानों में जो छात्र देहरादून/हरिद्वार के अध्ययनरत हैं, उन छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति में 100 करोड़ के घोटाले की शिकायत सहारनपुर निवासी राजकुमार द्वारा की गई थी।
देहरादून/हरिद्वार के समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हरिद्वार से वर्ष (2011-12) से (2014-15 ) में कुल 1.17 करोड़ तथा जनपद देहरादून से कुल 3.21 करोड़ इस प्रकार कुल 4 करोड़ 38 लाख की धनराशि ही सहारनपुर के कुल 10 शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों हेतु जारी की गई है। इस प्रकार सहारनपुर जनपद के संस्थाओं को 100 करोड़ के घोटाले की जो बात की जा रही है, उसके कोई तथ्य स्पष्ट नहीं हैं। इस शिकायत की जांच निदेशक, समाज कल्याण द्वारा जांच समिति से जांच कराई गई। जांच समिति द्वारा निदेशक, समाज कल्याण को 10 अपै्रल 2015 को प्रेषित जांच में घोटाले की कोई पुष्टि नहीं हुई। निदेशक, समाज कल्याण द्वारा इस जांच को शासन को भेजी गई।
जांच अधिकारी पर ही उठे सवाल
सचिव समाज कल्याण द्वारा 6 मार्च, 2017 को लगभग दो वर्ष के बाद इस जांच समिति की रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए समाज कल्याण के अपर सचिव एवं निदेशक, जनजाति कल्याण को इस शिकायत की पुन: जांच सौंपी गई। कान्तिराम जोशी को भी जांच में सम्मिलित होने के लिए आदेश दिए गए।
सूत्रों के अनुसार जांच समिति द्वारा विकासनगर/हरिद्वार में (10-15) छात्रों को डरा धमकाकर बयान लिए गए। कृष्णा कालेज, छुटमलपुर के प्रधानाचार्य निदेशक द्वारा उक्त जांच पर आपत्ति व्यक्त करते हुए जांच अधिकारी षणमुगम अपर सचिव एवं बीआर टम्टा निदेशक जनजाति कल्याण को इस आशय की शिकायत भेजी गई कि कान्तिराम जोशी द्वारा डरा-धमकाकर बच्चों के बयान दर्ज कराए गए। संस्थान के निदेशक द्वारा जांच में स्वयं को भी सम्मिलित होने का अनुरोध किया गया है, ताकि सही स्थिति को जांच समिति के समक्ष रखा जा सके। इस संबंध में जब बीआर टम्टा के बात की गई तो उनके द्वारा अवगत कराया गया कि अभी तक किसी भी संस्थान की जांच पूर्ण नहीं हुई है, जांच में शैक्षणिक संस्थानों को भी सम्मिलित किया जाए।
छात्रवृत्ति जांच पारदर्शिता के साथ तभी होनी संभव हो सकेगी, जब छात्रों के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थाओं एवं विभाग को भी जांच में सम्मिलित किया जाएगा। सचिव, सतर्कता के पत्र संख्या 70 दिनांक 21 मार्च, 2017 के द्वारा अवगत कराया गया है कि 100 करोड़ की फीस प्रतिपूर्ति धनराशि जनपद सहारनपुर, हरिद्वार एवं देहरादून के समाज कल्याण विभाग से लेकर गबन किये जाने विषयक प्रकरण में समाज कल्याण विभाग की पत्रावली संख्या 1(28)2016 के द्वारा प्रकरण में सतर्कता विभाग से जांच कराये जाने का अनुरोध किया गया था। तद्क्रम में अवगत कराना है कि एक ही प्रकरण में साथ-साथ सतर्कता विभाग एवं विभागीय स्तर पर जांच किया जाना संभव नहीं है। प्रकरण में गठित विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर यदि सतकर्ता जांच की आवश्यकता प्रतीत होती है तो औपचारिक प्रस्ताव सतर्कता विभाग को उपलब्ध कराएं। इसके अतिरिक्त सचिव, समाज कल्याण द्वारा 29 मार्च, 17 को समस्त जिलाधिकारियों को भी छात्रवृत्ति जांच के आदेश दिए गए हैं, जिससे स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि विभाग स्वयं जांच कराना चाहता है अथवा जिलाधिकारियों से कराना चाहता है, जबकि समाज कल्याण मंत्री के उच्चस्तरीय अधिकारियों से जांच कराने के निर्देश सचिव, समाज कल्याण को दिए जा चुके हैं।
जांच अधिकारी पर भी चल रही जांच
कान्तिराम जोशी के विरुद्ध टिहरी जनपद में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की जांच वर्तमान में गतिमान है। कान्तिराम जोशी की एक प्रकरण में देहरादून जनपद में तैनाती के दौरान शासन द्वारा सत्यनिष्ठा संदिग्ध करार दी गई है। जिलाधिकारी, रुद्रप्रयाग द्वारा विभागीय योजनाओं में लापरवाही के लिए वर्ष (2014-15) में जोशी को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। इस प्रकार ऐसे विवादित अधिकारी को छात्रवृत्ति जांच में सम्मिलित किया जाना तथा आईटी सैल का नोडल अधिकारी बनाया जाना शासन में बैठे अधिकारियों की ओर गंभीर इशारा करते हैं।


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